"अनुसूचित क्षेत्र और लोक सभा विधान सभा के चुनाव ।"
कुछ मित्रों का कहना है कि पांचवीं अनुसूचि लागू होने पर विधान सभा के चुनाव उन क्षेत्रों में नहीं होगे । मित्रों विधानसभा और लोक सभा के चुनाव के दायरे में अनुसूचित क्षेत्र भी आयेंगे परन्तु ग्राम से लेकर ब्लाक और जिला स्वायत्त परिषदें उन जिलो विकासखण्डों में पूरी तरह प्रभावशाली होंगी वे अपनी सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक न्याायिक व्यवस्था जल जंगल जमीन की मिल्कियत का कैसे उपभोग करना है स्वयं तय करेंगी इन स्वायत्त परिषदों के निर्णयों में विधायक सांसदों की दखलंदाजी नहीं होगी सांसद तथा विधायक के द्वारा अपने खर्च किये जाने वाले मद से स्वायत्त परिषद के विकास कार्य में सहयोग देगा । अनुसूचित क्षेत्रों में केंद्रीय बजट का सीधा पैसा स्वायत्त परिषदों के खाते में जायेगा जिससे जनजातीय वर्ग अपनी मर्जी से अपना विकास करेगा । इसी को कहते हैं स्वशासन ।
स्वशासन का मतलब यह नहीं कि हम देश के संविधान से अलग हैं जनजातियों को संविधान के दायरे में रहकर पांचवी अनुसूचि के अपने अधिकारों का उपभोग करना है जिसमें संविधान किसी की दखल नहीं देने के निर्देश देता है । संसद और विधान सभा की चुनाव प्रक्रिया के दायरे में सभी होंगे लेकिन स्थानीय निकाय जिनमें ग्राम पंचायत राज नगरपंचायत नरपालिका नगरनिगम जैसे कानूनों को बिना जनजातियों की इच्छा से जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता । पांचवीं छठी अनुसूचि का क्रियान्वयन और विधान सभा लोकसभा चुनाव क्यों और कैसे की अधिक जानकारी के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य नागालेंड मिजोरम त्रिपुरा मेघालय आदि के बारे में अध्ययन कर पता लगाया जा सकता है । -gsmarkam
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