काफी दिनों से प्रयास में था कि इस विषय पर समुदाय के बुजुर्गो से प्राप्त जानकारी को शेयर करू । हो सकता है यह पूजा क्षेत्र विशेष तक सीमित हो या हो सकता है सभी जगह प्रचलित हो । पूजा की प्रक्रिया से लगता है कि इसका प्रचलन मुगलकाल से आरम्भ हुआ है । या हो सकता है कि यह पूजा पद्दति गोडियन व्यवस्था मे पहले से प्रचलित रहा हो परन्तु वर्तमान पद्दति का सूक्ष्म अवलोकन करने से पता चलता है कि जिस पद्दति से आज की पूजा हो रही है शायद पूर्व मे ऐसा नही हो रहा होगा । प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पूजा किसी परिवार की एक पीढ़ी जब विवाह कार्य से मुक्त हो जाती तब पीढ़ी पूजा की जाती थी । परन्तु कुछ क्षेत्रों में देखने में आता है कि विवाह सम्पन्न होने के तीन साल बाद इस पूजा को सम्पन्न कराया जाता है । खैर जब भी होता हो लेकिन जिस नारायन पेन की पूजा की जाती है उसे तो समय समय पर अन्य पेनो की पूजा के साथ भी की जाती है । नरायन पेन की पूजा के सम्बन्ध में एक किवदन्ती प्रचलित है कि मुगल काल में जिन राज्यों में उनकी सत्ता थी या जिन राज्यो पर विजय पाते जाते थे उन राज्यों में मुगल सैनिकों के डेरे होते थे। कुछ सेना के टुकड़...