"वर्तमान सत्ता और मीडिया की भूमिका के संबंध में विश्व राजनीतिक धरातल पर मीडिया
की भूमिका का उदाहरण देते हुए एन डी टी वी के विश्लेषक रवीश कुमार ने स्पष्ट किया है
कि वर्तमान सरकारें किस तरह काम कर रहीं हैं । यह संदर्भ भारतीय राजनीति के लिये कितना
सटीक है इससे ही समझा जा सकता है कि भारतीय राजनीतिक दल भी अब अपनी पार्टी के प्रचार
प्रसार के लिये जापान, इंग्लैड ,जर्मनी की एजेंसियों को मोटी रकम देकर हायर कर रहे
हैं, तब न्यूयार्क टाईम्स के लेख पर रवीस जी का विश्लेषण कितना सटीक बैठता है ! प्रस्तुत
है उनकी आडियो का लिखित रूप में वाचन ।
“पिछले साल न्यूयार्क टाईम्स में एक लेख छपा था इकानामिक्स के प्रोफेसर सर्जई
गुरीव और राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डेनियल त्रेसमन का लेख कहता है कि आज कल
नये प्रकार के
आथारिटेरियन सरकारों का उदय
हो चुका है,
ये सरकारें विपक्ष
को खत्म कर
देती हैं , थोडा
बचाकर
रखती हैं, ताकि
विपक्ष का भ्रम
भी बना रहे
,इन सरकारों ने
ग्लोबल मीडिया और आई
टी युग के
इस्तेमाल से विपक्ष
का गला भी
घोंटा है ।
अति प्रचार ,बहुत
ज्यादा प्रचार ,दुष्प्रचार, झूठा
प्रचार यानि प्रोपेगेण्डा
का खूब सहारा
लिया जाता है,
सेंसरशिप के नये
नये तरीके आ
गये हैं, सूचना
संबंधी तरकीबों का इस्तेमाल
होता है, ताकि
रेटिंग बढ सके
इसे भी अब
फर्जी तरीके से
बढाया जाता है
, नागरिको को एहसास
दिलाया जाता रहता
है कि आपके
पास कोई दूसरा
विकल्प नहीं है
,हमीं श्रेष्ठ विकल्प
हैं, इस लेख
में इन शासकों
को नया आटोक्रेट
कहा गया है
। न्यू आटोक्रेट
,जो मीडिया को
विज्ञापन की रिश्वत
देते हैं ,मीडिया
पर केस करने
की धमकी देते
हैं, नये नये
निवेशकों को उकसाते
हैं, कि सरकार
की आलोचना करने
वाले मीडिया संस्थान
को ही खरीद
लो, मीडिया पर
नियंत्रण इसलिये जरूरी है
कि अब सब कुछ
धारणा है और
प्रिसिप्शन धारण आपके
ख्याल में होना
चाहिये ,लगना चाहिये
कि हां ये
हो रहा है
,लगातार विज्ञापन और भाषण
आपको यकीन दिलाते
रहते हैं कि,
हो रहा है
जमीन पर भले
ही वो नजर
ना आये, लेकिन
आप यकीन करने
लगते हैं कि,
हो रहा है !
रूस के राष्टपति
पुतिन ने पश्चिम
की एक बडी
“पी आर” कंपनी
केप्चम को हायर
किया है, केप्चम
को हायर किया
है ताकि वो
क्रेमलीन के पक्ष
में पश्चिम के
देशों से लाबिंग
करे कुछ लोग
पश्चिम के नेताओं
को नियुक्त कर
लेते हैं जैसे
नूर सुल्तान पिछले
साल न्यूयार्क टाईम्स
में एक लेख
छपा था ने
टोनी ब्लेयर को
किया या उनके
किसी फाउन्डेशन में
चंन्दा दे देते
हैं इंटरनेट पर
युद्ध सा माहौल
चल रहा है
वहां लगातार जमीन
कब्जाने का अभियान
है गाली देने
वाले और धमकाने
वाले ट्रोल्स को
पैसे देकर रखा
जाता है, यह
पूरी दुनिया में
हो रहा है
इनका काम होता
है, वाटसएप पे
टयूटर पे दिन
रात विरोधी के
खिलाफ अफवाहों का
बाजार बनाये रखना,
तरह तरह के
मटेरियल सप्लाई करना आप
वाटसएप देखते हैं उसी
को सच मान
लेते हैं, अखबार
आप पढते नहीं
हैं । और
अखबारों की भी
वही हालत है
ये ट्रोल्स आपके
कमेंटस बाक्स को सत्ता
पक्ष की बातों
से भर देते
हैं आपकी आलोचना
को गाली दे
देकर एहसास करा
देते हैं कि
पूरी दुनिया आपके
खिलाफ हो गई
है एैसा सोचने
वाले आप ही
अकेले हैं ,आपके
पक्ष की तरह
और कोई नहीं
सोचता है ।
विपक्ष की मीडिया
साईट को खत्म
करना भी इनकी
रणनीति का हिस्सा
होता जा रहा
है ,पर पूरी
तरह से विपक्ष
को समाप्त नहीं
किया जाता थोडा
सा बचाके रखते
हैं ताकि आपको
लगे कि नही
लोकतंत्र है हम
लोकतंत्र में हैं
। “ -(translator-gsmarkam)
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