इस पूजा से संबंधित मोटी मोटी जानकारी को देने का प्रयास कर रहा हूं हो सकता है विभिन्न क्षेत्रों में इसके अलग अलग तौर तरीके और स्वरूप हों इस व्याख्या के माध्यम तथा जानकारी के आदान प्रदान से मूल रूप सामने आ सकेगी एैसी मेरी अभिलाषा है ।
"पेन कडा" वह स्थान जिसमें एक गोत्रधारी वर्ष में या तीन वर्ष में अपने पडापेन/ बुढालपेन की पूजा करने आते हैं जिसे कहीं दिवाई या खखरा झारना भी कहा जाता है ।सामान्यतया यह स्थान गांव से दूर जंगल पहाड या खेत में साजा के वृक्ष को केंद्र मानकर खलिहान जैसे गोल घेरा जिसमें कहीं कहीं पत्थरों का परकोटा बना दिया जाता है जिसमें केवल एक द्वार होता है ।
गोंडियन पेन व्यवस्था में पडापेन बुढालपेन की पूजा का विशेष महत्व है जो देश के लगभग सभी गोंडियन समुदाय में प्रचलित है । वर्तमान समय में विधिवत पूजन एवं नियुक्त व्यक्तियों की भूमिका की उदासीनता तथा समयाभाव के कारण अब ये छोटे छोटे परिवार समूहों में सिमटता जा रहा है । कहीं इसे पडापेन काम या पेनकडा करा पुंजा आदि नाम को व्यवहार में लाया जाता है । मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में इस पुजा का पुरातन स्वरूप कहीं कही आज भी विधिवत जारी है जो हमारी सामाजिक व्यवस्था को भी दर्शाता है । पेनकडा में जाने वाला हर परिवार मातृश्क्तियां लाल वस़्त्र तथा पुरूष सफेद धोती पहनकर जाते हैं । पेन पूजा के लिये नियुक्त परिवारों के लिये इस पूजा में विधिवत कार्य विभाजन भी है । आओ इसे समझने का प्रयास करें ।
1.प्रत्येक गोत्र में एक परिवार मुखिया का घर होता है जिसे "पटउ" या पूजा करने वाला कहा जाता है ।
2.एक परिवार करा "कडा झारिया" कहलाता है जो पेनकडा के स्थान को साफ करता है ।
3."भंडारी" जो पेनकडा में अर्पण करने वाला भोजन जिसे "बन्ना" कहा जाता है बनाता है ।
4.एक परिवार के मुखिया को जिसे "मटियाल" कहा जाता है जिसके आंग पर पेन आता है ।
5.इसी परिवार समूह में एक "गाडवा" का स्थान होता है जिसकी पूजा केवल गाडवा पुजारी के माध्यम से ही होता है ।
6. "पाना" यह उस गोत्र का खबरी या सूचनाकार होता है ।
7. "राया" यानि पेनकडा पूजा में शामिल सभी परिवारों का सामान्य समूह ।
इस तरह एक गोत्र समूह की इस तरह की पेनकडा पूजा तथा उस अनुष्ठान में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्तियों का राया की ओर सदैव सम्मान होता है ।
इस पडापेन कार्य में पूजा के हर स्थान में इतर गोत्र या जिसे सेरमी कहा जाता है उपरोक्त नियुक्त व्यक्तियों की ही तरह सेरमी या नात भी स्थायी होते हैं इनकी भूमिका सहयोग के लिये महत्वपूर्ण होती है ।(पडापेन पेनकडा के संबंध में व्याख्या करने में कोई भूल चूक हो तो पडापेन मुझे माफ करे ।) gsmarkam
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