(1)"शुरू करो असली आजादी की लड़ाई"
देश में यदि मूलनिवासी समुदाय की मानसिकता अपने आप को देश का मालिक समझता है। सिन्धुघाटी का स्रजनकर्ता मानता है तो उसे कान्शीराम (बहुजन आन्दोलन के नायक) की सलाह के आधार पर आजादी की तीसरी लड़ाई का सन्खनाद कर देना चाहिए, ध्यान रहे यह लड़ाई धनबल अर्थ बल से नहीं लडना है। यह लड़ाई मूलनिवासीयो को सान्स्क्रतिक बल के आधार पर लडना होगा। जिसके पास यह पून्जी है उसके मार्गदर्शन में चलना होगा। इसमें इगो या अहन्कार को तिलान्जली देना होगा। याद रहे अन्ग्रेजो के विरुद्ध सबसे पहले किसने बगावत की थी? बाद में इसे अन्य समुदाय ने हवा दी। आज भी यदि आन्दोलन की शुरुआत होगी तो पुनः इतिहास दुहराना पडेगा। आग आदिवासी लगायेगा हवा सभी मूलनिवासीयो को देना होगा। (देशी,विदेशी का आन्दोलन छेड़ दो ) देश का असली पट्टा आदिवासी के पास है।-gsmarkam
(2)"जनक्रांति और संविधान"
क्रांति की अगुवाई कुछ लोग करते हैं, पर क्रांति आम जनता की ओर से होता है । अगुवा संवैधानिक प्रतिबद्धताओं को जानता है, पर जनता इससे अन्जान रहती है । चूंकि क्रांति पर जब जनता की मुहर लग जाती है तब संवैधानिक
प्रतिबद्धतायें जनहित में अपना सिर झुकाकर जनता के निर्णय को मानने के लिये बाद्धय होती हैं । लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरी है । जनता के हित में संविधान को झुकना पडता है ।-gsmarkam
देश में यदि मूलनिवासी समुदाय की मानसिकता अपने आप को देश का मालिक समझता है। सिन्धुघाटी का स्रजनकर्ता मानता है तो उसे कान्शीराम (बहुजन आन्दोलन के नायक) की सलाह के आधार पर आजादी की तीसरी लड़ाई का सन्खनाद कर देना चाहिए, ध्यान रहे यह लड़ाई धनबल अर्थ बल से नहीं लडना है। यह लड़ाई मूलनिवासीयो को सान्स्क्रतिक बल के आधार पर लडना होगा। जिसके पास यह पून्जी है उसके मार्गदर्शन में चलना होगा। इसमें इगो या अहन्कार को तिलान्जली देना होगा। याद रहे अन्ग्रेजो के विरुद्ध सबसे पहले किसने बगावत की थी? बाद में इसे अन्य समुदाय ने हवा दी। आज भी यदि आन्दोलन की शुरुआत होगी तो पुनः इतिहास दुहराना पडेगा। आग आदिवासी लगायेगा हवा सभी मूलनिवासीयो को देना होगा। (देशी,विदेशी का आन्दोलन छेड़ दो ) देश का असली पट्टा आदिवासी के पास है।-gsmarkam
(2)"जनक्रांति और संविधान"
क्रांति की अगुवाई कुछ लोग करते हैं, पर क्रांति आम जनता की ओर से होता है । अगुवा संवैधानिक प्रतिबद्धताओं को जानता है, पर जनता इससे अन्जान रहती है । चूंकि क्रांति पर जब जनता की मुहर लग जाती है तब संवैधानिक
प्रतिबद्धतायें जनहित में अपना सिर झुकाकर जनता के निर्णय को मानने के लिये बाद्धय होती हैं । लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरी है । जनता के हित में संविधान को झुकना पडता है ।-gsmarkam
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