"पूनल वंजी पाबून"और "दिवारी पंडुंम(पाबून)"
क्या है पूनल वंजी पाबून ये तो पहले ही "नवाखाई" (वंजी, गाडा (गुल्ली) जन्नांग, कायांग आदि)के रूप में मना लिया गया । जिसको गोंडी भाषा नहीं आती हो एैसे लोग इन नकली नाम की स्थापना से भ्रमित हो जाते हैं । गोंडियन त्यौहारों के नाम संज्ञा के साथ एक शब्दीय होते हैं विश्लेषण के साथ नहीं बताया जाता । यहां तो पूनल वंजी तिंदाना पाबुन यानि हिन्दी वाक्य का हूबहू अनुवाद हो गया । जबकि दिवारी कह देने से इससे संबंधित सभी क्रियाकलाप समाहित हो जाते हैं फिर ये नया नाम किसलिये ?
"एक और शब्द जिसका उपयोग कुछ लोग कर लेते हैं पडडुम यह शब्द गोंडी भाषा में कोई अर्थ नहीं निकालता इसका असली रूप पन्डुम है । जो पंडीना या पके हुए से संबंधित है । इस पर चर्चा कर मानक शब्द का उपयोग हो सके । ( बंदर के हाथों उस्तरा नहीं थमा देना चाहिये अन्यथा पूरी कटिंग बिगडने का डर रहता है । )" मेरे सुझाव को मित्रगण अन्यथा में ना लें । -gsmarkam
क्या है पूनल वंजी पाबून ये तो पहले ही "नवाखाई" (वंजी, गाडा (गुल्ली) जन्नांग, कायांग आदि)के रूप में मना लिया गया । जिसको गोंडी भाषा नहीं आती हो एैसे लोग इन नकली नाम की स्थापना से भ्रमित हो जाते हैं । गोंडियन त्यौहारों के नाम संज्ञा के साथ एक शब्दीय होते हैं विश्लेषण के साथ नहीं बताया जाता । यहां तो पूनल वंजी तिंदाना पाबुन यानि हिन्दी वाक्य का हूबहू अनुवाद हो गया । जबकि दिवारी कह देने से इससे संबंधित सभी क्रियाकलाप समाहित हो जाते हैं फिर ये नया नाम किसलिये ?
"एक और शब्द जिसका उपयोग कुछ लोग कर लेते हैं पडडुम यह शब्द गोंडी भाषा में कोई अर्थ नहीं निकालता इसका असली रूप पन्डुम है । जो पंडीना या पके हुए से संबंधित है । इस पर चर्चा कर मानक शब्द का उपयोग हो सके । ( बंदर के हाथों उस्तरा नहीं थमा देना चाहिये अन्यथा पूरी कटिंग बिगडने का डर रहता है । )" मेरे सुझाव को मित्रगण अन्यथा में ना लें । -gsmarkam
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