"आर्डिनेंस उद्योग का निजीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा"
जब देश की रक्षा करने वाली और उसके उपकरण बनाने वाली फैक्ट्री को सरकार निजी हाथों में बेच दे, निजी कंपनियां केवल लाभ देखती है सामाजिक सरोकार नहीं और वे निजी कंपनियां कंपनियां अच्छे लाभ की लालच में हमारे देश के दुश्मन के साथ सौदा करके ऑर्डिनेंस के उपकरण जिसमें, बम, तोप,गोली ,बारूद और व्हिकल आदि की छमता में,कमजोरी कर दें तो देश की सुरक्षा का क्या होगा।जब इन कमजोरियों से देश ही नहीं बचेगा।तब आम नागरिक को तो पुन: गुलाम ही होना है। विजय माल्या हो या फ्राड हीरा व्यापारी मोदी हो या देश की जनता को लूटकर विदेशों में पैसा जमा करने वाले नेता हों,जब ये देश का हित ना सोचकर केवल लाभ के लिये देश को चूना लगा देते हैं। तो प्रायवेट कंपनी अपने लाभ के लिये,देश के रक्षा उपकरणों के उत्पाद में भी स्वलाभ के लिये दुश्मन से सौदा करने में नहीं हिचकेगी।
(गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
जब देश की रक्षा करने वाली और उसके उपकरण बनाने वाली फैक्ट्री को सरकार निजी हाथों में बेच दे, निजी कंपनियां केवल लाभ देखती है सामाजिक सरोकार नहीं और वे निजी कंपनियां कंपनियां अच्छे लाभ की लालच में हमारे देश के दुश्मन के साथ सौदा करके ऑर्डिनेंस के उपकरण जिसमें, बम, तोप,गोली ,बारूद और व्हिकल आदि की छमता में,कमजोरी कर दें तो देश की सुरक्षा का क्या होगा।जब इन कमजोरियों से देश ही नहीं बचेगा।तब आम नागरिक को तो पुन: गुलाम ही होना है। विजय माल्या हो या फ्राड हीरा व्यापारी मोदी हो या देश की जनता को लूटकर विदेशों में पैसा जमा करने वाले नेता हों,जब ये देश का हित ना सोचकर केवल लाभ के लिये देश को चूना लगा देते हैं। तो प्रायवेट कंपनी अपने लाभ के लिये,देश के रक्षा उपकरणों के उत्पाद में भी स्वलाभ के लिये दुश्मन से सौदा करने में नहीं हिचकेगी।
(गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
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