"शोसल मीडिया और उसका जनप्रतिनिधियों पर प्रभाव"
गैर आदिवासी नेतृत्व वाले दलों से जीतकर आते कुछ आदिवासी सांसद और विधायक अब इतना तो सोच रखने लगे हैं जो विधान सभा या लोकसभा में समुदाय के बात को रखने की हिम्मत करने लगे हैं,इनमें अग्रणी रूप से निवास विधान सभा के विधायक डा0 मर्सकोले और मनावर विधायक डा0 हीरा अलावा जी इनके साथ कुछ जागरूक विधायक भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक साथ आवाज उठा रहे हैं,यह समुदाय के लिये शुभ संकेत हैं।इसी तरह राजस्थान के सांसद किरोड़ी लाल मीणा एवं बीटीपी के विधायकों का समुदाय हित में आवाज को भी समुदाय हित के लिये पाजेटिव कहा जा सकता है,वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जी में भी समुदाय हित में खुलकर बोलने की हिम्मत आती दिखाई दे रही है। इस तरह की सोच पैदा कर दबाव बनाने का काम समुदाय के सोसल मीडिया के माध्यम से अधिक हुआ है,इसलिये इसका श्रेय सोसल मीडिया से जुड़े मित्रों को जाता है।इस कार्य में आपको योगदान के लिये बहुत बहुत बधाई ,यह आज के दौर का सशक्त माध्यम है,इसे और अधिक मजबूत करें।
(गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
गैर आदिवासी नेतृत्व वाले दलों से जीतकर आते कुछ आदिवासी सांसद और विधायक अब इतना तो सोच रखने लगे हैं जो विधान सभा या लोकसभा में समुदाय के बात को रखने की हिम्मत करने लगे हैं,इनमें अग्रणी रूप से निवास विधान सभा के विधायक डा0 मर्सकोले और मनावर विधायक डा0 हीरा अलावा जी इनके साथ कुछ जागरूक विधायक भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक साथ आवाज उठा रहे हैं,यह समुदाय के लिये शुभ संकेत हैं।इसी तरह राजस्थान के सांसद किरोड़ी लाल मीणा एवं बीटीपी के विधायकों का समुदाय हित में आवाज को भी समुदाय हित के लिये पाजेटिव कहा जा सकता है,वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जी में भी समुदाय हित में खुलकर बोलने की हिम्मत आती दिखाई दे रही है। इस तरह की सोच पैदा कर दबाव बनाने का काम समुदाय के सोसल मीडिया के माध्यम से अधिक हुआ है,इसलिये इसका श्रेय सोसल मीडिया से जुड़े मित्रों को जाता है।इस कार्य में आपको योगदान के लिये बहुत बहुत बधाई ,यह आज के दौर का सशक्त माध्यम है,इसे और अधिक मजबूत करें।
(गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)
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