"गोंडवाना आंदोलन की सफलता का सूत्र"
गोंडवाना की भाषा, धर्म,संस्कृति और साहित्य का आंदोलन समाज के आधार को मजबूत करने के लिए चलाया गया है जब तक समाज का आधार मजबूत नहीं हो जाता तब तक उस के बल पर सामाजिक,धार्मिक आंदोलन को सफलता मिलना कठिन है । गोंडवाना के नाम पर अब तक कुछ हद तक(वह भी आंशिक) केवल मूल समूह गोंड आंदोलित हो पाया है।उसका सहोदर समूह जिसे उप जाती भी कहा जा सकता है अभी तक गोंडवाना आंदोलन पर विश्वास नहीं जमा पाया है, कारण जो भी हो परंतु इसे सूझ-बूझ से दुरुस्त करना पड़ेगा अपने उप समूह को भाषा धर्म संस्कृति के प्रति जागरुक करना पड़ेगा तभी हम गोंडवाना आंदोलन के सामाजिक लक्ष को पूरा कर सकते हैं अन्यथा सामाजिक आधार पर छोटी छोटी ताकत बनाकर उसे बेचा और खरीदा जा सकता है,समाज के पूर्ण लक्ष को कभी हासिल नहीं किया जा सकता। इसलिए गोंडवाना आंदोलन की सफलता उनके उप समूह को साथ लेने पर ही संभव है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
गोंडवाना की भाषा, धर्म,संस्कृति और साहित्य का आंदोलन समाज के आधार को मजबूत करने के लिए चलाया गया है जब तक समाज का आधार मजबूत नहीं हो जाता तब तक उस के बल पर सामाजिक,धार्मिक आंदोलन को सफलता मिलना कठिन है । गोंडवाना के नाम पर अब तक कुछ हद तक(वह भी आंशिक) केवल मूल समूह गोंड आंदोलित हो पाया है।उसका सहोदर समूह जिसे उप जाती भी कहा जा सकता है अभी तक गोंडवाना आंदोलन पर विश्वास नहीं जमा पाया है, कारण जो भी हो परंतु इसे सूझ-बूझ से दुरुस्त करना पड़ेगा अपने उप समूह को भाषा धर्म संस्कृति के प्रति जागरुक करना पड़ेगा तभी हम गोंडवाना आंदोलन के सामाजिक लक्ष को पूरा कर सकते हैं अन्यथा सामाजिक आधार पर छोटी छोटी ताकत बनाकर उसे बेचा और खरीदा जा सकता है,समाज के पूर्ण लक्ष को कभी हासिल नहीं किया जा सकता। इसलिए गोंडवाना आंदोलन की सफलता उनके उप समूह को साथ लेने पर ही संभव है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
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