"सुप्रीम कोर्ट की आड़ में संसद के परोक्ष तीर"
संसद में विपक्ष पक्ष विपक्ष के बीच किसी विषय पर खींचतान होती है, सरकारों को बहस मैं जनता के कटघरे में खड़ा होना पड़ता है इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट की आड़ में सरकार बहुत से जनविरोधी, समुदाय विरोधी फैसले लेकर कानून का वास्ता देगी, जिसे राष्ट्र हित, समाज हित, न्याय हित में मानने को बाध्य होना पड़ेगा अन्यथा सुप्रीम कोर्ट आपको राष्ट्र द्रोही भी करार दे सकती है।
हाल ही में वनाधिकार अधिनियम के तहत वनभूमि के पट्टे निरस्तीकरण का काला आदेश, अब विविधता के अधिकार प्राप्त लोगों के लिए समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अयोध्या विवाद पर तटस्थता, आरक्षण पर साफगोई, निजी करण पर चुप्पी, आखिर ऐसा क्यों जब सरकार को लगती है की संसद से काम नहीं बनने वाला तो अपनी गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल देती है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
संसद में विपक्ष पक्ष विपक्ष के बीच किसी विषय पर खींचतान होती है, सरकारों को बहस मैं जनता के कटघरे में खड़ा होना पड़ता है इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट की आड़ में सरकार बहुत से जनविरोधी, समुदाय विरोधी फैसले लेकर कानून का वास्ता देगी, जिसे राष्ट्र हित, समाज हित, न्याय हित में मानने को बाध्य होना पड़ेगा अन्यथा सुप्रीम कोर्ट आपको राष्ट्र द्रोही भी करार दे सकती है।
हाल ही में वनाधिकार अधिनियम के तहत वनभूमि के पट्टे निरस्तीकरण का काला आदेश, अब विविधता के अधिकार प्राप्त लोगों के लिए समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अयोध्या विवाद पर तटस्थता, आरक्षण पर साफगोई, निजी करण पर चुप्पी, आखिर ऐसा क्यों जब सरकार को लगती है की संसद से काम नहीं बनने वाला तो अपनी गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल देती है।
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
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