"जनगणना २१ और प्रथक धर्म कालम"
आदिवासी का प्रथक धर्म कालम इसलिये नहीं कि केवल आरक्षण से जोड़कर देखा जाय ,यह इसलिये आवश्यक है कि प्रकृति के प्रर्यावरण और मानवता को जीवित बनाये रखने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है,दुनिया में यदि इस मार्ग का अनुसरण होने लगे तो यह दुनिया शायद लम्बे समय तक चले वर्ना ग्लोबल वार्मिंग , लगातार बढ़ती हिंसा और नैतिक पतन के कारण दुनिया के लोग परेशानी महसूस करने लगे हैं। इसलिये आवश्यक है प्रकृतिवाद के तत्त्वों से भरपूर आदिवासी का मार्ग पंथ या साधारण भाषा में धर्म कहा जा सकता है।
(गुलजार सिंह मरकाम रा.सं.गों.स.क्रां.आं.)
आदिवासी का प्रथक धर्म कालम इसलिये नहीं कि केवल आरक्षण से जोड़कर देखा जाय ,यह इसलिये आवश्यक है कि प्रकृति के प्रर्यावरण और मानवता को जीवित बनाये रखने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है,दुनिया में यदि इस मार्ग का अनुसरण होने लगे तो यह दुनिया शायद लम्बे समय तक चले वर्ना ग्लोबल वार्मिंग , लगातार बढ़ती हिंसा और नैतिक पतन के कारण दुनिया के लोग परेशानी महसूस करने लगे हैं। इसलिये आवश्यक है प्रकृतिवाद के तत्त्वों से भरपूर आदिवासी का मार्ग पंथ या साधारण भाषा में धर्म कहा जा सकता है।
(गुलजार सिंह मरकाम रा.सं.गों.स.क्रां.आं.)
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