२२/०९/२०१९ को बिलासपुर छग में आयोजित धर्मकोड/कालम में शामिल बुद्धिजीवियों विनम्र अपील-
भारत की जनगणना 2021 के परिपेक्ष में लगातार देशभर में विभिन्न धार्मिक सामाजिक संगठनों के माध्यम से जनजाति को एक कोड कॉलम मिले इस पर प्रयास चल रहा है विभिन्न धार्मिक समूहों के माध्यम से एक कोर्ट पर सहमति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय समिति का भी गठन किया गया है । जो लगातार विभिन्न धार्मिक समूहों से रायशुमारी करते हुए समन्वय बनाने का प्रयास किया जा रहा है इसमें काफी सफलता भी मिली है यही कारण है कि देश में प्रमुख बड़े जातीय समूह संथाल मुंडा हो आदि सरना धर्म को लेकर कार्यरत हैं वही भील भिलाला और उनसे सहोदर जातियां भी आदि धर्म के नाम पर अपने आप को संगठित किए हुए हैं वही कोया/गोंडी पुनेम के नाम पर गोंड प्रधान तथा उनके उप शाखाएं लगातार कार्यरत हैं इस तरह देश में प्रमुख 3 क्षेत्रों से सरना आदि/ आदिवासी धर्म या कोया /गोंडी पुनेम के नाम पर अपनी पहचान और पूजा पद्धति संस्कारों को सहेजने का काम कर रहे हैं मेरा मानना है की यह तीनों बड़े ग्रुप अपने क्षेत्रीय पहचान को अपने संस्कार पूजा पद्धति को बरकरार रखें इसमें कोई आपत्ति नहीं परंतु हम जब राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान चाहते हैं तो हमें किसी एक मुद्दे पर किसी एक नाम पर पूर्ण रूप से सहमत हो जाना चाहिए इसमें प्रत्येक समूह को अपने पूजा पद्धति या संस्कारों को छोड़ना या कमजोर नहीं करना पड़ेगा इसलिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर जैसा कि विभिन्न सेमिनार और सन गोष्ठियों के माध्यम से ट्राइबल नाम पर सहमति बनी है उस पर ही विचार करके उस पर आम सहमति की मुहर लग जाए तो हम 2021 से पहले जनगणना के कालम में उस नाम को स्थापित करने में सफल हो सकते हैं, वर्तमान में प्रमुख रूप से विश्व आदि धर्म परिषद क्योंकि लालू भाई वसावा जी के नेतृत्व में चल रहा है राष्ट्रीय आदिवासी धर्म परिषद छत्रपति साहिब मुंडा जी तथा आदिवासी सरना महासभा देव कुमार धान जी राष्ट्रीय कोया पुनेम परिषद निर्माण सुशीला धुर्वे जी एवं राष्ट्रीय इंडिजिनियस धर्म कालम /कोड समन्वय समिति अरविंद उरांव जी के माध्यम से समुदाय को लामबंद कर रहे है इसलिए आप सभी से विनम्र अपील है कि इस पुनीत कार्य में सभी सभी संगठन अपनी पहचान को बरकरार रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर ट्राइबल कोड को मान्यता प्रदान करेंगे यही अपेक्षा है । निवेदक-
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
भारत की जनगणना 2021 के परिपेक्ष में लगातार देशभर में विभिन्न धार्मिक सामाजिक संगठनों के माध्यम से जनजाति को एक कोड कॉलम मिले इस पर प्रयास चल रहा है विभिन्न धार्मिक समूहों के माध्यम से एक कोर्ट पर सहमति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय समिति का भी गठन किया गया है । जो लगातार विभिन्न धार्मिक समूहों से रायशुमारी करते हुए समन्वय बनाने का प्रयास किया जा रहा है इसमें काफी सफलता भी मिली है यही कारण है कि देश में प्रमुख बड़े जातीय समूह संथाल मुंडा हो आदि सरना धर्म को लेकर कार्यरत हैं वही भील भिलाला और उनसे सहोदर जातियां भी आदि धर्म के नाम पर अपने आप को संगठित किए हुए हैं वही कोया/गोंडी पुनेम के नाम पर गोंड प्रधान तथा उनके उप शाखाएं लगातार कार्यरत हैं इस तरह देश में प्रमुख 3 क्षेत्रों से सरना आदि/ आदिवासी धर्म या कोया /गोंडी पुनेम के नाम पर अपनी पहचान और पूजा पद्धति संस्कारों को सहेजने का काम कर रहे हैं मेरा मानना है की यह तीनों बड़े ग्रुप अपने क्षेत्रीय पहचान को अपने संस्कार पूजा पद्धति को बरकरार रखें इसमें कोई आपत्ति नहीं परंतु हम जब राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान चाहते हैं तो हमें किसी एक मुद्दे पर किसी एक नाम पर पूर्ण रूप से सहमत हो जाना चाहिए इसमें प्रत्येक समूह को अपने पूजा पद्धति या संस्कारों को छोड़ना या कमजोर नहीं करना पड़ेगा इसलिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर जैसा कि विभिन्न सेमिनार और सन गोष्ठियों के माध्यम से ट्राइबल नाम पर सहमति बनी है उस पर ही विचार करके उस पर आम सहमति की मुहर लग जाए तो हम 2021 से पहले जनगणना के कालम में उस नाम को स्थापित करने में सफल हो सकते हैं, वर्तमान में प्रमुख रूप से विश्व आदि धर्म परिषद क्योंकि लालू भाई वसावा जी के नेतृत्व में चल रहा है राष्ट्रीय आदिवासी धर्म परिषद छत्रपति साहिब मुंडा जी तथा आदिवासी सरना महासभा देव कुमार धान जी राष्ट्रीय कोया पुनेम परिषद निर्माण सुशीला धुर्वे जी एवं राष्ट्रीय इंडिजिनियस धर्म कालम /कोड समन्वय समिति अरविंद उरांव जी के माध्यम से समुदाय को लामबंद कर रहे है इसलिए आप सभी से विनम्र अपील है कि इस पुनीत कार्य में सभी सभी संगठन अपनी पहचान को बरकरार रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर ट्राइबल कोड को मान्यता प्रदान करेंगे यही अपेक्षा है । निवेदक-
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
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