"संकीर्ण सोच से समुदाय और समाज का नुकसान होता है।"
ट्राइबल रिलिजन कालम पर देश का सभी जन जाति वर्ग सहमत है, यथा संथाल, मुंडा, हो और उरांव सभी सहमत हैं परंतु अपनी सरना पहचान को बनाए रखेंगे। इसी तरह भील भिलाला बरेला मीना यह सब ग्रुप जब "ट्राइबल" कालम नाम पर सहमत हैं तब कुछ तत्व इस बात से क्यों सहमत नहीं है। यह शब्द केवल यूनिटी का परिचायक ,यह शब्द आपकी छेत्रीय मूल पहचान को यथास्थिति बनाए रखने की छूट देता है। शब्द के पीछे मत भागो,यूनिटी होने के आशय को समझो,यदि अच्छे से समझना है तो "हिन्दू" शब्द के अंदर जाओ कितना डरावना और वीभत्स है,सबको मालूम है,फिर भी मनुवादी सोच ने इस शब्द को भी गौरवपूर्ण बनाकर, गौरवान्वित महसूस कर रहा है ,भले ही हम उसका कोई भी मायना निकाल ले,पर एकता का लक्छ्य तो पूरा हो रहा है। हमें भी शब्दों के जाल में ना फंसकर समुदाय हित में व्यापक सोच विकसित करना है। "संकीर्ण सोच से समुदाय और समाज का नुकसान होता है।"
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
ट्राइबल रिलिजन कालम पर देश का सभी जन जाति वर्ग सहमत है, यथा संथाल, मुंडा, हो और उरांव सभी सहमत हैं परंतु अपनी सरना पहचान को बनाए रखेंगे। इसी तरह भील भिलाला बरेला मीना यह सब ग्रुप जब "ट्राइबल" कालम नाम पर सहमत हैं तब कुछ तत्व इस बात से क्यों सहमत नहीं है। यह शब्द केवल यूनिटी का परिचायक ,यह शब्द आपकी छेत्रीय मूल पहचान को यथास्थिति बनाए रखने की छूट देता है। शब्द के पीछे मत भागो,यूनिटी होने के आशय को समझो,यदि अच्छे से समझना है तो "हिन्दू" शब्द के अंदर जाओ कितना डरावना और वीभत्स है,सबको मालूम है,फिर भी मनुवादी सोच ने इस शब्द को भी गौरवपूर्ण बनाकर, गौरवान्वित महसूस कर रहा है ,भले ही हम उसका कोई भी मायना निकाल ले,पर एकता का लक्छ्य तो पूरा हो रहा है। हमें भी शब्दों के जाल में ना फंसकर समुदाय हित में व्यापक सोच विकसित करना है। "संकीर्ण सोच से समुदाय और समाज का नुकसान होता है।"
(गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)
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