"क्रांतिकारी रक्त जरूर उबलता है।"
बैतूल जिला आजादी के पूर्व से क्रांतिकारियों की जन्म स्थली रही है। यहां पर अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले सरदार विष्णु सिंह गौड़ एवं मंसू ओझा जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सरकार के छक्के छुड़ा दिए थे, यह रक्त अपने अधिकारों को भली-भांति समझता है । वे यह जान रहे हैं की आज की सरकार भी अंग्रेजों की भांति हमें जहां चाहे वहां से बेदखल कर देती है, हम शांत रहते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हमेशा हम दबे रहें अब ऐसा नहीं होगा जैसे हमने अंग्रेजों से अपने अधिकार के लिए मुकाबला किए हैं तो देसी सरकार से भी हम मुकाबला करने को लिए तैयार हैं,वैसे भी वनाधिकार के नाम पर हमारे साथ उचित न्याय नहीं किया जा रहा है। सामुदायिक वन अधिकार के तहत हमें वन भूमि का सामुदायिक मालिकाना हक दे दिया जाना चाहिए लेकिन यह नहीं मिल रहा है इसलिए हम अपने आप सामुदायिक वनाधिकार हासिल करके सरकार को जवाब देंगे (सामुदायिक वन अधिकार से वंचित समुदाय की आवाज) द्वारा-गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन
बैतूल जिला आजादी के पूर्व से क्रांतिकारियों की जन्म स्थली रही है। यहां पर अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले सरदार विष्णु सिंह गौड़ एवं मंसू ओझा जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सरकार के छक्के छुड़ा दिए थे, यह रक्त अपने अधिकारों को भली-भांति समझता है । वे यह जान रहे हैं की आज की सरकार भी अंग्रेजों की भांति हमें जहां चाहे वहां से बेदखल कर देती है, हम शांत रहते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हमेशा हम दबे रहें अब ऐसा नहीं होगा जैसे हमने अंग्रेजों से अपने अधिकार के लिए मुकाबला किए हैं तो देसी सरकार से भी हम मुकाबला करने को लिए तैयार हैं,वैसे भी वनाधिकार के नाम पर हमारे साथ उचित न्याय नहीं किया जा रहा है। सामुदायिक वन अधिकार के तहत हमें वन भूमि का सामुदायिक मालिकाना हक दे दिया जाना चाहिए लेकिन यह नहीं मिल रहा है इसलिए हम अपने आप सामुदायिक वनाधिकार हासिल करके सरकार को जवाब देंगे (सामुदायिक वन अधिकार से वंचित समुदाय की आवाज) द्वारा-गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन
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