आर्थिक आधार पर आरच्छण की वकालत हो पर कुछ ऐसे हो”
१- जातिगत समानता (ऊंची,नीची जाति की भावना समाप्त हो)
२- शिच्छा में समानता(समान शिच्छा प्रणाली)
३- भूमि का समान बंटवारा हो (प्रति व्यक्ति पर)
४- रूपया और संपत्ति का समान बंटवारा(प्रति व्यक्ति)
५- शासकीय सेवा के पदों का समान बंटवारा हो (जनसंख्या के अनुपात में)
६- समस्त व्यापार,उद्योग का राष्ट्रीयकरण हो(उसमें प्रति व्यक्ति की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो)
७- चुनाव प्रक्रिया से भरे जाने वाले सभी राजनीतिक पदों पर का बंटवारा हो (जनसंख्या के अनुपात में)
(इतना काम करके समान नागरिक संहिता बनालो,आरच्छण समाप्त कर दो, संविधान बदल दो हमें मंजूर है ।)ये मेरे व्यक्तिगत विचारद्रष्टि है जरूरी नही कि हर मूलवासी इस बात से सहमत हो-gsmarkam
१- जातिगत समानता (ऊंची,नीची जाति की भावना समाप्त हो)
२- शिच्छा में समानता(समान शिच्छा प्रणाली)
३- भूमि का समान बंटवारा हो (प्रति व्यक्ति पर)
४- रूपया और संपत्ति का समान बंटवारा(प्रति व्यक्ति)
५- शासकीय सेवा के पदों का समान बंटवारा हो (जनसंख्या के अनुपात में)
६- समस्त व्यापार,उद्योग का राष्ट्रीयकरण हो(उसमें प्रति व्यक्ति की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो)
७- चुनाव प्रक्रिया से भरे जाने वाले सभी राजनीतिक पदों पर का बंटवारा हो (जनसंख्या के अनुपात में)
(इतना काम करके समान नागरिक संहिता बनालो,आरच्छण समाप्त कर दो, संविधान बदल दो हमें मंजूर है ।)ये मेरे व्यक्तिगत विचारद्रष्टि है जरूरी नही कि हर मूलवासी इस बात से सहमत हो-gsmarkam
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