"आदिवासियों के प्रथक धर्मकोड पर लगातार सेमिनार आयोजित हों "
आदिवासियों के प्रथक धर्मकोड पर लगातार सेमिनार और गुजरात झाारखंड दिल्ली और मप्र की ओर से जनगणना रजिस्टार को लिखे पत्र का जवाब यही आ रहा है कि आदिवासियों ने बहुत से धर्म लिखे हैं इसलिये उन्हें एक कोड दिया जाना संभव नहीं है जबकि 1871 सं लेकर 1941 तक जनजातियों की एक धर्म के अंतर्गत गणना की गई थी तब भी आदिवासी एक धर्म होड के बावजूद अनेक पंथों को मानने वाले थे अब कौन सी अडचन आ रही है कि जनगणना आयुक्त उन्हे एक कोड नहीं देना चाहते । जब हिन्दू धर्म में अनेक संप्रदाय हैं, मुस्लिम ,ईसाई में अलग अलग संप्रदाय हैं फिर भी उन्हें एक कोड दिया गया है, और जनजातियों को हिन्दू नहीं माना गया है तब उन्हें एक धर्मकोड देने में परेशानी नहीं होनी चाहिये । अतः हमें सजग रहना पडेगा 2021 की जनगणना के पूर्व यदि धर्म कोड नहीं दिया जाता तब तक हमारी तैयारी इतनी हो कि हम देश के सभी जनजाति समुदाय एक नाम पर सहमत हो जायें और यदि जनगणना में "अन्य" का कालम रहता है ,तब उसमें वही धर्म लिखें जो विभिन्न राज्यों में सेमिनार के माध्यम से रायसुमारी के बाद निर्धारित होने वाला है । ध्यान रहे धर्म नाम के इस महत्वपूर्ण बिन्दू पर सरकार सतर्क है क्योकि यही बिन्दू उसकी जडों को खोखला कर सकती है । मूलवासियों के मष्तिष्क से मनुवाद के भूत को उतार सकती है -gsmarkam
आदिवासियों के प्रथक धर्मकोड पर लगातार सेमिनार और गुजरात झाारखंड दिल्ली और मप्र की ओर से जनगणना रजिस्टार को लिखे पत्र का जवाब यही आ रहा है कि आदिवासियों ने बहुत से धर्म लिखे हैं इसलिये उन्हें एक कोड दिया जाना संभव नहीं है जबकि 1871 सं लेकर 1941 तक जनजातियों की एक धर्म के अंतर्गत गणना की गई थी तब भी आदिवासी एक धर्म होड के बावजूद अनेक पंथों को मानने वाले थे अब कौन सी अडचन आ रही है कि जनगणना आयुक्त उन्हे एक कोड नहीं देना चाहते । जब हिन्दू धर्म में अनेक संप्रदाय हैं, मुस्लिम ,ईसाई में अलग अलग संप्रदाय हैं फिर भी उन्हें एक कोड दिया गया है, और जनजातियों को हिन्दू नहीं माना गया है तब उन्हें एक धर्मकोड देने में परेशानी नहीं होनी चाहिये । अतः हमें सजग रहना पडेगा 2021 की जनगणना के पूर्व यदि धर्म कोड नहीं दिया जाता तब तक हमारी तैयारी इतनी हो कि हम देश के सभी जनजाति समुदाय एक नाम पर सहमत हो जायें और यदि जनगणना में "अन्य" का कालम रहता है ,तब उसमें वही धर्म लिखें जो विभिन्न राज्यों में सेमिनार के माध्यम से रायसुमारी के बाद निर्धारित होने वाला है । ध्यान रहे धर्म नाम के इस महत्वपूर्ण बिन्दू पर सरकार सतर्क है क्योकि यही बिन्दू उसकी जडों को खोखला कर सकती है । मूलवासियों के मष्तिष्क से मनुवाद के भूत को उतार सकती है -gsmarkam
Comments
Post a Comment