"2 अगस्त 2018 को भोपाल में भाजपा विरूद्ध मूलनिवासी आंदोलन का शंखनाद"
(भाजपा के विरूद्ध तीसरे मोर्चा का शंखनाद कांग्रेस यदि संविधान बचाना चाहती है तो इनके साथ मिलकर गठबंधन करे ।)
आज देश में भाजपा के क्रियाकलापों से देश का मूलनिवासी परिचित हो गया है । उसके संविधान बदलकर मनुस्मृति के संविधान की वकालत खुलकर सामने आ चुकी है । एैसे मौके पर देश का मूलनिवासी समुदाय जिसमें अनु0जाति जनजाति पिछडा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय एकत्र होकर इस संविधान विरोधी भाजपा के विरूद्ध एक साथ नहीं हुए तो मूलनिवासी समुदाय का भविष्य अंधेरे की गर्त में जाता दिखाई दे रहा है । इनके विजयी सांसद खुला बयान दे रहे हैं कि हम संविधान बदलने के लिये जीत कर आये हैं । और अभी संविधान के रहते हम समान नागरिक संहिंता का बिल लाकर देश में नागरिको के लिये समान नागरिक संहिता बनायेंगे । आप ही सोचें जब संविधान में समान नागरिक संहिंता लागू होगी सभी सामान्य नागरिक होगे तब आपको संविधान में प्रदत्त विशेष अधिकार आरक्षण का क्या होगा । अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का क्या होगा । प्रमोशन में आरक्षण जैसे विशेषाधिकार क्या सुरक्षित रह पायेंगे । जरा विचार करें । आरक्षण समाप्त हो जाने पर क्या सामान्य पदों सामान्य चुनाव क्षेत्रों से आपका जनप्रतिनिधि जीतकर आ पायेगा विचार करें । यदि आपको यह बात समझ में आ रही है । आरक्षण जैसे विशेषाधिकार के मायने समझते हों तो भाजपा जैसे अनु0जाति जनजाति पिछडा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोधी पार्टी को सत्ता में आने से रोकना होगा । इसके लिये मूलनिवासी हित में सोच रखने वाली पार्टियों को एकजुट होना होगा । यदि कांग्रेस मूलनिवासियों का हितैषी होने की बात करती है तो भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिये उसे स्वयं सामने आना होगा । चूंकि आज कांग्रेस की एैसी हालत है कि वह अकेले दम पर भाजपा को शिकस्त देने लायक नहीं बची है । इसका प्रमुख कारण है कि कांगे्रस में बैठे चडडी छाप कांग्रेसी अर्थात आर एस एस से जुडे लोग एैसा नहीं होने देना चाहते । उसी तरह भाजपा में दलित आदिवासी नेता जैसे उदित राज रामविलास पासवान रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसे सत्ता के लालची नेता व्यक्तिगत लाभ के लिये भाजपा का दामन थामें अपनी आंखों के सामने समाज के अधिकारों पर डाका डलते देखकर चुप्पी साधे हुए हैं । इन गददारों से उम्मीद करना हमारी भूल होगी । इसी तरह सपा बसपा जैसी समाज का मुखौटा लेकर समाज हित की बात करने वाली पार्टियां भी यदि मूलनिवासियों के अधिकारों के हनन को देखकर भी यदि भाजपा विरोधी मुहिम में अपने आप को शामिल नहीं करतीं तो समझ लें कि ये भी उदित राज रामविलास पासवान रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसी भूमिका में हैं इन्हें सबक सिखाने की आवश्यकता होगी । -gsmarkam
(भाजपा के विरूद्ध तीसरे मोर्चा का शंखनाद कांग्रेस यदि संविधान बचाना चाहती है तो इनके साथ मिलकर गठबंधन करे ।)
आज देश में भाजपा के क्रियाकलापों से देश का मूलनिवासी परिचित हो गया है । उसके संविधान बदलकर मनुस्मृति के संविधान की वकालत खुलकर सामने आ चुकी है । एैसे मौके पर देश का मूलनिवासी समुदाय जिसमें अनु0जाति जनजाति पिछडा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय एकत्र होकर इस संविधान विरोधी भाजपा के विरूद्ध एक साथ नहीं हुए तो मूलनिवासी समुदाय का भविष्य अंधेरे की गर्त में जाता दिखाई दे रहा है । इनके विजयी सांसद खुला बयान दे रहे हैं कि हम संविधान बदलने के लिये जीत कर आये हैं । और अभी संविधान के रहते हम समान नागरिक संहिंता का बिल लाकर देश में नागरिको के लिये समान नागरिक संहिता बनायेंगे । आप ही सोचें जब संविधान में समान नागरिक संहिंता लागू होगी सभी सामान्य नागरिक होगे तब आपको संविधान में प्रदत्त विशेष अधिकार आरक्षण का क्या होगा । अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का क्या होगा । प्रमोशन में आरक्षण जैसे विशेषाधिकार क्या सुरक्षित रह पायेंगे । जरा विचार करें । आरक्षण समाप्त हो जाने पर क्या सामान्य पदों सामान्य चुनाव क्षेत्रों से आपका जनप्रतिनिधि जीतकर आ पायेगा विचार करें । यदि आपको यह बात समझ में आ रही है । आरक्षण जैसे विशेषाधिकार के मायने समझते हों तो भाजपा जैसे अनु0जाति जनजाति पिछडा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोधी पार्टी को सत्ता में आने से रोकना होगा । इसके लिये मूलनिवासी हित में सोच रखने वाली पार्टियों को एकजुट होना होगा । यदि कांग्रेस मूलनिवासियों का हितैषी होने की बात करती है तो भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिये उसे स्वयं सामने आना होगा । चूंकि आज कांग्रेस की एैसी हालत है कि वह अकेले दम पर भाजपा को शिकस्त देने लायक नहीं बची है । इसका प्रमुख कारण है कि कांगे्रस में बैठे चडडी छाप कांग्रेसी अर्थात आर एस एस से जुडे लोग एैसा नहीं होने देना चाहते । उसी तरह भाजपा में दलित आदिवासी नेता जैसे उदित राज रामविलास पासवान रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसे सत्ता के लालची नेता व्यक्तिगत लाभ के लिये भाजपा का दामन थामें अपनी आंखों के सामने समाज के अधिकारों पर डाका डलते देखकर चुप्पी साधे हुए हैं । इन गददारों से उम्मीद करना हमारी भूल होगी । इसी तरह सपा बसपा जैसी समाज का मुखौटा लेकर समाज हित की बात करने वाली पार्टियां भी यदि मूलनिवासियों के अधिकारों के हनन को देखकर भी यदि भाजपा विरोधी मुहिम में अपने आप को शामिल नहीं करतीं तो समझ लें कि ये भी उदित राज रामविलास पासवान रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसी भूमिका में हैं इन्हें सबक सिखाने की आवश्यकता होगी । -gsmarkam
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