"वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध बगावत करें"
देश की आजादी के लिए सबसे पहले अंग्रेजो के विरुद्ध आदिवासियों ने जंग छेड़ा था। आज हमें पुनः देश को अन्याई अत्याचारियों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई लड़ना होगा। अंग्रेज भी तो यही करते थे। जो आज के सत्ता धारी कर रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में हमारे बीच के ही कुछ गद्दार अपने ही भाइयों के साथ गद्दारी करते थे उसी तरह आज भी हमारे बीच से ही कुछ गद्दार सत्ता धारियों की गुलामी में फंस कर हमसे गद्दारी कर रहे हैं इन्हें भी पहचान कर रखना होगा। देशकी आंतरिक पुलिस व्यवस्था में तैनात लोग हों या मिलिट्री से लेकर, शासकीय सेवा में लगे लोग हों । इन सबको वर्तमान व्यवस्था के विरूद्ध लामबंद होना होगा । अंग्रेजी शासन व्यवस्था के विरुद्ध जिस तरह असहयोग और बगावत की चिंगारी फूंकी गई थी उसी तरह वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध हमें बगावत करना होगा। हमारे अपने माईन्ड को सेट करना होगा । देश की जागरुक लोग यदि अंग्रेजों के विरुद्ध उठकर बगावत नहीं करते उनके विरुद्ध आंदोलन नहीं छेड़ते तो आज भी अंग्रेज हमारे देश से नहीं जाते। आज भी मुट्ठी भर मनुवादी अंग्रेजों की तरह बहुसंख्यकों के हक अधिकार को छीन रहे हैं लाख कोशिशों के बावजूद वे उच्च पदों पर बैठ कर बहुसंख्यकों पर ज़ुल्म ढाने रहे हैं। अंग्रेजी राज और वर्तमान राजनीतिक में कोई अंतर नहीं है
अंतर सिर्फ इतना है कि अंग्रेज गोरे थे।आज के अंग्रेज काले हैं। जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। इसलिए इनकी एक ही पहचान है। सत्ता के शीर्ष शासकीय अशासकीय व्यवस्था के शीर्ष में बैठा प्रत्येक व्यक्ति मनुवादी है,अंग्रेज है इनके विरुद्ध हर स्तर पर बगावत ही हमारी स्वतंत्रता का आधार होगा। बगावत बगावत बगावत अंग्रेजों की तरह मनुवादी व्यवस्था के विरुद्ध बगावत करें। असहयोग करें । यही हमारे मुक्ति का अंतिम यात्रा है।और कोई रास्ता नहीं।--gsmarkam
देश की आजादी के लिए सबसे पहले अंग्रेजो के विरुद्ध आदिवासियों ने जंग छेड़ा था। आज हमें पुनः देश को अन्याई अत्याचारियों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई लड़ना होगा। अंग्रेज भी तो यही करते थे। जो आज के सत्ता धारी कर रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में हमारे बीच के ही कुछ गद्दार अपने ही भाइयों के साथ गद्दारी करते थे उसी तरह आज भी हमारे बीच से ही कुछ गद्दार सत्ता धारियों की गुलामी में फंस कर हमसे गद्दारी कर रहे हैं इन्हें भी पहचान कर रखना होगा। देशकी आंतरिक पुलिस व्यवस्था में तैनात लोग हों या मिलिट्री से लेकर, शासकीय सेवा में लगे लोग हों । इन सबको वर्तमान व्यवस्था के विरूद्ध लामबंद होना होगा । अंग्रेजी शासन व्यवस्था के विरुद्ध जिस तरह असहयोग और बगावत की चिंगारी फूंकी गई थी उसी तरह वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध हमें बगावत करना होगा। हमारे अपने माईन्ड को सेट करना होगा । देश की जागरुक लोग यदि अंग्रेजों के विरुद्ध उठकर बगावत नहीं करते उनके विरुद्ध आंदोलन नहीं छेड़ते तो आज भी अंग्रेज हमारे देश से नहीं जाते। आज भी मुट्ठी भर मनुवादी अंग्रेजों की तरह बहुसंख्यकों के हक अधिकार को छीन रहे हैं लाख कोशिशों के बावजूद वे उच्च पदों पर बैठ कर बहुसंख्यकों पर ज़ुल्म ढाने रहे हैं। अंग्रेजी राज और वर्तमान राजनीतिक में कोई अंतर नहीं है
अंतर सिर्फ इतना है कि अंग्रेज गोरे थे।आज के अंग्रेज काले हैं। जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। इसलिए इनकी एक ही पहचान है। सत्ता के शीर्ष शासकीय अशासकीय व्यवस्था के शीर्ष में बैठा प्रत्येक व्यक्ति मनुवादी है,अंग्रेज है इनके विरुद्ध हर स्तर पर बगावत ही हमारी स्वतंत्रता का आधार होगा। बगावत बगावत बगावत अंग्रेजों की तरह मनुवादी व्यवस्था के विरुद्ध बगावत करें। असहयोग करें । यही हमारे मुक्ति का अंतिम यात्रा है।और कोई रास्ता नहीं।--gsmarkam
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