"मनुवाद के विरूद्ध एकजुटता का परिचय देने का वक्त आ गया है ।"
देश में एक बहुत बडी धटना घट गई जिसे किसी मीडिया ने प्रसारित नहीं किया थोडा बहुत छपा भी तो एक कोने का समाचार बनकर रह गया है । यह घटना है देश में अम्बेडकरी मिशन का सबसे बडा बौद्धिक वर्ग बामसेफ का राजनैतिक संगठन बीएमपी का लोकतांत्रिक जनता दल में विलय । अब यह बौद्धिक वर्ग शरद यादव को पीछे से बहुत बडी ताकत के रूप में खडा हो चुका है । सभी को ज्ञात है कि वामन मेश्राम जी के नेतृत्व में चल रहा बामसेफ ही मात्र एैसा संगठन है जो आज आरएसएस जैसे संगठन को खुली चुनौती देता दिखाई देता है । बामसेफ के अनुशासित बौद्धिक कार्यकर्ता पूरे देश भर में फैले हैं जो मनुवादी व्यवस्था के विरूद्ध लगातार अपने आंदोलन को चलाकर मूलनिवासियों का माईड सेट कर रहे हैं । आरएसएस और भाजपा की मूलनिवासी विरोधी खुली चुनौती के चलते देश में राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक वर्ग ने चिंतन मनन शुरू कर दिया है । सभी राजीतिक सामाजिक संगठन एकजुटता के लिये प्रयासरत हैं एैसे में गोंडवाना का आदिवासी आंदोलन अलग थलग ना पड जाय इसका ख्याल रखना होगा । अन्यथा उदित राज ,रामविलास पासवान, रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसे मनुवाद के समर्थक चमचों की श्रेणी में हमारा आदिवासी आंदोलन बदनाम हो सकता है । आज की परिस्थितियों को देखते हुए देश को मनुवाद के खिलाफ एकजुटता का परिचय देना होगा। आज की यही मूल आवश्यकता है ।-gsmarkam
देश में एक बहुत बडी धटना घट गई जिसे किसी मीडिया ने प्रसारित नहीं किया थोडा बहुत छपा भी तो एक कोने का समाचार बनकर रह गया है । यह घटना है देश में अम्बेडकरी मिशन का सबसे बडा बौद्धिक वर्ग बामसेफ का राजनैतिक संगठन बीएमपी का लोकतांत्रिक जनता दल में विलय । अब यह बौद्धिक वर्ग शरद यादव को पीछे से बहुत बडी ताकत के रूप में खडा हो चुका है । सभी को ज्ञात है कि वामन मेश्राम जी के नेतृत्व में चल रहा बामसेफ ही मात्र एैसा संगठन है जो आज आरएसएस जैसे संगठन को खुली चुनौती देता दिखाई देता है । बामसेफ के अनुशासित बौद्धिक कार्यकर्ता पूरे देश भर में फैले हैं जो मनुवादी व्यवस्था के विरूद्ध लगातार अपने आंदोलन को चलाकर मूलनिवासियों का माईड सेट कर रहे हैं । आरएसएस और भाजपा की मूलनिवासी विरोधी खुली चुनौती के चलते देश में राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक वर्ग ने चिंतन मनन शुरू कर दिया है । सभी राजीतिक सामाजिक संगठन एकजुटता के लिये प्रयासरत हैं एैसे में गोंडवाना का आदिवासी आंदोलन अलग थलग ना पड जाय इसका ख्याल रखना होगा । अन्यथा उदित राज ,रामविलास पासवान, रामदास आठवाले और राजस्थान के मेघवाल जैसे मनुवाद के समर्थक चमचों की श्रेणी में हमारा आदिवासी आंदोलन बदनाम हो सकता है । आज की परिस्थितियों को देखते हुए देश को मनुवाद के खिलाफ एकजुटता का परिचय देना होगा। आज की यही मूल आवश्यकता है ।-gsmarkam
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