प्रधानमंत्री को जान का खतरा नहीं,"क्राउन आप इंडिया" का खतरा है।
यह बात भले ही अतिशयोक्ति पूर्ण लगे लेकिन मेरी दृष्टि से यह प्रसंग जान का नहीं वरन भारत की धन धरती और उसकी माल्कियत का है।जिन बुद्धजीवियों चाहे वे कम्युनिस्ट विचारधारा के हों या समाज वादी, प्रकृतिवादी विचार के हों,भारत की आत्मा से अच्छी तरह परिचित हैं। उन्हें लगा कि इस देश के मूल वंशजों के साथ कहीं ना कहीं नाइंसाफी हो रही है।उनकी धन धरती से लगातार उन्हें विस्थापित किया जाना उन्हें जंगली,असभ्य कहकर उनकी सरलता,सहजता को अग्यानता कहकर उनके विकास के नाम पर उन्हें समूल नष्ट करने के सत्ताधारी प्रयासों को मानवता वादी समझ रहा था । इसलिए उनमें वैचारिक , व्यवहारिक चेतना पैदा करने के लिए उनके बीच उन्ही की तरह जीवन जीकर एहसास किया। उनके दुख दर्द को मिटाने का संकल्प लेकर साहित्य सृजन के साथ उनके स्वाभिमान को जगाने का प्रयास किया गया उसका परिणाम यह हुआ कि भूमिपुत्रों में आत्मविश्वास जागृत हुआ। सर्वहारा वर्ग की श्रेणी का एहसास हुआ। भूमिपुत्र इन साम्यवादी, समाजवादी, वर्तमान अम्बेडकरी विचारों से लगातार चैतन्य होता गया। आज वह तैयार होकर देश के मालिक होने का खुलेआम ऐलान कर रहा है। इन मालिकों पर सीधा वार नहीं किया जा सकता।यह सत्ताधारी भी जानता है।और यह भी जानता है कि इनके पीछे मानवतावादी, बुद्धिजीवी खड़ा है, इसलिए भूमिपुत्रों को अलगाववादी, देशद्रोही,या नक्शलवादी करार देकर देश और दुनिया के सामने इन्हें दोषी बनाते जाने का प्रयत्न किया जा रहा है। परंतु सत्ताधारी वर्ग, भूमि पुत्रों के "क्राउन होल्डर आफ इंडिया" की शक्ति को जानते हैं। इसलिए इन पर गुस्सा दिखाने की बजाय इन्हें जागरुक करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार आदि को हतोत्साहित करने का काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि मोदी को जान का खतरा बताकर भूमिपुत्रों में चेतना पैदा करने वाले विशिष्ट लोगों,को अकारण परेशान किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। क्योंकि इन बुद्धिजीवियों ने भूमिपुत्रों को "क्राउन आफ इंडिया" का असली हकदार होने एहसास कराया है। सत्ताधारी इसी भय से भयभीत हैं।और कोई कारण नहीं।-gsmarkam
यह बात भले ही अतिशयोक्ति पूर्ण लगे लेकिन मेरी दृष्टि से यह प्रसंग जान का नहीं वरन भारत की धन धरती और उसकी माल्कियत का है।जिन बुद्धजीवियों चाहे वे कम्युनिस्ट विचारधारा के हों या समाज वादी, प्रकृतिवादी विचार के हों,भारत की आत्मा से अच्छी तरह परिचित हैं। उन्हें लगा कि इस देश के मूल वंशजों के साथ कहीं ना कहीं नाइंसाफी हो रही है।उनकी धन धरती से लगातार उन्हें विस्थापित किया जाना उन्हें जंगली,असभ्य कहकर उनकी सरलता,सहजता को अग्यानता कहकर उनके विकास के नाम पर उन्हें समूल नष्ट करने के सत्ताधारी प्रयासों को मानवता वादी समझ रहा था । इसलिए उनमें वैचारिक , व्यवहारिक चेतना पैदा करने के लिए उनके बीच उन्ही की तरह जीवन जीकर एहसास किया। उनके दुख दर्द को मिटाने का संकल्प लेकर साहित्य सृजन के साथ उनके स्वाभिमान को जगाने का प्रयास किया गया उसका परिणाम यह हुआ कि भूमिपुत्रों में आत्मविश्वास जागृत हुआ। सर्वहारा वर्ग की श्रेणी का एहसास हुआ। भूमिपुत्र इन साम्यवादी, समाजवादी, वर्तमान अम्बेडकरी विचारों से लगातार चैतन्य होता गया। आज वह तैयार होकर देश के मालिक होने का खुलेआम ऐलान कर रहा है। इन मालिकों पर सीधा वार नहीं किया जा सकता।यह सत्ताधारी भी जानता है।और यह भी जानता है कि इनके पीछे मानवतावादी, बुद्धिजीवी खड़ा है, इसलिए भूमिपुत्रों को अलगाववादी, देशद्रोही,या नक्शलवादी करार देकर देश और दुनिया के सामने इन्हें दोषी बनाते जाने का प्रयत्न किया जा रहा है। परंतु सत्ताधारी वर्ग, भूमि पुत्रों के "क्राउन होल्डर आफ इंडिया" की शक्ति को जानते हैं। इसलिए इन पर गुस्सा दिखाने की बजाय इन्हें जागरुक करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार आदि को हतोत्साहित करने का काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि मोदी को जान का खतरा बताकर भूमिपुत्रों में चेतना पैदा करने वाले विशिष्ट लोगों,को अकारण परेशान किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। क्योंकि इन बुद्धिजीवियों ने भूमिपुत्रों को "क्राउन आफ इंडिया" का असली हकदार होने एहसास कराया है। सत्ताधारी इसी भय से भयभीत हैं।और कोई कारण नहीं।-gsmarkam
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