*खबरदार होशियार संविधान को ऐसे लोगों से भी खतरा है*
(समुदाय और पद की गरिमा को भी गिरवी रखने से नहीं चूकते पार्टियों के गुलाम आदिवासी जनप्रतिनिधि)
आदिवासी स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने और संवेधानिक पद की गरिमा को गिरवी रखने का मामला प्रकाश में आया है पांचवी सूची अंतर्गत आने वाले ब्लाक चिचोली जिला बैतूल से चिचोली जनपद पंचायत के अध्यक्ष हैं आदिवासी चिरोंजीलाल कवडे। यह कवडे महोदय जिस पार्टी के इशारे से अध्यक्ष बनें हैं पार्टी नेताओं के इतने गुलाम हो चुके हैं कि 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्व मैं अपने जनपद क्षेत्र में आयोजित मुख्य ध्वजारोहण समारोह जिसमें वे शासन के नियमानुसार संवैधानिक हकदार हैं । परंतु अज्ञात कारण कहें या अज्ञात भय जिसके कारण चिचोली नगर परिषद् के अध्यक्ष जोकि गैर आदिवासी है उन्हें ध्वजारोहण के लिए अधिकृत कर दिया। ऐसी बात नहीं कि वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे । शामिल तो होंगे लेकिन अपनी गुलामगिरी और व्यक्तिगत अक्षमता को समुदाय की अक्षमता का नमूना दिखाकर अपने समुदाय और संवेधानिक पद की गरिमा को कालिख पोतते दिखाई देंगे।
जबकि आयोजन के लिए हुई मीटिंग में तहसीलदार के द्वारा जनपद अध्यक्ष को ही ध्वजारोहण का संवैधानिक अधिकार है,की जानकारी दी जा चुकी थी फिर भी इस गुलाम का स्वाभिमान नहीं जागा तब क्या ऐसे जनप्रतिनिधियों को आदिवासी समुदाय के द्वारा सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इस गुलाम नेता ने समाज के गौरव को चोट पहुंचाया है साथ ही संवैधानिक पद की गरिमा को भी चोट पहुंचाया है। इस समाचार को बैतूल जिले के कोने-कोने में पहुंचाया जाए ताकि उसका समाजिक बहिष्कार हो सके। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक है कि भविष्य में इस तरह के गुलाम नेताओं की पैदाइश ना हो-gsmarkam
(समुदाय और पद की गरिमा को भी गिरवी रखने से नहीं चूकते पार्टियों के गुलाम आदिवासी जनप्रतिनिधि)
आदिवासी स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने और संवेधानिक पद की गरिमा को गिरवी रखने का मामला प्रकाश में आया है पांचवी सूची अंतर्गत आने वाले ब्लाक चिचोली जिला बैतूल से चिचोली जनपद पंचायत के अध्यक्ष हैं आदिवासी चिरोंजीलाल कवडे। यह कवडे महोदय जिस पार्टी के इशारे से अध्यक्ष बनें हैं पार्टी नेताओं के इतने गुलाम हो चुके हैं कि 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्व मैं अपने जनपद क्षेत्र में आयोजित मुख्य ध्वजारोहण समारोह जिसमें वे शासन के नियमानुसार संवैधानिक हकदार हैं । परंतु अज्ञात कारण कहें या अज्ञात भय जिसके कारण चिचोली नगर परिषद् के अध्यक्ष जोकि गैर आदिवासी है उन्हें ध्वजारोहण के लिए अधिकृत कर दिया। ऐसी बात नहीं कि वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे । शामिल तो होंगे लेकिन अपनी गुलामगिरी और व्यक्तिगत अक्षमता को समुदाय की अक्षमता का नमूना दिखाकर अपने समुदाय और संवेधानिक पद की गरिमा को कालिख पोतते दिखाई देंगे।
जबकि आयोजन के लिए हुई मीटिंग में तहसीलदार के द्वारा जनपद अध्यक्ष को ही ध्वजारोहण का संवैधानिक अधिकार है,की जानकारी दी जा चुकी थी फिर भी इस गुलाम का स्वाभिमान नहीं जागा तब क्या ऐसे जनप्रतिनिधियों को आदिवासी समुदाय के द्वारा सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इस गुलाम नेता ने समाज के गौरव को चोट पहुंचाया है साथ ही संवैधानिक पद की गरिमा को भी चोट पहुंचाया है। इस समाचार को बैतूल जिले के कोने-कोने में पहुंचाया जाए ताकि उसका समाजिक बहिष्कार हो सके। ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक है कि भविष्य में इस तरह के गुलाम नेताओं की पैदाइश ना हो-gsmarkam
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