"कहीं एैसा तो नहीं कि गोंडवाना समग्र क्रांति आन्दोलन का राजनीतिक पक्ष अभी भी अपने शैशव काल में है।"
गोंडवाना समग्र क्रांति आन्दोलन की विभ्न्नि महत्वपूर्ण शाखायें भाषा धर्म संस्कृति एवं साहित्य के क्षेत्र में शनैः शनैः अग्रसर हो रहीं हैं । हालांकि इन रास्तों में भी अनेक बाधाऐं हैं । गोंडियन धार्मिक रास्ते में धार्मिक आंदोलनकारी कुछ अलग अलग तरीके से गोंडवाना के इस पक्ष को रखकर आगे बढ रहे हैं पर जय सेवा के मंत्र को आत्मसात करके चल रहे हैं । कोई बात नहीं हिन्दू धर्म में कई शाखायें हैं वे शैवमती वैष्णवमती या गायत्री के माध्यम से हिन्दुत्व को बरकरार रखकर मौके पर हिन्दुत्व को अपना अंतिम हथियार मान लेते हैं । इसी तरह गोंडवाना आंदोलन का धार्मिक पक्ष भले ही बडादेव बूढादेव के झंझट में उल्झा हो या मूलवासी मूलनिवासी कौन की व्याख्या में लगा हो तथा ज्यूडीशियल नान ज्यूडीशियल को अपने रीतिरिवाज को अपना अस्त्र बनाकर संगठित हो रहा हो पर सब एक ही धारा के पक्षधर हैं इसलिये हम एक तीर एक कमान आदिवासी आदिवासी एक समान हैं यह भावना बलवती हो रही है । जो भविष्य में सांस्कृतिक धार्मिक समर में सब एकदूसरे के सहयोगी होगे।
परन्तु आदिवासियों का राजनीतिक पक्ष अभी भी कमजोर दिखाई दे रहा है । कोई गठबंधन का पक्षधर है तो कोई कथित बडे दलों से गठबंधन से लाभ देख रहा है । कोई स्वतंत्र होकर चुनाव लडने की बकालत कर रहा है आखिर गोंडवाना की राजनीति का स्थायी ऐजेंडा क्या है । क्या यह भी आंदोलन की अन्य बिंदुओ की तरह विभिन्न रास्तों पर चलकर राजननीति में अपनी विश्वस्नीयता खोते हुए विभाजित मानसिकता के साथ आगे बढेगी । यही स्थिति रही तो राजनीतिक क्षेत्र में परिणाम की आशा नहीं की जा सकती । इस विभाग को और भी राजनीतिक रूप से परिपक्व होने की आवश्यकता है । समाज और राजनीतिक क्षेत्र में अपने आपको विश्वस्नीय स्तर पर लाना होगा । तभी अन्य राजनीतिक दलों के बीच गोंडवाना के राजनीतिक शाखा की विश्वसनीयता बढेगी । अभी तक गोंडवाना आंदोलन का राजनीतिक पक्ष अविश्वसनीयता का शिकार हो रहा है । इसकी पूछ परख को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है । 20118 गोंडवाना की राजनीति का उज्जवल समय है परन्तु गोंडवाना आंदोलन की राजनीतिक शाखा पारदर्शिता के साथ आगे बढे तो जनता के साथ समान विचारधारा के राजनीतिक दल भी आपके सहयोगी बन सकते हैं अन्यथा अलग थलग पडकर 2019 तक अपने अस्तित्व की रक्षा कर पाना संदेहास्पद लगाता है by-akhand gondwana samachar
गोंडवाना समग्र क्रांति आन्दोलन की विभ्न्नि महत्वपूर्ण शाखायें भाषा धर्म संस्कृति एवं साहित्य के क्षेत्र में शनैः शनैः अग्रसर हो रहीं हैं । हालांकि इन रास्तों में भी अनेक बाधाऐं हैं । गोंडियन धार्मिक रास्ते में धार्मिक आंदोलनकारी कुछ अलग अलग तरीके से गोंडवाना के इस पक्ष को रखकर आगे बढ रहे हैं पर जय सेवा के मंत्र को आत्मसात करके चल रहे हैं । कोई बात नहीं हिन्दू धर्म में कई शाखायें हैं वे शैवमती वैष्णवमती या गायत्री के माध्यम से हिन्दुत्व को बरकरार रखकर मौके पर हिन्दुत्व को अपना अंतिम हथियार मान लेते हैं । इसी तरह गोंडवाना आंदोलन का धार्मिक पक्ष भले ही बडादेव बूढादेव के झंझट में उल्झा हो या मूलवासी मूलनिवासी कौन की व्याख्या में लगा हो तथा ज्यूडीशियल नान ज्यूडीशियल को अपने रीतिरिवाज को अपना अस्त्र बनाकर संगठित हो रहा हो पर सब एक ही धारा के पक्षधर हैं इसलिये हम एक तीर एक कमान आदिवासी आदिवासी एक समान हैं यह भावना बलवती हो रही है । जो भविष्य में सांस्कृतिक धार्मिक समर में सब एकदूसरे के सहयोगी होगे।
परन्तु आदिवासियों का राजनीतिक पक्ष अभी भी कमजोर दिखाई दे रहा है । कोई गठबंधन का पक्षधर है तो कोई कथित बडे दलों से गठबंधन से लाभ देख रहा है । कोई स्वतंत्र होकर चुनाव लडने की बकालत कर रहा है आखिर गोंडवाना की राजनीति का स्थायी ऐजेंडा क्या है । क्या यह भी आंदोलन की अन्य बिंदुओ की तरह विभिन्न रास्तों पर चलकर राजननीति में अपनी विश्वस्नीयता खोते हुए विभाजित मानसिकता के साथ आगे बढेगी । यही स्थिति रही तो राजनीतिक क्षेत्र में परिणाम की आशा नहीं की जा सकती । इस विभाग को और भी राजनीतिक रूप से परिपक्व होने की आवश्यकता है । समाज और राजनीतिक क्षेत्र में अपने आपको विश्वस्नीय स्तर पर लाना होगा । तभी अन्य राजनीतिक दलों के बीच गोंडवाना के राजनीतिक शाखा की विश्वसनीयता बढेगी । अभी तक गोंडवाना आंदोलन का राजनीतिक पक्ष अविश्वसनीयता का शिकार हो रहा है । इसकी पूछ परख को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है । 20118 गोंडवाना की राजनीति का उज्जवल समय है परन्तु गोंडवाना आंदोलन की राजनीतिक शाखा पारदर्शिता के साथ आगे बढे तो जनता के साथ समान विचारधारा के राजनीतिक दल भी आपके सहयोगी बन सकते हैं अन्यथा अलग थलग पडकर 2019 तक अपने अस्तित्व की रक्षा कर पाना संदेहास्पद लगाता है by-akhand gondwana samachar
Comments
Post a Comment