(भारतीय संविधान केन्द्रीयकरण का संविधान है ।)
:-संविधान के माध्यम से समाज को लोकतंत्र सिखाने के अवलोक में लिखा गया है ।
चूंकि डा0 अम्बेडकर को संविधान लिखने का पर्याप्त समय और स्वतंत्रता दी गई थी जिसके कारण उन्होने दलित, शोषितो, पिछडे लोगों के प्रति जमीदारों, दबंगों ,शोषकों के अमानवीय क्रियाकलापों को देखते हुए दिमागी वंचना को संविधान में उतार दिया ताकि एैसे अमानवीय क्रियाकलाप पर अंकुश लगाया जा सके ।
यही कारण है कि सारे कानून दण्ड पर आधारित हैं । जोकि सुधार के उददेष्य से स्थापित किये गये हैं । इसका सीधा अर्थ समाज का संविधान के माध्यम से केन्द्रीयकरण करने का प्रयास है ताकि देश में लोकतंत्र व्यवस्था कायम करने के लिये समाज को समता स्वतंत्रता बंधुत्व एवं न्याय का मायना सिखाया जाय ।
देश में सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में "स्वस्थ्य लोकतंत्र" पहले से ही विद्धमान रहा है । जिन क्षेत्रों और समुदायों में तत्कालीन समय में भी लोकतंत्र की परंपरा कायम थी एैसे क्षेत्रों और समुदायों की पहचान करके एैसे क्षेत्रों को 5वीं और 6वीं अनुसूचि का कानून बनाकर "लोकतंत्र सिखाने का स्कूल" के रूप में अधिसूचित किया गया । यही कारण है कि इस लोकतंत्र की पाठशाला यानि अधिसूचित क्षेत्रो के लिये भारतीय संविधान के किसी भी कानून में एैसे क्षेत्रों में बिना आदिवासियों की परंपरागत ग्राम सभा की अनुमति के कोई भी कानून प्रभावी नहीं होता है।- Gsmarkam
:-संविधान के माध्यम से समाज को लोकतंत्र सिखाने के अवलोक में लिखा गया है ।
चूंकि डा0 अम्बेडकर को संविधान लिखने का पर्याप्त समय और स्वतंत्रता दी गई थी जिसके कारण उन्होने दलित, शोषितो, पिछडे लोगों के प्रति जमीदारों, दबंगों ,शोषकों के अमानवीय क्रियाकलापों को देखते हुए दिमागी वंचना को संविधान में उतार दिया ताकि एैसे अमानवीय क्रियाकलाप पर अंकुश लगाया जा सके ।
यही कारण है कि सारे कानून दण्ड पर आधारित हैं । जोकि सुधार के उददेष्य से स्थापित किये गये हैं । इसका सीधा अर्थ समाज का संविधान के माध्यम से केन्द्रीयकरण करने का प्रयास है ताकि देश में लोकतंत्र व्यवस्था कायम करने के लिये समाज को समता स्वतंत्रता बंधुत्व एवं न्याय का मायना सिखाया जाय ।
देश में सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में "स्वस्थ्य लोकतंत्र" पहले से ही विद्धमान रहा है । जिन क्षेत्रों और समुदायों में तत्कालीन समय में भी लोकतंत्र की परंपरा कायम थी एैसे क्षेत्रों और समुदायों की पहचान करके एैसे क्षेत्रों को 5वीं और 6वीं अनुसूचि का कानून बनाकर "लोकतंत्र सिखाने का स्कूल" के रूप में अधिसूचित किया गया । यही कारण है कि इस लोकतंत्र की पाठशाला यानि अधिसूचित क्षेत्रो के लिये भारतीय संविधान के किसी भी कानून में एैसे क्षेत्रों में बिना आदिवासियों की परंपरागत ग्राम सभा की अनुमति के कोई भी कानून प्रभावी नहीं होता है।- Gsmarkam
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