"स्वशासन और स्वायत्तता पर हमला"
काश्मीर की धारा ३७० की स्वायत्तता का अधिकार और आदिवासीयो के लिये सन्विधान में उल्लिखित ५वी और ६वी अनुसूची के तहत कुछ समान अधिकार प्राप्त हैं। सिर्फ एक अन्तर है कश्मीर के लिये विधानसभा की चुनी गई सरकार अपने राज्य के हित में केन्द्र सरकार के कानून को माने या ना माने।पर ५वी और ६वी अनुसूची घोषित क्षेत्रों में कुछ इस तरह की स्वायत्तता है कि इन क्षेत्रों के आदिवासीयो की बिना सहमति के सन्विधान का कोई कानून इन क्षेत्रों में प्रभावी नहीं होगा। यह स्वायतता,
आपके इस देश का मालिक होने की तरफ इशारा करता है। इसलिये सत्ताधारियो जिसमें कान्ग्रेस हो या भाजपा इस देश के मालिकों का पूरी तरह से सफाया करना चाहता है । अन्यथा इनमें यदि"हम इस देश के मालिक हैं" इस बात का एहसास हो जायेगा तब ये परदेशीयो को उस नजर से देखने लगेंगे तब परदेशी मूलनिवासीयो की नजरों से गिर जाने वाले हैं। और आपको पता है जब कोई किसी की नजरों से गिर जाता है, तब लाख कोशिश के बाद भी उसके प्रति पुनः सम्मान स्थापित होना मुश्किल हो जाता है। तत्कालीन शासक समुदाय पर वर्तमान शासकों द्वारा किया जा रहा आपरेशन इसका उदाहरण है,कि आदिवासी को"नक्सली,अलगाववादी" तथा मुस्लिम को आतन्कवादी के रूप में भारतीय जनमानस के बीच प्रचारित किया जाय ताकि सन्विधान में बनी सामान्य कानूनों के जाल में फंसाकर इनके"स्वशासन /स्वायत्तता के अधिकारों को निरस्त किया जा सके । इस पर चिन्तन करें।- Gsmarkam
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