"धर्म और पुनेम"
बहुत से फेसबुक मित्र आदिवासी हितों की बात करते हैं पर आदिवासीयो के मूल पुनेम (धर्म) को आम धर्म और पन्थो की तराजू में रखकर उसका मूल्यांकन करते हैं जो उनकी प्रकृति वाद और आदिवासियत की कम जानकारी द्योतक है। एैसे लोगों के विचारों का मूल्यांकन करने से समझ में आता है कि ये लोग अभी भी मनुवादी "ब्राह्मण धर्म" से मुक्त नहीं हो पाये हैं ।हम हिन्दू नहीं हमारा रास्ता अलग हैं एैसा कहने में किसी भय से या अन्य कारणों से घबराहट है । मेरा मानना है कि जब आदिवासी हिन्दू नहीं तब क्या है ? क्या उसकी अपनी जीवन जीने की पद्धति का रास्ता उनके पूर्वजो ने नही बनाया था
। वह रास्ता क्या था और क्या है इसकी समझ नही होना चाहिये क्या ? आदिवासी को धर्म विहीन बताकर कही हम उनमें धर्मांतरण की मानसिकता तो पैदा नहीं कर रहे ? इस बात का ख्याल रखना होगा अन्यथा आदिवासी के रीति रिवाज, परम्पराये, रूढिगत ढान्चा यदि तहस नहस हुआ तो आदिवासियत की पहचान समाप्त हो जायेगी ! जब पुन: आदिवासी होने के मापदन्ड के आधार पर आपका सर्वे होगा तब तक आप आदिवासियत के मापदन्ड पर खरा नही उतर पायेगे । अर्थात सन्विधान के माध्यम से मिलने वाले लाभ से भी वन्चित हो जायेगे । अनुसूचित क्षेत्रो का अस्तित्व भी खतरे मे होगा । जब आपको पता है कि आदिवासी होने का मापदन्ड उसकी भाषा धर्म सन्सक्रति और मान्यताऐ महत्वपूर्ण भूमिका मे है तब धर्मान्तरण या अन्य धर्म मे रहकर कैसे सुरक्षित रख पायेगे ? यदि आपकी पहचान मिटी आप आदिवासी नही रह गये जब देश मे आदिवासी नही तब आपका विशेष दर्जा समाप्त । जिसे इस विषय पर और अधिक चर्चा करना है या इसमें सन्देह है उनकी जिज्ञासा पूर्ति के लिये हम सदैव तैयार है ।- Gsmarkam"आदिवासीयो के प्रथक धर्म कोड पर विचार"
साथियों रजिस्ट्रार जनरल आफ इन्डिया को आदिवासीयो का धर्म कोड देना मजबूरी होगी,वशर्ते सभी आदिवासी जन समुदाय केवल एक धर्म कोड की मांग करे । यदि इस मान्ग सर कोताही बरती गई तो जागरूक आदिवासी समुदाय २०२१ में अन्य धर्म के कालम में प्रक्रति /आदि या सर्वसम्मति से राष्ट्रीय आदिवासी धर्म परिषद् द्वारा प्रस्तावित नाम के धर्म को ही अन्कित करायेंगे। इस पर सविधानिक अडचन या आपके अधिकारों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडेगा ।हा इस प्रस्तावित कोड के दायरे में नहीं आने वाले व्यक्ति, समूह या समुदाय के सन्विधानिक अधिकारों पर अवश्य विपरीत प्रभाव पड़ सारा है। इससे पहले हमारे धर्म कोड पर अभ्यास करने वाले साथियों से अनुरोध है कि वे एक सर्वसम्मति से आदिवासी स्वीय विधि यानी (आदिवासी पर्सनल ला) की तैयारी में जुटे। ताकि आदिवासीयो के प्रथक धर्म कोड का मार्ग आसान हो जाये। -Gsmarkam
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