"आदिवासी के ज्यूडिसियल और नान ज्यूडिसियल की कथा"
5 वीं अनुसूचि का छोटा बच्चा पेसा कानून भी आदिवासियों की रूढी परंपरा, रूढीजन्य विधि और सामाजिक , धार्मिक प्रथाओं के साथ परंपरागत प्रबंध पद्धतियों के सम्बंध में भी ग्राम सभा को शक्ति देता है । अर्थात आदिवासियों के धर्म के अस्तित्व को स्वीकारता है तब आदिवासी अपने अधिकारों के साथ साथ अपने धर्म की मजबूती के लिये कार्य क्यों नहीं करना चाहिये । वह क्यों गुमराह हो रहा है क्या हम अपने गोंडी, सरना ,आदि धर्म इत्यादि धर्म को मानेंगे स्थापित करते हैं तो क्या आदिवासी ज्यूडीसियल हो जायेगे ? कहां का तर्क है ।
जब आदिवासी हिंदू, ईसाई या अन्य धर्म में चला गया है तब भी क्या वो नान ज्यूडिसियल बना रहेगा । और यदि आदिवासी अपने मूल धर्म को मजबूत करेगा धर्म कोड लेगा तो ज्यूडिसियल हो जायेगा उसको संवैधानिक लाभ का खतरा हो जायेगा । ये बेतुकी बातों से सावधान रहना होगा । अपने हक अधिकारों की लडाई लगातार लडें लेकिन अपनी पहचान को भी बनाये रखना आवश्यक है ।-gsmarkam
5 वीं अनुसूचि का छोटा बच्चा पेसा कानून भी आदिवासियों की रूढी परंपरा, रूढीजन्य विधि और सामाजिक , धार्मिक प्रथाओं के साथ परंपरागत प्रबंध पद्धतियों के सम्बंध में भी ग्राम सभा को शक्ति देता है । अर्थात आदिवासियों के धर्म के अस्तित्व को स्वीकारता है तब आदिवासी अपने अधिकारों के साथ साथ अपने धर्म की मजबूती के लिये कार्य क्यों नहीं करना चाहिये । वह क्यों गुमराह हो रहा है क्या हम अपने गोंडी, सरना ,आदि धर्म इत्यादि धर्म को मानेंगे स्थापित करते हैं तो क्या आदिवासी ज्यूडीसियल हो जायेगे ? कहां का तर्क है ।
जब आदिवासी हिंदू, ईसाई या अन्य धर्म में चला गया है तब भी क्या वो नान ज्यूडिसियल बना रहेगा । और यदि आदिवासी अपने मूल धर्म को मजबूत करेगा धर्म कोड लेगा तो ज्यूडिसियल हो जायेगा उसको संवैधानिक लाभ का खतरा हो जायेगा । ये बेतुकी बातों से सावधान रहना होगा । अपने हक अधिकारों की लडाई लगातार लडें लेकिन अपनी पहचान को भी बनाये रखना आवश्यक है ।-gsmarkam
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