"आदिवासी एकता का आधार"
कुछ लोग बड़ी आसानी से कह देते हैं कि आदिवासी एकता में धर्म आडे आता है, मगर मेरा मानना है। यदि हम आदिवासी हैं तो हमारा धर्म भी एक होना चाहिए। तभी हम एक आराधना एक आस्था स्थल एक मार्ग एक इष्ट एक रीति रिवाज और एक पर्सनल ला से सन्चालित होकर एक सोच,एक विचार,एक व्यवहार का सन्युक्त प्रभाव डाल सकेंगे। यही आदिवासी एकता की महत्वपूर्ण कड़ी है । अन्यथा अलग रीतिरिवाज, अलग अलग इष्ट, अलग अलग अराधना, अलग अलग अराधना स्थल, अलग अलग पर्सनल ला, तब कैसी आदिवासी एकता ? आदिवासी एकता के लिये उपरोक्त बिन्दुओ पर गहन विचार करना होगा । अपनी व्यक्तिगत आकान्क्षाओ को किनारे रखकर कुछ त्याग और बलिदान करना होगा । अन्यथा धर्मों, मजहबों, रिलीजन और पन्थो के ठेकेदार आदिवासीयो को सदैव अलग करके ही रखने वाले है । रोजी रोटी जल जन्गल जमीन और आदिवासी अस्मिता की लडाई एक धर्म के झन्डे तले ज्यादा मजबूती के साथ लडी जा सकती है । हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई एकता का आधार धर्म है , इसी तरह आदिवासी एकता का आधार "प्रकृति पुनेम या आदि धर्म" हो सकता है । -Gsmarkam
कुछ लोग बड़ी आसानी से कह देते हैं कि आदिवासी एकता में धर्म आडे आता है, मगर मेरा मानना है। यदि हम आदिवासी हैं तो हमारा धर्म भी एक होना चाहिए। तभी हम एक आराधना एक आस्था स्थल एक मार्ग एक इष्ट एक रीति रिवाज और एक पर्सनल ला से सन्चालित होकर एक सोच,एक विचार,एक व्यवहार का सन्युक्त प्रभाव डाल सकेंगे। यही आदिवासी एकता की महत्वपूर्ण कड़ी है । अन्यथा अलग रीतिरिवाज, अलग अलग इष्ट, अलग अलग अराधना, अलग अलग अराधना स्थल, अलग अलग पर्सनल ला, तब कैसी आदिवासी एकता ? आदिवासी एकता के लिये उपरोक्त बिन्दुओ पर गहन विचार करना होगा । अपनी व्यक्तिगत आकान्क्षाओ को किनारे रखकर कुछ त्याग और बलिदान करना होगा । अन्यथा धर्मों, मजहबों, रिलीजन और पन्थो के ठेकेदार आदिवासीयो को सदैव अलग करके ही रखने वाले है । रोजी रोटी जल जन्गल जमीन और आदिवासी अस्मिता की लडाई एक धर्म के झन्डे तले ज्यादा मजबूती के साथ लडी जा सकती है । हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई एकता का आधार धर्म है , इसी तरह आदिवासी एकता का आधार "प्रकृति पुनेम या आदि धर्म" हो सकता है । -Gsmarkam
Comments
Post a Comment