"पत्थलगढी पर कथित संविधान विशेषज्ञ के नाम एक पाती ।"
पत्रिका समाचार पत्र के माध्यम से एक कथित संविधान विशेश्ज्ञ कहते हैं कि पांचवी अनुसूचि की गलत व्याख्या हो रही है इसका मतलब उनको पांचवीं अनुसूचि का कोई ज्ञान नहीं ना ही संविधान की मंशा का ज्ञान है ।
अरे विशेषज्ञ जी जब संविधान के पहले पन्ने में ही लिखा है कि देश में समता स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय पर आधारित व्यवस्था की स्थापना इसका मूल लक्ष्य है और इस लक्ष्य को पाने के लिये जिस तरह केंद्र में संसद में कानून बनते हैं पर उनके क्रियान्वयन के लिये स्थानीय नियम और कायदे बनाये जाते हैं जिससे उपरोक्त लक्ष्य को हासिल किया जा सके । जब राज्य सरकारों ने कोई नियम और कायदा नहीं बनाया है तब कोई भी कानून मूल कानून में उल्लेखित आशय से संचालित होते हैं जिसे राज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता । पत्थलगढी आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था है जो संविधान में वर्णित पांचवीं अनुसूचि के मूल आशय पर की जा रही है । मैं पूछना चाहता हूं कि सरकारी तंत्र किस नियम और संविधान के तहत ग्राम मुकददम या पटैल से राजस्व कर वसूली और अन्य सेवायें लेती है । ग्राम कोटवार की व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर क्या सरकारी तंत्र पांचवी अनुसूचि के प्रावधानों से परिचित नहीं है ? संविधान के मूल उददेश्यों की पूर्ति के लिये स्थानीय सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करते हुए कोई भी कानून लागू किया जाता है । इसलिये पत्थलगढी की व्याख्या गलत नहीं है । क्या आपको पता है कि पत्थल गढी के 22 प्रकार होते हैं यह तो इनमें से मात्र एक है । यदि पत्थल गढी की असली व्याख्या से परिचित होना है तो मप्र राज्य में पांचवीं अनुसूचि के क्रियान्वयन के लिये स्थानीय नियम कायदे बनानी की कवायद करें तब सब पता चल जायेगा कि पत्थलगढी क्या है !-gsmarkam
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