part-1
"हमारी दुश्मनी करा दी ,हमारे ही कुनबे से"
विकास के नाम पर,
बॉध हमारे दुश्मन हो गये ।
बाघ हिरन भी शत्रु हो गये ।
पेड पौधों जो हमारे देवता हैं ।
जीविका के लिये उपयोग किया ।
तो वन विभाग के अपराधी हो गये ।
अब तो बच्चों के खेलने की
तितलियॉ भी डंक मारेंगी ।
उनसे भी सियासत दुश्मनी करायेगी ।
कभी ऐसा ना हो सब्र टूट जाये मेरा ।
मॉ से बेटे को दूर करने का शडयंत्र तेरा ।
मेरे बदले की आग बन करके ।
एके ४७ से सीना छलनी ना कर जाये तेरा ।
तब कह देना नक्सलवादी है ,
तब भी बता देना अलगाव वादी है ।
देश की जनता की ऑखों में धूल झोंक
सकते हो ।
दोस्त को दुश्मन बता सकते हो ।
मुझे यकीन है मेरी प्रकृति परमेश्वर से ।
उसकी निगाहों से बचके तुम भी नहीं जा सकते हो ।।-gsmarkam
part-2
देश है आज खतरे में ।
आरक्षित समुदाय की रोटी भी है आज खतरे में ।
काठ पर लग चुकी दीमक इससे है देश खतरे में ।
चूसकर वे चले जायेगे अपने आर्ये वतन को ।
लूटकर ले ही जा रहे वो भारत के चमन को ।
तुम कहां जाओगे एै दोस्त छिपे हो हर एक कतरे में ।
काठ पर लग चुकी दीमक इससे है देश खतरे में ।
कोशिषें लाख तुम कर लो सुधरना है नहीं उनको ।
लूटकर देश को अपने वतन पर जाना है उनको ।
यही है वक्त उनकी शातिरी पर बंदिशें कर दो
वरना ये देश की आजादी पड जायेगी खतरे में । -gsmarkam
"हमारी दुश्मनी करा दी ,हमारे ही कुनबे से"
विकास के नाम पर,
बॉध हमारे दुश्मन हो गये ।
बाघ हिरन भी शत्रु हो गये ।
पेड पौधों जो हमारे देवता हैं ।
जीविका के लिये उपयोग किया ।
तो वन विभाग के अपराधी हो गये ।
अब तो बच्चों के खेलने की
तितलियॉ भी डंक मारेंगी ।
उनसे भी सियासत दुश्मनी करायेगी ।
कभी ऐसा ना हो सब्र टूट जाये मेरा ।
मॉ से बेटे को दूर करने का शडयंत्र तेरा ।
मेरे बदले की आग बन करके ।
एके ४७ से सीना छलनी ना कर जाये तेरा ।
तब कह देना नक्सलवादी है ,
तब भी बता देना अलगाव वादी है ।
देश की जनता की ऑखों में धूल झोंक
सकते हो ।
दोस्त को दुश्मन बता सकते हो ।
मुझे यकीन है मेरी प्रकृति परमेश्वर से ।
उसकी निगाहों से बचके तुम भी नहीं जा सकते हो ।।-gsmarkam
part-2
देश है आज खतरे में ।
आरक्षित समुदाय की रोटी भी है आज खतरे में ।
काठ पर लग चुकी दीमक इससे है देश खतरे में ।
चूसकर वे चले जायेगे अपने आर्ये वतन को ।
लूटकर ले ही जा रहे वो भारत के चमन को ।
तुम कहां जाओगे एै दोस्त छिपे हो हर एक कतरे में ।
काठ पर लग चुकी दीमक इससे है देश खतरे में ।
कोशिषें लाख तुम कर लो सुधरना है नहीं उनको ।
लूटकर देश को अपने वतन पर जाना है उनको ।
यही है वक्त उनकी शातिरी पर बंदिशें कर दो
वरना ये देश की आजादी पड जायेगी खतरे में । -gsmarkam
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