"पत्थल गढी देश के प्रत्येक गांव की अपनी सीमा का प्रतीक है । ग्राम सरकार की सरहद है ।"
पांचवीं छठीं अनुसूचि के आंदोलन ने आदिवासियों में संवैधानिक चेतना पैदा की इस चेतना का व्यवहारिक रूप पत्थलगढी के रूप में दिखाई देता है । पत्थल गढी केवल आदिवासी क्षेत्रों में नहीं वरन प्रत्येक ग्राम में होना चाहिये । क्या ग्राम अपनी मिल्कियत की सुरक्षा के लिये स्थानीय नियम नहीं बना सकता । जरूर बना सकता है । उसे अपनी सीमा में होने वाले प्रत्येक हलचल की जानकारी होना चाहिये ताकि वह उसका प्रबंधन कर सके । ग्राम की सुख शांति सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी ग्राम के मुखिया और उसके सहयोगियो की है । तब वह किसी बाहरी प्रवेश को नियंत्रित क्यों नहीं करेगा आखिर वह ग्राम की सरकार है । प्रदेश की सरकार की बिना अनुमति के प्रधानमंत्री का राज्य में प्रवेश करना वर्जित होता (केंद्र शासित प्रदेशों को छोडकर है।) तब किसी भी ग्राम सरकार की अनुमति के बिना ग्राम की सीमा में प्रवेश अवैधानिक है । फिर तो ये अधिसूचित क्षेत्र जहां संविधान ने आदिवासियों को पूर्ण स्वायत्ता का विशेष अधिकार दिया हुआ है । इसका उल्लंघन भारतीय संविधान की अवहेलना है संविधान का उल्लंघन करने वाला कोई भी कारक देशद्रोही है । -gsmarkam
पांचवीं छठीं अनुसूचि के आंदोलन ने आदिवासियों में संवैधानिक चेतना पैदा की इस चेतना का व्यवहारिक रूप पत्थलगढी के रूप में दिखाई देता है । पत्थल गढी केवल आदिवासी क्षेत्रों में नहीं वरन प्रत्येक ग्राम में होना चाहिये । क्या ग्राम अपनी मिल्कियत की सुरक्षा के लिये स्थानीय नियम नहीं बना सकता । जरूर बना सकता है । उसे अपनी सीमा में होने वाले प्रत्येक हलचल की जानकारी होना चाहिये ताकि वह उसका प्रबंधन कर सके । ग्राम की सुख शांति सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी ग्राम के मुखिया और उसके सहयोगियो की है । तब वह किसी बाहरी प्रवेश को नियंत्रित क्यों नहीं करेगा आखिर वह ग्राम की सरकार है । प्रदेश की सरकार की बिना अनुमति के प्रधानमंत्री का राज्य में प्रवेश करना वर्जित होता (केंद्र शासित प्रदेशों को छोडकर है।) तब किसी भी ग्राम सरकार की अनुमति के बिना ग्राम की सीमा में प्रवेश अवैधानिक है । फिर तो ये अधिसूचित क्षेत्र जहां संविधान ने आदिवासियों को पूर्ण स्वायत्ता का विशेष अधिकार दिया हुआ है । इसका उल्लंघन भारतीय संविधान की अवहेलना है संविधान का उल्लंघन करने वाला कोई भी कारक देशद्रोही है । -gsmarkam
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