"राजनीति में गुलामों की नई पौध की पहचान जरूरी है ।"
कुछ आदिवासी युवा चेहरे गुलामों की गुलामी में दिखाई देते हैं ।
गुलामी में जी रहे बूढे अपनी ही टिकिट की जुगाड में दिखाई देते हैं ।
सुनो गोंडवाना के आदिवासी युवा ।
जिसने अपनी उम्र गुजार दी मनुवादियों के तलुवे चांटते ।
उनसे उम्मीद कर रहे हो अपने भले की ।
हां ये हो सकता है कि तुम भी गुलाम हो जाओ
अपने समाज का हित छोड खुद के भले का हो जाओ ।
कभी ना कभी नजरे इनायत मालिको की हो जाये ।
जिसके पीछे खडे हो उसका काम हो जाये ।
तब तुम्हारे भाग्य का छींका कहीं से टूटेगा ।
मालिक को गुलामों का बना गुलाम दीखेगा ।
गुलामी की तपस्या का परिणाम मिल जाये ।
कहीं विधायकी का टिकिट तुम्हें मिल जाये ।
फिर भी सम्मान के भूखे बने रहोगे तुम ।
समाज का सम्मान पा सकोगे ना तुम ।
जैसे गुलामों नेताओं की आज जितनी कीमत है ।
उसी क्रमांक में ही जोड दिये जाओगे तुम ।
कुछ आदिवासी युवा चेहरे गुलामों की गुलामी में दिखाई देते हैं ।
गुलामी में जी रहे बूढे अपनी ही टिकिट की जुगाड में दिखाई देते हैं ।
सुनो गोंडवाना के आदिवासी युवा ।
जिसने अपनी उम्र गुजार दी मनुवादियों के तलुवे चांटते ।
उनसे उम्मीद कर रहे हो अपने भले की ।
हां ये हो सकता है कि तुम भी गुलाम हो जाओ
अपने समाज का हित छोड खुद के भले का हो जाओ ।
कभी ना कभी नजरे इनायत मालिको की हो जाये ।
जिसके पीछे खडे हो उसका काम हो जाये ।
तब तुम्हारे भाग्य का छींका कहीं से टूटेगा ।
मालिक को गुलामों का बना गुलाम दीखेगा ।
गुलामी की तपस्या का परिणाम मिल जाये ।
कहीं विधायकी का टिकिट तुम्हें मिल जाये ।
फिर भी सम्मान के भूखे बने रहोगे तुम ।
समाज का सम्मान पा सकोगे ना तुम ।
जैसे गुलामों नेताओं की आज जितनी कीमत है ।
उसी क्रमांक में ही जोड दिये जाओगे तुम ।
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