२४ जून २०१८ को पता चलेगा कि आदिवासी गोंगपा के साथ हैं या भाजपा ,कॉग्रेस के साथ ।
वैसे तो महारानी दुर्गावति का बलिदान दिवस देश व प्रदेश के हर हिस्से में सामाजिक राजनीतक संगठनों के माध्यम से मनाया जाता है । विभिन्न विचारधारा वाले सामाजिक राजनीतक संगठन भी आयोजन करते हैं ।किन्तु अब यहॉ उन संगठनों के लिये परीक्छा की घडी है जो कि बात गोंडवाना के आदिवासी विचारधारा की करते हैं पर आदिवासी विरोधी विचारधारा के राजनीतिक दल या उनके संगठनों को प्रत्यक्छ या परोक्छ रूप से सहयोग करते हैं । अर्थात समाज की ताकत को विभाजित करने का प्रयास करते हैं । गोडवाना का राजनीतिक दल गोंडवाना की विचारधारा का सीधा सीधा वाहक है । जो कि सत्ता में भागीदार बनकर या संसद, विधान सभा में पहुंच कर गोंडवाना की विचारधारा के मूल तत्व भाषा,धर्म , संस्कृति की पैरवी के लिये संकल्पित है । ऐसे में
गोंडवाना की विचारधारा पर चलने वाले संगठनों का दायित्व है कि वे अपनी विचारधारा के संरक्छक दल की राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन को बल प्रदान करें । विचारधारा के विरोधी दल तथा उनके सहोदर संगठनों की भूमिका में ना दिखें । समाज एक होता लेकिन उसकी देखने वाली ऑखें हजार होती हैं,वह समय आने पर ही प्रतिक्रिया देता है । २४ जून महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस आदिवासियों की राजनीतिक विचारधारा में प्रतिबद्धता को उजागर कर देगा कि कौन आदिवासी किस विचारधारा का अनुगामी है । आदिवासियत के प्रति कितना गंभीर है । -gsmarkam
गोंडवाना की विचारधारा पर चलने वाले संगठनों का दायित्व है कि वे अपनी विचारधारा के संरक्छक दल की राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन को बल प्रदान करें । विचारधारा के विरोधी दल तथा उनके सहोदर संगठनों की भूमिका में ना दिखें । समाज एक होता लेकिन उसकी देखने वाली ऑखें हजार होती हैं,वह समय आने पर ही प्रतिक्रिया देता है । २४ जून महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस आदिवासियों की राजनीतिक विचारधारा में प्रतिबद्धता को उजागर कर देगा कि कौन आदिवासी किस विचारधारा का अनुगामी है । आदिवासियत के प्रति कितना गंभीर है । -gsmarkam
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