"गोंडी भाषा के मूल शब्दों से छेडछाड ना हो ।"
गोंडी भाषा मानकीकरण समूह लगातार गोंडी भाषा के मूल शब्दों के संग्रहण में लगी है । फिलहाल कुछ संग्रहण के पश्चात मानक शब्दों का गोंडवाना गोंडी शब्दकोष बनाया गया है । इस शब्दकोष में अभी सैकडों हजारों शब्दों को मानक रूप में समाहित किया जाना है । गोंडी भाषा के महत्व को समझकर भाषा के प्रति लगातार आकर्षण बढ रहा है । सीखने या गोंडी भाषा के शब्दों का उपयोग करने की होड सी बनती दिखाई दे रही है । यह गोंडी भाषा के उत्थान के लिये शुभ संकेत है परन्तु हमें इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि सीखने उपयोग करने में हमें मूल शब्दों के अस्तित्व का भी ख्याल रखना होगा अन्यथा अन्य भाषा के प्रभाव और उसका अनुशरण करते हुए हम उसके अनुवाद रूप को ही असली गोंडी ना समझ लें । यथा गोंडी का असली रूप टुंडा (जन्म) मंढा (विवाह) कुंडा (मृन्यु) शब्दावली मूल रूप में विद्वमान है तब उसे अनुवाद रूप पुटसी वायना (जन्म) मडमिग (विवाह) सायना (मृत्यु) आदि शब्दों का उपयोग मूल गोंडी भाषा के शब्दों को कही ना कहीं कमजोर करता है । इसलिये समझाने की दृष्टि से इसका उपयोग हो लेकिन इसके मूल रूप से छेडछाड ना हो इसका प्रयास होना चाहिये अन्यथा नये शब्दों के चलन से पुराने शब्द भाषायी धरातल से गुम हो जायेंगे । गोंडी भाषा के शब्दों का लगातार संग्रहण जारी है सभी गोंडी भषिक लोगों और भाषाविदों से अनुरोध है कि आपके आसपास कहीं भी एैसे महत्वपूर्ण शब्द कभी कभी व्यवहार में दिखाई दें तो उन्हें तुरंत नोट करलें तथा गोंडी भाषिको को एैसे शब्दों को बार बार व्यवहार में लाने के लिये प्रेरित करें । आपका यह कार्य गोंडी भाषा के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा । -(गुलजार सिंह मरकाम, गोंडी भाषा मानकीकरण समिति )
गोंडी भाषा मानकीकरण समूह लगातार गोंडी भाषा के मूल शब्दों के संग्रहण में लगी है । फिलहाल कुछ संग्रहण के पश्चात मानक शब्दों का गोंडवाना गोंडी शब्दकोष बनाया गया है । इस शब्दकोष में अभी सैकडों हजारों शब्दों को मानक रूप में समाहित किया जाना है । गोंडी भाषा के महत्व को समझकर भाषा के प्रति लगातार आकर्षण बढ रहा है । सीखने या गोंडी भाषा के शब्दों का उपयोग करने की होड सी बनती दिखाई दे रही है । यह गोंडी भाषा के उत्थान के लिये शुभ संकेत है परन्तु हमें इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि सीखने उपयोग करने में हमें मूल शब्दों के अस्तित्व का भी ख्याल रखना होगा अन्यथा अन्य भाषा के प्रभाव और उसका अनुशरण करते हुए हम उसके अनुवाद रूप को ही असली गोंडी ना समझ लें । यथा गोंडी का असली रूप टुंडा (जन्म) मंढा (विवाह) कुंडा (मृन्यु) शब्दावली मूल रूप में विद्वमान है तब उसे अनुवाद रूप पुटसी वायना (जन्म) मडमिग (विवाह) सायना (मृत्यु) आदि शब्दों का उपयोग मूल गोंडी भाषा के शब्दों को कही ना कहीं कमजोर करता है । इसलिये समझाने की दृष्टि से इसका उपयोग हो लेकिन इसके मूल रूप से छेडछाड ना हो इसका प्रयास होना चाहिये अन्यथा नये शब्दों के चलन से पुराने शब्द भाषायी धरातल से गुम हो जायेंगे । गोंडी भाषा के शब्दों का लगातार संग्रहण जारी है सभी गोंडी भषिक लोगों और भाषाविदों से अनुरोध है कि आपके आसपास कहीं भी एैसे महत्वपूर्ण शब्द कभी कभी व्यवहार में दिखाई दें तो उन्हें तुरंत नोट करलें तथा गोंडी भाषिको को एैसे शब्दों को बार बार व्यवहार में लाने के लिये प्रेरित करें । आपका यह कार्य गोंडी भाषा के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा । -(गुलजार सिंह मरकाम, गोंडी भाषा मानकीकरण समिति )
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