पहले कॉन्ग्रेस मनुवाद की ए टीम मानी जाती थी जिसने मूलवासी, मूल निवासियों को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा कर भाजपा रूपी बी टीम को स्थापित करने के लिए मंदिर मस्जिद जैसे ईवीएम जैसे मुद्दों को लाकर भाजपा को ए टीम बनने का अवसर दिया है। देश का मूलवासी मूलनिवासी कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता के चश्मे से देखता रहा जबकि इस देश में जितने भी धर्म है वे अपने अपने धर्मों को मजबूत करते रहे भाषाओं को मजबूत करते रहे अपने सांस्कृतिक पक्ष को मजबूत करते रहे वही देश के आदिवासी की बनी बनाई सांस्कृतिक, धार्मिक विरासत मिट्टी में मिलती गई इसका कौन जिम्मेदार है । इसका मतलब हम धर्मनिरपेक्षता का चश्मा पहने रहें और अन्य लोग अपनी पहचान को मजबूत करते रहें ? आज की तारीख में देश में गांधीवादी अंबेडकरवादी समाजवादी विचारधाराएं चल रही है जिनकी आंतरिक धार्मिक संरचना का लक्ष्य कोई ना कोई धर्म होता है उनके संस्कृति और संस्कार होते हैं, अब हम यह चलने नहीं देंगे । वर्तमान समय में सांस्कृतिक जय पराजय का दौर चल रहा है ऐसे में सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक लामबंदी आवश्यक है। जो सत्ता को प्रभावित करने के लिए आवश्यक है। (Gska)