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Showing posts from May, 2015

''सनातन धर्म (हिन्दु) बनाम छदमवेशी ब्रामन धर्म' ,"परधर्मो भयायव:"

                                  ''सनातन धर्म (हिन्दु) बनाम छदमवेशी ब्रामन धर्म''  आर्यों के आगमन के पूर्व हमारे संम्र्पूएा देष में मूल प्रकृति पुनेम अर्थात प्रकृति धर्म का प्रचलन था । जो कालांतर में आर्य दृविण संघर्श के बाद सनातन धर्म के रूप में सामने आया । आर्य धर्म जो मूलतः ब्रामन धर्म ही है विजयी आर्यों ने मनुस्मृति बनाने के बाद मूलनिवासियों पर सख्ती और जबरदस्ती कर वर्ण व्यवस्था कायम कर समाज को वर्ण और जातियों में बांट दिया । वर्ण और जाति विभेद के बाद भी मूलनिवासियों ने अपनी सनातन परंपराओं को जीवित रखने के प्रयास में लगातार संघर्श करते रहे । परिणामस्वरूप अनेक पंथ और सम्प्रदायों का जन्म हुआ । ''सनातन धर्म क्या है'' :- सनातन परंपरा मूलनिवासियों के प्रकृति पुनेम का ही दूसरा रूप है । जिसमें अपनी मान्यता अपने अराधक अपने अनुश्ठान आदि सारे क्रियाकलाप स्वयं या अपने मुखिया भुमका पडिहार से कराने की परंपरा रही है । आज भी विभिन्न जाति समूह और सम्प्रदायों में प्रचलित है । इन समूहो में ब्रामन के द्वारा अपने कोई भी संस्कार सम्पन्न नहीं कराये जाते । जैसे अपने कु