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Showing posts from May, 2023

बेरोज़गार युवा और पेंशन युक्त पेंशनधारी

 "आज की जरूरत" पढ़े लिखे बेरोज़गार युवा रोजगार के अवसर खोजने गांव से शहर की ओर प्रस्थान करें । वहीं शहरों से "रोजगार मुक्त पेंशनधारी" अपने पेतृक गांव की ओर पहुंच कर अपने अनुभव को समाज के बीच रखकर अपनी बुद्धि विवेक विज्ञान के माध्यम से गांव को आर्थिक धार्मिक सांस्कृतिक राजनीतिक विषयों पर समृद्ध करने का प्रयास करें, तो कुछ होना संभव है। - गुलजार सिंह मरकाम (राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांति जनशक्ति पार्टी)

जनजाति सूची में ही शामिल होने की कोषिश क्यों ?

 "जनजाति सूची" में ही शामिल होने की कोषिश क्यों ? भारतीय समाज को उनकी विशेषताओं को चिन्हित करके, उनके समग्र उत्थान की अवधारणा को लेकर, अजजा,अजा, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक के रूप में संविधान में सूचिबद्ध कर दिया गया है। सबको अपनी सूची में रहकर संवैधानिक अधिकार पाने के पूरे अवसर उपलब्ध है। परन्तु इस मूलनिवासी समुदाय,में वर्गीकृत श्रेणियां केवल "अजजा" की सूची में ही क्यों शामिल होना चाहती है, चिंता का विषय है। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि जनजाति की सूची में शामिल होने के जो(जनजातीय) मापदंड है, उन मापदंडों को पूरा किए बगैर कोई इस सूची में आने की कोशिश करता है, वह केवल जनजाति आदिवासी के संवैधानिक अधिकारों को आसानी से हासिल करने के मात्र का उद्देश्य रखता है। मणिपुर की घटना यही संकेत देती है। देश के अनेक हिस्सों में, आदिवासी की बहन बेटियों से विवाह संबंध बनाना और उनके नाम पर जमीन जायदाद हासिल करने की घटनाएं आम हो चुकी है, भूमि हस्तांतरण से लेकर शिक्षा रोजगार आदि के संवैधानिक प्रावधानों को ताक में रखकर, गलत नीयत से "जनजाति सूची" में शामिल होने की कोशिश, जनजातीय