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Showing posts from August, 2021

संघर्ष और मनोरंजन

"संघर्ष और मनोरंजन(नाच गान संस्कृति) अधिकार प्राप्ति में आंदोलन को कमजोर बनाता है।" "संघर्ष और मनोरंजन (नाच गाने संस्कृति) एक साथ चलने से कोई भी आंदोलन धारदार नहीं बन सकता चूंकि एक ओर हम आंदोलन के माध्यम से अपने हक और अधिकार के लिए आक्रामक गुस्सा लिये संघर्ष कर रहे होते हैं, वही एकसाथ सांस्कृतिक आयोजन करके उस गुस्से को मनोरंजन का आयोजन करके ठंडा कर लेते हैं। यही कारण है कि हमें अपने समुदाय को बार बार एक ही विषय पर पुनर्जागरण की आवश्यकता पड़ती है। मेरा मानना है कि समुदाय श्रमजीवी है अधिक शारीरिक श्रम करता उसे शारीरिक मानसिक थकावट के लिए समय समय पर मनोरंजन की भी आवश्यकता है। परन्तु उसके लिए हमारे पुरखों ने ऋतु आधारित मनोरंजन की व्यवस्था निर्धारित की है, परन्तु हमारा समुय इससे सीख लेने की बजाय, पुरखों के व्यवस्थित क्रम को तोड़ देता है। आज का दौर प्रतियोगिता का है ऐसी परिस्थितियों में हमें नाच गान जैसी सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करके मनोरंजन के साथ कला को निखारने की आवश्यकता है।अधिकारों के लिये संघर्ष में केवल संघर्ष दिखाई दे।" -गुलजार सिंह मरकाम ( रा०अ०ग्रागपा)

विश्व आदिवासी दिवस

9 अगस्त विश्व आदिवासी (इंडीजीनियस)दिवस" 9 अगस्त विश्व के आदिवासियों (इंसान के मूलबीज)की जीवन पद्धति उनकी भाषा धर्म संस्कृति साहित्य और परंपराओं को संरक्षित रखते हुए वर्तमान सामान्य विकास की दौड़ में वे पीछे ना रह जाएं इस बावद संयुक्त राष्ट्र संघ ने सभी सदस्य देशों को आव्हान किया है कि सदस्य देशों की सभी सरकारें विभिन्न स्तर पर प्रति वर्ष 9 अगस्त को जन सभा का आयोजन कर अपनी सरकार द्वारा आदिवासियों के उत्थान में वर्ष भर किये गये प्रयास की आदिवासियों के समक्ष समीक्षा एवं रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुति देते हुए कर संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रेषित करने का दिवस है। यह कोई उत्सव नहीं जो किसी को खुश करना है, बल्कि सरकारें आदिवासियों को खुश करने के लिए स्वयं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें। हमारे समुदाय की जिम्मेदारी यह है कि 9 अगस्त हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी से सबको अवगत कराते हुए जागरूक करे। - गुलजार सिंह मरकाम