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Showing posts from March, 2020

कोरोना nrc,सीसीए और भारतीय नागरिक

NRC, सीसीए,में जिस तरह विदेशी नागरिकों के प्रति सरकार दरियादिली दिखा रही है । उसी तरह विदेशों में गए व्यवसाई अमीरों/और देश पर भरोसा नहीं रखने वाले लोगों को वापस लाने के लिए हवाई सुविधा देकर लाभ दिया जा रहा है। यानी,बाहर के लोग नागरिक देश के नागरिक के साथ विदेशी विदेशी जैसा सुलूक। जागो भारतवासी। कोरोना की तरह ही nrc और सीसीए है। इसलिए सरकार से डिस्टेन्स बनाओ। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

एसी भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय मांझी सरकार

"एसी भारत सरकार"(श्री केसरी सिंह जी) एवं "अंतर्राष्ट्रीय मांझी सरकार" (श्री कंगला मांझी जी)" हमारे देश में युवा पीढ़ी और अन्य बौद्धिक वर्ग तथा विभिन्न संगठनों के माध्यम से समुदाय और समाज हित में आंदोलन चलाने वाले संगठनों के जिम्मेदार लोग पदाधिकारी गण कृपया निम्नलिखित संगठन भी हमारे अपने हैं परन्तु ये दोनों संगठन जो भारत के "क्राउन और ताज" की बात करते हैं। उनसे बात करना होगा हकीकत से रूबरू होना पड़ेगा दोनों सरकारों से अनुरोध है कि गुजरात से "ए/सी भारत सरकार" कुटुंब परिवार के जिम्मेदार लोग और मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ से अंतरर्राष्ट्रीय "कंगला मांझी सरकार" के प्रमुख जिम्मेदार लोग आपस मैं एक साथ बैठकर संगोष्ठी करें।कि भारत में हमारी (आदिवासियों) भूमिका क्या है। नोट:-कुछ इसी तरह के विचारों को लेकर झारखंड राज्य में "टाना भगत समूह" भी है। उनसे भी मिलकर विमर्श किया जाय। यह सबकी जिम्मेदारी है। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

गोंडी पारसी वनकाट ग्रुप के लिए अपील

"विनम्र निवेदन" सगा जनों हमने गोंडी भाषा में संवाद करने के लिए वाटएट में "गोंडी पारसी वनकाट ग्रुप" बनाया है जिन साथियों को यह भाषा आती है ऐसे मित्र ही इस ग्रुप में शामिल हों। इस ग्रुप में सदस्यों से संवाद होगा यह संवाद और ग्रुप में भेजी गई जानकारी को एकत्र किया जायेगा । ताकि भाषा को गूगल माइक्रोसाॅफ्ट के माध्यम से अन्य भाषाओं में ट्रास्लैशन हो सके। आपके एंड्रायड फोन में भी आसानी से किया जा सके। माननीय सुभ्रांसु जी के सहयोग से इस कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। अतः इसमें अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। भाषा में चैट नहीं करने वाले किसी साथी को यदि बिना जाने जोड़ लिया गया है तो एडमिन उसे ससम्मान रिमूव कर दे। रिमूव होने वाला भी नाराज ना हो। साथियों ऐसा निवेदन हम भाषा के बड़े मकसद के लिए कर रहे हैं। कृपया सहयोग दें। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

सजग रहें अन्यथा समाज गुलाम हो जायेगा

"सजग रहें अन्यथा समाज गुलाम हो जायेगा" मनुवादी विचारधारा पर देश में विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से लगातार हमला और इस हमले से कमजोर होती मनुवादी व्यवस्था और उसके संगठन लगातार चिंता में हैं। यही कारण है कि वे जल्द से जल्द संविधान को बदलने की कवायद में राज्यसभा में भी बहुमत हासिल करना चाहते हैं। इसलिए मनुवादी विचारधारा को मजबूत बनाने की मंशा रखने वाला व्यक्ति चाहे वह किसी दल में बैठा हो जल्द से जल्द केंद्रित हो रहा है और साथ ही राज्य सभा में बहुमत बनाने की कौशिश कर रहा है । यह कार्य इतनी तेजी से हो रहा है कि ऐसे मनुवादी नेता का साथ और समर्थन देने वाले एससी एसटी ओबीसी के जनप्रतिनिधियों को भनक तक नहीं कि आगे क्या षड्यंत्र होगा । साथियों मनुवाद की जड़ें हिल चुकी हैं। अम्बेडकर वादी, प्रकृतिवादी, मानवतावादी, समाजवादी जैसी विचारधाराओं के लगातार बढ़ती हलचल ने "अभी नहीं तो कभी नहीं" तथा "येन केन प्रकारेण" "साम दाम दण्ड भेद" जैसे इनके अपने पारंपरिक हथियार को व्यवहार में ला रहे हैं। "सजग रहें अन्यथा समाज नष्ट हो जायेगा" (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय

दलों के दल दल से मुक्त होना होगा

"दलों के दल दल से मुक्त होना होगा" "नेता या दल की प्रतिबद्धता ने प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है।" नेता और दल की प्रतिबद्धता ने सदैव जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है। मप्र नहीं विभिन्न राज्यों में ऐसे कारनामे अनेकों बार हो चुके हैं। यह सब इसलिए होता है कि आम जनमानस को राजनीति की पैंतरे बाजी नहीं आती। जनता ने व्यक्ति को नहीं पार्टी और उसके आका को देखकर वोट दिया है, अब उसे वह बेचे या खरीदे जनता का उस पर कोई बस नहीं चलेगा। जिस दिन जनता व्यक्ति के चाल चरित्र का मूल्यांकन करके वोट करने लगेगी तब वह व्यक्ति जनता के प्रति उत्तरदायी होगा, प्रतिबद्ध होगा,अभी वह दल और दल के नेता के प्रति उत्तरदायी होता है इसलिए दल या नेता जैसा कहता है वह सबकुछ ताक में रखकर वैसा करता है। अब समय आ गया कि जनता को दलों और नेताओं की दलदली राजनीति से मुक्त होना पड़ेगा। दल और नेता के प्रति प्रतिबद्धता रखने वाले प्रत्याशी की परख करनी होगी । अब अपने अपने क्षेत्रों में जनांदोलन खड़ा करके दल विहीन प्रतिनिधि तैयार करना होगा जो जनता के प्रति उत्तरदायी होगा। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय स

आदिवासी और उसका सांस्कृतिक बल

"आदिवासी और उसका सांस्कृतिक बल" आदिवासियत को देश के मूल सांस्कृतिक आईने से देखोगे तो उसकी जनसंख्या लगभग 25 करोड़ की बनती है जिसे संख्यानुपात में कमजोर दिखाने और संवैधानिक अधिकार और लाभ से वंचित करने के लिए संविधान में लिखित सूची में अलग अलग वर्ग सूचि में डाल दिया गया है। यही कारण है कि केंद्रीय सेवाओं में मात्र 7.50 प्रतिशत की गणना के आधार पर शासकीय सेवा में अनुपातिक आरक्षण का लाभ और अन्य सुविधाओं में भी कमी रह जाती है। सांस्कृतिक संख्या को विभाजित करने के कारण आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा नुक्सान उसके संख्या बल की अल्पता महसूस होने से "हमारी इतनी कम संख्या है हम क्या कर सकते हैं" जैसी मनोबल को हतास करने वाली मानसिकता पनपती है। इसलिए मेरा मानना है ग्रामीण भारत का अधिकांश हिस्सा देश की मूल आदिवासी सांस्कृतिक व्यवस्था से संचालित है। इस सांस्कृतिक व्यवस्था का अक्षरशः पालन करने और इस पर जीने मरने वाला समुदाय आदिवासी है भले ही वह संविधान की सूची में अलग नाम से अधिसूचित है। देश की वर्तमान विषम परिस्थितियों में सांस्कृतिक संघर्ष की आहट है। जिसके सांस्कृतिक एकता के हथियार स

1 अप्रैल 2020 और NPR

"1अप्रेल 2020 से NPR करने वाले को कुछ इस तरह बोलें" NPR के लिए आने वाले किसी कर्मचारी को यह कहकर वापस कर दें कि हम 2021की जनगणना शुरू होगी तब हम उस प्रपत्र में पूरी जानकारी देंगे। इसलिए महोदय जी हमें माफ करो। इस समय हम कोई जानकारी नहीं दे सकते। फिर भी आपको समझाने का प्रयत्न करेंगे ऐसी स्थिति में आप उन्हें बोलें कि आपको तो इस काम के लिए 800 रू का ठेका मिला है। इसलिए ठेका पूरा करने के लिए जबरदस्ती समझा और डरा रहे हो। हमें इससे क्या मिलेगा। बल्कि आप उल्टा सीधा भरके या आधी अधूरी जानकारी लेकर फुर्सत हो जाओगे और और आगे जांच प्रक्रिया में हमें "D"संदिग्ध की सूची में डालकर हमारी नागरिकता को खतरे में डालना चाहते हो। ऐसी बात नहीं कि इसका प्रभाव आप या आपके रिस्तेदारो पर नहीं पड़ेगा, इसलिए आप कुछ राशि के लोभ अपने अपने परिवार रिस्तेदारों और आम नागरिक को संकट में मत डालो। इसलिए हम इसका पूरी तरह बहिष्कार करते हैं। एक बार पुनः कहें कि जब जनगणना का समय आयेगा तब उसमें हम पूरी जानकारी देते हैं। उसी को देखकर सारी जानकारी हासिल कर लेना "धन्यवाद जी" । (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्
"प्रदेश में गोंसक्रांआं को मुख्य भूमिका में आना होगा" प्रदेश में जल्द से जल्द गोंसक्रांआं के प्रदेश संयोजक और जिला संयोजक की नियुक्ति की जाए ताकि वे आंदोलन की विचारधारा के सभी घटकों के बीच समन्वय स्थापित कर सके। अन्यथा जाति समुदाय और समाज के नाम पर बने पंजीकृत अपंजीकृत संगठन अपनी डफली अपना राग अलापने में लगे रहेंगे। इसमें समुदाय और समाज का नुक़सान हो सकता है। संयोजक का चयन ऐसा हो कि वह सभी के बीच समन्वय बना सके। जनजाति है तो जनजाति की वर्गीय मानसिकता विकसित कर सके। अनुसूचित जाति है तो वह उसमें भी वर्गीय मानसिकता भर सके। यही बात अन्य पिछडी जातियों के संगठनों के लिए भी लागू कर सकते हैं।तभी मनुवाद से निपटा जा सकता है,अन्यथा, मनुवाद के विरुद्ध चल रहे आंदोलनों की सफलता में प्रश्नचिन्ह लगता है। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

जाति समुदाय और समाज

"जाति, समुदाय और समाज" दुनिया के बहुत से देशों में "जाति" नाम की अवधारणा समाप्त हो चुकी है, वहां अब अंतर समुदाय के बीच है जिसके आधार पर भेद किया जाता है। मुख्य रूप से यह नस्लीय अंतर होता है। जाति अंतर को समाप्त करने में धर्म का विशेष महत्व रहा है। एक धर्म में आने पर जातीय सोच कमजोर हो जाती है और यह एक संप्रदाय के रूप में स्थापित हो जाती है। यथा ईसाई सिख हिंदू मुस्लिम बौद्ध,जैन आदि । यह सांप्रदायिक एकता समुदाय के रूप में जानी जाती है,इसे ही "समुदाय" कहा जाता है। भारत देश में विभिन्न जातियां कम से कम समुदाय की शक्ल में आ जाएं यह सोचकर धर्मनिरेक्ष राष्ट्र की घोषणा के साथ संविधान निर्माताओं ने उन्हें सूचीबद्ध करने का तरीका अपनाया हो।जातीय संकीर्णता समुदाय की शक्ल में आ जाए जिसमें उन जातियों की जीवन शैली, क्रिया कलाप आचार विचार के साथ साथ उनकी सामाजिक आर्थिक सांसकृतिक परिस्थितियों की समानता को मापदंड के रूप में लिया गया। जो हमें आज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के रूप में चिन्हित कर सूचीबद्ध किया गया। परन्तु दुर्भाग

गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

"गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन" गोंड गोंडी गोंडवाना केवल गोंड जाति के लिए नहीं,यह गोंडवाना की विचारधारा को समग्रता से आगे बढ़ाने वाला गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन का आधार है, इसे जाति के संकीर्ण बंधन में बांधने का प्रयास न हो, इसे गोंड जाति की परिधि में बांधकर गोंडवाना के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता। गोंड गोंडी गोंडवाना का लक्ष्य केवल गोंड जाति नहीं, संपूर्ण गोंडवाना का समग्र उत्थान है । गोंड जाति अपने उपजाती के सहोदरों को साथ लिए बिना गोंड गोंडी गोंडवाना,एक समाज एक रिवाज एक आवाज, तथा विरासत रियासत, और सियासत के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है। वह गोंड प्रधान, ओझा बैगा अगरिया,गोंडगोवारी आदि महत्त्वपूर्ण अंगों से अलग होकर अपने सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण नहीं रख सकता। हमारे पूर्वजों द्वारा ग्राम गणराज्य की संरचना अपने गणों को लेकर स्थापित की गई थी। वर्तमान समय में यह कहीं ना कहीं अव्यवस्थित हो चुकी है। उसे व्यवस्थित करने के लिए गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते समय समुदाय के हर उस अंग को विकसित करने का प्रयत्न किया गया, और किया जा र

मप्र में राज्य सभा के तीन पद

"मप्र में राज्य सभा के तीन पद और आदिवासी विधायकों की भूमिका" मप्र के आदिवासी विधायकों आप बामनवादी पार्टियों की टिकट पर चुनाव जीत कर आये हो, आदिवासी या किसी को राज्य सभा सदस्य बनाने के लिए तुम नहीं तुम्हारे पार्टी मालिक तय करेंगे। तुम यदि आदिवासी को राज्य सभा में भेजना चाहते हो तो एस सी/एस टी विधायक एक जुट हो जाओ तीन सीट में एक एस सी/एक एस टी राज्य सभा सांसद चुनकर भेजा सकते हो। समुदाय के प्रतिनिधि हो समुदाय की आरक्षित सीट से जीतकर आते हो,यदि जरा भी स्वाभिमान का पानी है तो अपने विधायक फोरम की बैठक करो और निर्णय लो,"हमारा नहीं तो किसी का नहीं" (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)