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Showing posts from June, 2016

"गोन्डवाना समग्र क्रान्ति सेना"

“गोन्डवाना आन्दोलन” के हित चिन्तक साथियों सभी को,  जय सेवा जय जोहार । गोन्डवाना आन्दोलन की अनेक शाखाओं के माध्यम से आन्दोलन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। परन्तु आन्दोलन की धार्मिक एवं राजनीतिक शाखा में लगातार अव्यवस्थाा देखने को मिल रहा है। धार्मिक एकता एकरूपता के लिये भुमका प्रशिक्षण के माध्यम से कुछ हद तक धर्म व्यवस्थित होता नजर आ रहा है, इसमें भी कुछ विघ्नविनायक  अपनी मुर्गी के तीन टान्ग को लेकर विवाद की स्थिति पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह जगत भगत सिदार छ०ग० हो या काले पीले पगड़ी पहनाकर समाज में विसन्गति फैलाते कुछ ना समझ लोग हो । सब अपने मुँह मिया मिट्ठू बनकर समाज की ताकत को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरी ओर राजनीतिक सन्गठन, गोन्डवाना गणतंत्र पार्टी में भी सान्गठनिक ढान्चा को मजबूत करने का कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा है । म०प्र के पूर्व विधायको को जो अलग पार्टी बना चुके थे, उन्हें किसी तरह गोगपा में शामिल किया गया जिन्हें उचित पद और सम्मान देकर सन्तुष्ट किया जाना था, लेकिन शीर्ष नेत्रत्व को प्रस्ताव भेजने के बावजूद उन्हे दो साल से कोई जिम्मेदारी नही

जातिवाद से मुक्ति का आसान मार्ग है आपका पुनेम (धर्म)

 जातिवाद से मुक्ति का आसान मार्ग है आपका पुनेम (धर्म) सगाजनों , हमारे देश में मूलनिवासीयों के पथ प्रदर्शकों ने जातिवाद को हर क्षेत्र में भेदभाव का कारण माना है । और उसका निदान किसी ने जाति तोडो समाज जोडो तो किसी ने अंतर्जातीय विवाह तो किसी ने दलितों की बस्ती में सहभोज के माध्यम से समस्या को खत्म करने की बात की है । परन्तु समस्या निरंतर बढती ही जा रही है । मैने पहले भी कहा है कि जातिवादी मानसिकता समाप्त करने के लिये पहले वर्गीय मानसिकता पैदा करनी  होगी । फिर मूलनिवासी सोच पैदा होगी । केवल मूलनिवासी का ढिढोरा पीटकर हम मूलनिवासी नहीं बन सकते । इसके लिये हमें पहले पुनेम को धर्म को मजबूत करना होगा । आज जिन मूलनिवासियों ने अपने संम्प्रदाय जैसे सिख जैन ईसाई मुस्लिम संम्प्रदाय का मार्ग पकडा उनके बीच जाति गौण और अप्रासांगिक हो गई वे सम्प्रदाय के नाम पर संगठित हैं छुआ छूत जातिभेद कमजोर हो गई है । इसलिये मुटठी भर मनुवादी इसके महत्व को समझता है इसलिये मूलनिवासियों को धर्म की घुटटी पिलाने में लगातार सक्रिय रहता हैं । इसलिये मैं मूलनिवासीयों का बडा समूह जो संविधान में हिन्दु नहीं माना जात

सामूदायिक समस्या के लिये सामूहिक जिम्मेदारी निभाना है !

सामूदायिक समस्या के लिये सामूहिक जिम्मेदारी निभाना है ! "कुछ प्रतिशत जागरूक अनुसूचित वर्ग के कर्मचारियों के माध्यम से मनुवाद के विरूद्ध आन्दोलन चलाकर शेष लोगों में तथा समाज में जनचेतना पैदा करने वाले मूलनिवासी समाज के प्रमोशन पर हमला छोटी बात नहीं यह हमारे ब्रेनबैंक पर हमला है । कुछ नौकरियां पाकर नौकरी पेशा व्यक्ति अपने बच्चे एवं परिवार को मार्गदर्शन कर आगे बढाने का प्रयास कर रहे हैं उसे रोकने का शडयंत्र । आज समाज ने जो कुछ भी पाया है चपरासी बाबू अधिकारी कर्मचारी बनकर पाया है , अन्यथा विकास के नाम पर समाज को धन धरती इज्जत लुटाना पड रहा है । अधिकारी कर्मचारी तो कुछ हद तक समाज में अपना योगदान लुके छिपे दे देता है, लेकिन मनुवादी राजनीतिक दलों से चुने हुए सांसद, विधायक तथा अन्य जनप्रतिनिधि आज भी आरक्षण के पक्ष की बात करते हैं लेकिन अपनी पार्टी के आकाओं के इशारे के बिना आगे रिस्क उठाने को तैयार नहीं, इसलिये इन गुलामों से आरक्षण की लडाई जीतना संभव नहीं ! अब आन्दोलन में समाज का नौजवान, मजदूर, किसान और चपरासी से लेकर बडे पद पर बैठा समाज ही, आरक्षण की लडाई लड सकता है । सामूहिक समस्या क

"भारतीय कस्टोडियम गवर्नमेंट"

"भारतीय कस्टोडियम गवर्नमेंट"  आदिवासी इस देश का मालिक है। इसलिये वह इस देश की न्यायपालिका, व्यवस्थापिक, और कार्यपालिका से ऊपर है । वह स्वयं देश है। भारत का राष्ट्रपति उसका मात्र सरक्षक है, मालिक नही ! शासन, प्रशासन उसके देश की भूमि और सन्शाधन का उपयोग और उपभोग कर सभी भारतवासियो के समग्र विकास हेतु इस शर्त पर व्यवस्था देने के लिये नियुक्त की गई है कि , देश के मालिको की मूल पहचान, उसकी ,भाषा, धर्म, सन्सक्रति ,तथा शिक्षा,स्वस्थ एवं भौगोलिक, सामाजिक पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव ना प डे । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सन्विधान मे ५ वी ६वी अनुसूचि , पेसा कानून जैसी अन्तर्राष्टीय कानून को भारतीय सन्विधान मे शामिल किया गया है । साथ ही देश के समस्त राज्यों की विधान सभा मे आदिवासी मन्त्रणा परिषद के माध्यम से वर्ष मे कम से कम दो बार देश के मालिक आदिवासियो के विकास की समीक्षा एवम् उनकी बेहतरी के लिये योजना तैयार कर राज्यपाल के माध्यम से आदिवासियो के राष्ट्रीय सरक्षक (मालिक नही) राष्ट्रपति को अवगत कराने का प्रावधान है । इस रिपोर्ट को हमारा सरक्षक ९ अगस्त को अपनी समीक्षा के उपरांत प्रतिवर्ष