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Showing posts from March, 2022

समय का सदुपयोग करें

 "समय का सदूपयोग करें" हमारे मूलनिवासी समुदाय के सेवा निवृत अधिकारी/कर्मचारी तथा वर्तमान में शासकीय उच्च पदों पर आसीन साथियों से अनुरोध है कि आप सेवा निवृत हो चुके कुछ बाद में होंगे अब आप रोटी कपड़ा मकान और पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी निश्चिंत हो चुके प्रतिदिन फुरसत है ,आप चाहें तो सुप्रभात के बाद प्रतिदिन अपने विभाग से संबंधित कुछ जानकारियों की प्रतिदिन सोशल मीडिया पर मेसेज की सीरीज चलाएं। लोगों को जानकारी और उनका ज्ञान बढ़ेगा जिससे समुदाय लाभ ले सकता है,मैंने सहकारिता विभाग में रहे डायरेक्टर रिटायर्ड माननीय आरबी वट्टी जी भोपाल से निवेदन किया था वे अब रोज सुप्रभात के बाद जानकारी देना आरंभ कर  दिए हैं।  (नोट: आपका यह योगदान समुदाय के ऋण की वापसी की तरह होगा ) _गुलजार सिंह मरकाम

लालच देकर नहीं स्वावलंबी समालंबी समाज का निर्माण करोबी

 "लालच देकर गुलाम नहीं स्वावलंबी समाज का निर्माण करो !" अपनी साख बढ़ाने के लिए सरकारी खजाने से लुटा दो जनता की गाढ़ी कमाई । दिखावा के लिए राशन, मकान फ्री बिजली,सायकिल,लेपटाप, गहने अब स्कूटी,भविष्य में जनता को जनता के टेक्स और जनता के जल,जंगल,जमीन से दोहन की गई खनिज और संसाधन से जमा सरकारी खजाने को अप्रत्यक्ष रूप से बड़े बड़े पूंजीपति, उद्योगपति और बिचोलियों की उत्पाद राशन(जमाखोर), मकान(सीमेंट, लोहा गिट्टी रेत माफिया) फ्री बिजली,(अडानी, अंबानी रिलायंस)सायकिल, (सायकिल,स्कूटी उद्योगपति) मोबाइल,लेपटाप,(इलेक्ट्रॉनिक उद्योगपति) गहने (बड़े ज्वेलर)अब स्कूटी, इन उद्योगपतियों से कितना पर्सेंट हिस्सा लेकर टेंडर पास करके लाभ दिलाने का वचन दिया है,जवाब तो देना पडेगा! जनता अब धीरे धीरे समझने लगी है कि ये लालच देकर किसकी जेब काट रहे हो । अपने बाप की कमाई का धन इसी तरह लुटाते हो क्या ? यदि इतने दरियादिल होते तो, तुम हजारों एकड के जमींदार नहीं होते, अरबों की संपत्ति स्विस बैंक में जमा नहीं रहते, करोड़ों रूपये तुम्हारे बिस्तर और लेट्रिंग में छिपे नहीं होते। अब भी वक्त है ,देश को पूंजीपतियों से

"पेसा कानून के बनते नियमों पर पैनी नजर रखें"

छग और मप्र सहित कुल १० राज्य में पांचवीं अनुसूची के प्रावधान है,इन राज्यों में पंचायती राज को कैसे समायोजित किया जाये,इसके लिए दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई जो इन १० राज्यों में वहां की सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक आर्थिक राजनीतिक स्वस्थ शिक्षा जैसे विषयों पर पांचवीं अनुसूची में प्रदत्त स्वशासन,स्वराज जैसी असीम शक्तियों के अंदर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को कैसे कैसे संचालित किया जा सकता है, इसका अध्ययन करे। अध्ययन उपरांत वर्ष १९९६ में भूरिया कमेटी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की इस रिपोर्ट के आधार पर संसद में एक कानून बनाया गया जिसे जिसे "पेसा कानून" अर्थात अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज विस्तार संशोधन अधिनियम रखा गया और इन राज्यों में लागू कर दिया गया, दुर्भाग्य से संशोधित अधिनियम के त्रिस्तरीय पंचायती राज के नियम बनाकर राज्यों में चुनाव संपन्न कराये जाने लगे परन्तु" पेसा" के नियम जिससे भूरिया कमेटी की सिफारिशें क्रियान्वित होकर पांचवीं अनुसूची की मंशा की पूर्ति होती नहीं बनाई गई । बुद्धिजीवी और जनवादी संगठनों के लगातार प्रयास ने सरकारों का

तीसरी आजादी की जंग

 " तीसरी आजादी की जंग" देश में आजादी का एक बिगुल बजाना चाहिए। पूंजीवाद और तानाशाही के विरुद्ध अब जंग होना चाहिए। बुद्धि, विवेक ,विज्ञान का दुश्मन धर्मांधता अतिवाद है, मानवता के खातिर इसका परदा उठाना चाहिए।। जल जंगल जमीन का मालिक , आखिर क्यों लाचार है, मालिकक को मालिक होने का , एहसास कराना चाहिए।। देश की धन दौलत को लूटें, चोर लुटेरे गद्दार हैं, इनको फांसी पर लटकायें, यही उचित और न्याय है।। बहुत मांग ली अब ना मांगो, ये सारे गद्दार है। ऐसे तानाशाहों के लिए अब, हाथ में तलवार होना चाहिए।। बहुत हो चुका रोना धोना अब रोने का वक्त नहीं, सत्ता शासन के लिए अब तो,  "स्वशासन" का हुंकार होना चाहिए।।     ( गुलजार सिंह मरकाम)

कोया पुंगार मासिक पत्रिका

कोरोना काल मैं आर्थिक मंदी और स्वास्थ्य विषयों के कारण मासिक पत्रिका कोयापुंगार मैं अवरोध हुआ जिसके कारण पत्रिका का निममित संचालन नहीं हो सका परंतु पुन अपना कार्य प्रारंभ करते हुए पत्रिका के संपादक संग्राम सिंह मरकाम । साभार-अखंड गोंडवाना न्यूज़