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gondi Language in india

म0प्र0 में गोंड जनजाति की जनसंख्या को देखते हुए तथा उसकी समृद्व भाशा गोंडी को बोलने वालों की संख्या को देखते हुए कोयतुर गोंडवाना महासभा जोकि सामाजिक संगठन है । के द्वारा गोंडी भाशा को मान्यता दिलाये जाने हेतु लगातार प्रयास कर रही है । इसी के तहत म0प्र0 के विधान सभा सदस्यों से संपर्क कर नवम्बर 2011 के सत्र के दौरान मांग पत्र प्रस्तुत किया ताकि ये सदस्य विधान सभा में चर्चा कराके प्रस्ताव पारित करा लें । दुर्भाग्य से किसी भी सदस्य ने इसे नहीं उठाया । जबकि इस संबंध में लगभग सभी अनु0जनजाति के विधायकों को मांग पत्र देकर अनुरोध किया गया । महत्व नहीं दिये जाने का कारण जो भी लेकिन इतना तो समझा जा सकता है कि इन विधायकों में भाशा की महत्ता क्या होती है इसकी समझ नहीं । इन्हें यह दिखाई नहीं देता कि विदेषी भाशा अंग्रेजी षरणार्थी विदेषी सिंधियों की भाशा सिंधी को जब इस देष के संविधान में जगह मिल सकती है तब मूल निवासियों की भाशा गोंडी को मान्यता क्यों नहीं दिया जाना चाहिए । जरा सोंचें ।
भोपाल. स्वतंत्रता संग्राम के अमर षहीद सरदार विष्नू सिंह गोंड की स्मृति में गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद का 16 राश्टीय स्तर का सम्मेलन बैतूल जिला मुख्यालय मेंदिनांक 24 25 26 दिसंबर 2011 को आयोजित है ।कोईतुर गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देष भर के जनजातीय संबंधी साहित्यकार लेखक एवं उनके साहित्य का उदवाचन होगा । गोंडवाना के सामाजिक धार्मिक आथर््िाक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विशयों पर विद्ववानों के द्वारा विचार प्रस्तुत किये जायेंगे ।कविताओं के माध्यम से गोंडियन दर्षन की रसगंगा बहाई जायेगी । प्रदेष भर के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा अपने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों के माध्यम से गोंडवाना के जनजीवन तथा उसके रहस्यों मूल्यों से अवगत कराया जायेगा ।गोंडवाना आन्दोंलन की अबतक के सफर का सिंहावलोकन भी विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत किया जाना है । गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद के प्रमुख तथा गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के संपादक मा0 सुन्हेर सिंह ताराम ने बताया कि गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के लगातार 1984 से चलने के कारण ही गोंडवाना आन्दोलन की नीव पडी आज की तारीख तक गोंडवाना का नाम जिस स्तर पर

gondwana gondi sahity sammelan 24,25,26 betul 2011 m.p.

 एैतिहासिक होगा बैतूल का गोंडवाना साहित्य सम्मेलन भोपाल. स्वतंत्रता संग्राम के अमर षहीद सरदार विष्नू सिंह गोंड की स्मृति में गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद का 16 राश्टीय स्तर का सम्मेलन बैतूल जिला मुख्यालय मेंदिनांक 24 25 26 दिसंबर 2011 को  आयोजित है ।कोईतुर गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देष भर के जनजातीय संबंधी साहित्यकार लेखक एवं उनके साहित्य का उदवाचन होगा । गोंडवाना के सामाजिक धार्मिक आथर््िाक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विशयों पर विद्ववानों के द्वारा विचार प्रस्तुत किये जायेंगे ।कविताओं के माध्यम से गोंडियन दर्षन की रसगंगा बहाई जायेगी । प्रदेष भर के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा अपने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों के माध्यम से गोंडवाना के जनजीवन तथा उसके रहस्यों मूल्यों से अवगत कराया जायेगा ।गोंडवाना आन्दोंलन की अबतक के सफर का सिंहावलोकन भी विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत किया जाना है । गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद के प्रमुख तथा गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के संपादक मा0 सुन्हेर सिंह ताराम ने बताया कि गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के लगातार 1984 से चलने के कारण ही गोंडवाना आन्दोलन क

gondwana skhity sammlen 24,25,26 dec.2011 in betul m.p.

 एैतिहासिक होगा बैतूल का गोंडवाना साहित्य सम्मेलन भोपाल. स्वतंत्रता संग्राम के अमर षहीद सरदार विष्नू सिंह गोंड की स्मृति में गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद का 16 राश्टीय स्तर का सम्मेलन बैतूल जिला मुख्यालय मेंदिनांक 24 25 26 दिसंबर 2011 को  आयोजित है ।कोईतुर गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देष भर के जनजातीय संबंधी साहित्यकार लेखक एवं उनके साहित्य का उदवाचन होगा । गोंडवाना के सामाजिक धार्मिक आथर््िाक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विशयों पर विद्ववानों के द्वारा विचार प्रस्तुत किये जायेंगे ।कविताओं के माध्यम से गोंडियन दर्षन की रसगंगा बहाई जायेगी । प्रदेष भर के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा अपने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों के माध्यम से गोंडवाना के जनजीवन तथा उसके रहस्यों मूल्यों से अवगत कराया जायेगा ।गोंडवाना आन्दोंलन की अबतक के सफर का सिंहावलोकन भी विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत किया जाना है । गोंडवाना गोंडी साहित्य परिशद के प्रमुख तथा गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के संपादक मा0 सुन्हेर सिंह ताराम ने बताया कि गोंडवाना दर्षन मासिक पत्रिका के लगातार 1984 से चलने के कारण ही गोंडवाना आन्दोलन क

gondwana skhity auor samaj

गोंडवाना साहित्य का समाज के विकास में योगदान                            गुलजार सिंह मरकाम  साहित्य सामाजिक चेतना का एैसा साधन है जिसमें समाज के जीवनोपयोगी धार्मिक सामाजिक राजनैतिक सांस्कृतिक स्तर के हर पहलू को साधा जा सकता है । समाज के बढते घटते सामाजिक धार्मिक आर्थिक सांस्कृतिक स्तर का वास्तविक मूल्यांकन करते हुए समाज को उचित मार्गदर्षन दे वही साहित्य है । पूर्व काल में साहित्य को ताडपत्र ताम्रपत्र या पत्थरों में उकेरा गया । आज साहित्य को कागज और कपडों में लिखा जा रहा है । इसका कतई मतलब नहीं कि इससे पहले साहित्य होता नहीं था । पुरातन काल में लेखबद्व होने की अपेक्षा जनमानस के संस्कारों में संस्थापित कर दिया जाता था । अर्थात साहित्य का सामाजिकरण कर दिया जाता था । जो कि धीरे धीरे यही सामाजिक संस्कार संस्कृति की स्थापना में सहायक होते रहे हैं । अर्थात साहित्य संस्कृति की स्थापना का आधार भी है । हमारे देश में समय समय पर अनेक विदेशी आक्रमण हुए इन आक्रमणकारियों ने अपना स्थायी प्रभुत्व कायम करने के लिये साम दाम दण्ड भेद की नीति को आधार बनाया । जनमानस का विश्वास स्ािापित करने के लिये अपने त

gondwana gondi sahity sammelan 24.25.26 dec.2011 in betul m.p.

 एैतिहासिक होगा बैतूल का गोंडवाना साहित्य सम्मेलन भोपाल. स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद सरदार विश्नू सिंह गोंड की स्मृति में गोंडवाना गोंडी साहित्य परिषद का 16 राष्टीय स्तर का सम्मेलन बैतूल जिला मुख्यालय मेंदिनांक 24 25 26 दिसंबर 2011 को  आयोजित है ।कोईतुर गोंडवाना महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश भर के जनजातीय संबंधी साहित्यकार लेखक एवं उनके साहित्य का उदवाचन होगा । गोंडवाना के सामाजिक धार्मिक आथर््िाक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विषयों पर विद्ववानों के द्वारा विचार प्रस्तुत किये जायेंगे ।कविताओं के माध्यम से गोंडियन दर्शन की रसगंगा बहाई जायेगी । प्रदेश भर के सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा अपने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों के माध्यम से गोंडवाना के जनजीवन तथा उसके रहस्यों मूल्यों से अवगत कराया जायेगा ।गोंडवाना आन्दोंलन की अबतक के सफर का सिंहावलोकन भी विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत किया जाना है । गोंडवाना गोंडी साहित्य परिषद के प्रमुख तथा गोंडवाना दर्शन मासिक पत्रिका के संपादक मा0 सुन्हेर सिंह ताराम ने बताया कि गोंडवाना दर्शन मासिक पत्रिका के लगातार 1984 से चलने के कारण ही गोंडवाना आन्दोलन क

24 june durgavati balidan divas

मध्यप्रदेष राजय में षासन के द्वारा एैच्छिक एवं सार्वजनिक अवकास धोशित किये जा चुके हैं । इस सत्र में आदिवासी समाज के साथ अन्याय हुआ है । गोंडवाना की महारानी दुर्गावति के नाम पर इस सत्र में छुटटी की घोशणा नहीं किया जाना आदिवासी समुदाय के साथ नाइंसाफी है । अर्थात इसे वर्तमान सरकार द्वारा आदिवासियों की उपेक्षा समझें या आदिवासियों के गौरवषाली इतिहास को मिटाने का शडयंत्र । इसे समझकर आगे हमें क्या करना चाहिए जरा सोचें
समाज या राष्ट्रीय के विकाश दर्पण केवल दो अंक से परिलक्षित। 1. शारीरिक विकास 2. सांस्कृतिक विकास या कि समाज के राष्ट्रीय भौतिक विकास और सभ्यता बाहरी दृश्य कहा जाता है।  स्वास्थ्य Vesbhusha जीवित रहने के लिए आदि मनुष्य पूर्ति के लिए भव्य भवन विज्ञान प्रौद्योगिकी आर्थिक संसाधनों वृद्धि की प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए है। सभ्यता दिखाई दे बात धर की दहलीज के बाहर अन्य तरीकों से या शारीरिक विकास  आवश्यक है। आदिवासी समुदाय या आज की सभ्यता  चक्र  में स्वार्थी व्यक्तिवाद। मकान रियल एस्टेट गहने, गहने की दुकान, टीवी, फ्रिज आदि भ्रष्ट और याद नहीं है होड में भ्रष्ट से काम दिखा मिलता है। सरकार और राजनीति गले में बड़े पदों समुदाय की उम्मीदों को न जाने। समुदाय, संस्कृति, सभ्यता के शारीरिक विकास, आंतरिक विकास की रूपी रूपी कोर्स बंद कर दिया है। हम समाज के एक सोचा था, लेकिन देखना है कि, और क्यों व्यवहार में अंतर है। संस्कृति या हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों हमारी सरकारों के नाम पर कुछ हमारे बाहरी स्वरूप दिखाई दे रहा है कि सभ्यता की रक्षा करने की बात करते हैं।  यही करूणा दया माया मनुष्य का मनुष्य सहित
In madhypradesh sevaral forts of gond kings.the garha mandla was a kingdom of 52 garh and 57 pargana king sangram shah mandavi ruled all gondwana.he was started gold ceoin in his state.
Freedam fighter  of india  Shree MANSU OJHA from district BETUL  he was disturb english ruler and their rule.mansu ojha was uproot the train line in betul rout .english government punished mansu ojha and his comrades. mansu ojha was a tribal men .there egitation was tribal regon .he was cought by british government and send to narsinghpur  district jail in cp & barar state now it called madhypradesh.His faimily members live in betul district in m.p.tribel comunity is celebrate their martyr day every year in bhopal.