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Showing posts from October, 2021

भविष्य का संसार

भविष्य के समय का संसार" 21वीं सदी से आरंभ होने वाली प्रमुख घटनाओं के संबंध में किसी महान भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी है कि आने वाले समय में युद्ध या महामारी से दुनिया का 25% व्यक्ति ही बच पाएगा जिसमें दुनिया के अनेक देशों की जनसंख्या न्यूनतम हो जाएगी वही विश्व की शक्ल जनसंख्या का 25% व्यक्ति एशिया महाद्वीप यानी भारत सहित प्रकृति की गोद में जंगल पहाड़ों में रहने वाला इंसान ही बच पाएगा। (Gska)

जनजाति घोषित क्षेत्र और शरणार्थी

भारत देश की आजादी 1947 के बाद अनुसूचित जनजाति छेत्र यानी पांचवीं, छठवीं अनुसूची क्षेत्रों में आकर बसे विदेशी शरणार्थी हैं ऐसे लोग इन क्षेत्रों में केवल व्यापार करके लाभ कमा कर अपने मूल स्थान में वापस जा सकते हैं परंतु यहां पर से स्थाई संपत्ति अर्जित नहीं कर सकते ना ही स्थाई निवास कर सकते। ऐसे लोगों के व्यवस्थापन की समस्या भारत सरकार की है ना कि जिसके मूल निवासी आदिवासी की है इसलिए इसी संदर्भ में मंडला डिंडोरी सहित अनेक क्षेत्रों में सिंधी शरणार्थी आकर अवैध रूप से बस हुए हैं ऐसे लोगों की स्थाई संपति जप्त की जाए उन्हें केवल व्यापार करने की अनुभूति के तहत व्यपार करके लाभ कमा के उन्हें जो भारत सरकार में शरणार्थी कैंप बना कर दिए हैं वहां पर निवास करें पांचवे सूची शेत्र में स्थाई निवास का कोई भी पट्टा या रजिस्ट्री पूरी तरह अवैध है ग्रामगण राज्य पार्टी इस विषय पर संवैधानिक तरीके से आंदोलन करके ऐसी कृत्य का विरोध करेगी। गुलजार सिंह मरकाम (gska)

पांचवी अनुसूची बनाम पेशा कानून

"पांचवी अनुसूची बनाम पेसा कानून" संविधान में लिखित पांचवी अनुसूची आदिवासी को पूर्ण स्वायत्तता के लिए स्थापित की गई थी परंतु उसे कमजोर करते हुए अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी को संतुष्ट करने उनके वोट बैंक को हासिल करने के लिए सत्तारूढ़ मनुवादी पार्टियों ने पेशा कानून के रूप में पांचवी अनुसूची की अनुपूर्ति के उद्देश्य पेसा एक्ट लाया जो आदिवासियों के अधिकारों को सीमित करके गैर आदिवासियों की दखल को मान्यता देता है। पंचायती राज नगर परिषद नगर पालिका का अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में प्रवेश इसका सीधा उदाहरण है। गुलजार सिंह मरकाम(Gska)

जाति और वर्ग

" हमारे देश के संविधान में जातियां वर्ग में समाहित कर दी गई । यथा अजजा,अजा, पिछड़ा , अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग परन्तु हम अभी तक जातीय मानसिकता से उबर नहीं पाये है।" -(गुलजार सिंह मरकाम

2 वोट का अधिकार

"दो वोट के अधिकार का सामाजिक रूप से उपयोग संभव है" पूना पैक्ट मैं गांधी के द्वारा की गई धूर्तता पूर्ण छल कपकपट दो वोट के अधिकार से वंचित किया जाना,को संसद,विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव घोषणा के साथ दो वोट के प्रयोग का रिहर्सल करके गांधी की कपटता का जवाब दिया जा सकता है। यथा चुनाव घोषणा के साथ ही निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित मतदान तिथि और नामांकन के पूर्व अनुसूचित वर्गो द्वारा आसन्न चुनाव में भाग लेने वाले इच्छुक प्रतिभागियों के बीच प्रथम "एक वोट" का सामाजिक मतदान की व्यवस्था करके सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले प्रत्याशी को ही मुख्य चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाये तथा उसे ही समुदाय द्वारा "दूसरा वोट" से मतदान करने की अपील हो । ऐसा करने से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में आपका प्रत्याशी ही विजयी हो सकता है। अनुसूचित वर्गों द्वारा इस तरह का किया गया प्रयास गांधी को पूना पेक्ट का उचित जवाब होगा। --गुलजार सिंह मरकाम (gska)