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Showing posts from June, 2022

छ: मासी और बारहमासी गली

 "छ: मासी और बारह मासी गली"                  (कहानी) बचपन में हमने कहानी सुनी थी आज के परिवेश में गोंडवाना मिशन की समय दिशा तय करने में इस कहानी का काफी योगदान हो सकता है ! कहानी कुछ इस तरह है:-                  चिरान जुग (पुराने जमाने) की बात है कुछ लोगों का समूह किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक निर्धारित स्थान पर जा रहा था । चलते चलते बियाबान जंगल मैं दो रास्ते दिखाई दिए यात्री असमंजस में पड़ गए कि किस गली से जाया जाए। आसपास देखने पर पता चला की पास ही में एक  झोपड़ी थी जाकर देखा तो वहां पर एक बूढ़ी मां थी, उन्होंने उनसे बातचीत करते हुए पूछा कि कब से हो रही हो तब बूढ़ी मां ने बताया कि मैं यहां बरसों से रह रही हूं ताकि लोगों को उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उचित मार्गदर्शन कर रास्ता बता सकूं , क्योंकि अभी तक जो भी वहां गए हैं वे अभी तक लौट कर नहीं आये, जो भी गया है अभी तक लौट कर नहीं आया, मुझे मालूम है कि आप लोग भी जल्दबाजी में है,आप लोग भी यही गल्ति करेंगे। बूढ़ी मां के इस रहस्यमई बात को सुनकर यात्रियों की जिज्ञासा और आशंका बढ़ गई उन्होंने कहा कि आप हमें बताएं की जो लोग गए थे

भारत का गौरव किस्में ?

 "भारत का गौरव किसमें ?" आज हमारे देश में हिंदू गौरव दिखाने की भरपूर कोशिश की जा रही है जिसके लिए मीडिया साहित्य के साथ साथ नेता ,धर्मगुरु और बहुत से अज्ञानी गुलाम भी लगे हुए हैं जिन्हें ना इतिहास का ज्ञान है ना धर्म का ज्ञान है उन्हें बस हिंदू गौरव जो प्रायोजित, नकली इतिहास के माध्यम से पढ़ाया गया है,पढ़ाया जा रहा है उनके लिए वही अंतिम सत्य है। असली हिंदू कौन इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया सब राष्ट्र के नाम पर हिंदू बनकर, देश में जातिवाद और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। बारी बारी से हिंदू वर्सेस मुस्लिम, हिंदू वर्सेस ईसाई, हिंदू वर्सेस बौद्ध, हिंदू वर्सेस आदिवासी(धर्मपूर्वी) के बीच संघर्ष को हवा दे रहे हैं। इस देश के असली मूलनिवासी को अपने गौरव की चिंता नहीं इसलिए सत्ही इतिहास जो अंग्रेजों की चाटुकारिता करते हुए अपनी जमीदारी बचाए, मुगलों की चाटुकारिता करते हुए राज दरबारों में अपनी बहन बेटियां देकर दरबारों की शान बने,अपने सिंहासन बचाये। यदि देश के मूल निवासी को अपने असली गौरव का एहसास करना है,तो उसे आर्य दृविण का देवासुर संग्राम पढ़ना चाहिए, आचार्य चतुर्सेन का वयं रक्षाम: ,वोल्गा

पुरखों का गुरुकुल,गोटुल

 "पुरखों का गुरुकुल,गोटुल (५,६अनु.जनजा.क्षेत्र)" जनजातियों के लिए पांचवी और छठी अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने की मंशा के पीछे उनकी धार्मिक सामाजिक रूढि परंपराओं, सांस्कृतिक एवं भाषा को सुरक्षित करना था, ताकि दुनिया अपने मूल मानव विकास के पुरखों का एहसान पीढ़ी दर पीढ़ी मानें, उनसे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का अनुसरण कर सकें। उनसे मानवता, परोपकार, सरलता, सहजता करूणा दया जैसे मानवीय गुणों को सीख पाये। साथ ही ऐसे जनजाति घोषित क्षेत्रों का अध्ययन करके लोकतंत्र के मूल्यों की समझ विकसित कर सके। यानि ऐसे क्षेत्र देश के मूल का आईना है, दर्पण है, लोक कल्याणकारी व्यवस्था में लोकतंत्र की पाठशाला की भांति है। अर्थात देश का गुरूकुल है। ऐसे गुरुकुल क्षेत्रों को उसकी आत्मा को बिना हानि पहुंचाये। सुरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता सत्ताधारी शासक की थी, परन्तु भारत देश में इन क्षेत्रों को सुरक्षित संरक्षित करने की बजाय कथित विकास के नाम इन क्षेत्रों के  लोगों की सम्पूर्ण पहचान मिटाने की लगातार कोशिश की जा रही है, ऐसे क्षेत्रों के भूगोल को भी लगातार  तहस नहस किया जा रहा है। जैसे जैसे ऐसे गुरु