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Showing posts from January, 2024

कांग्रेस ही दोषी है।

 "कांग्रेस ने ही अतिवादी राष्ट्र की नींव रखी थी।" वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतांत्रिक मूल्यों का ल्हास हो रहा है, लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ न्याय पालिका, कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और मीडिया यदि चारण की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। इसका जिम्मेदार भी कांग्रेस ही है। धार्मिक उन्माद के माध्यम से आर एस एस के  तानाशाही विचारधारा की नींव रखवाने वाले भी इन्हीं के पुरोधा रहे हैं।                             भारत का संविधान राष्ट्र को समर्पित करते हुए डा.भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था कि "किसी देश का संविधान कितना ही अच्छा हो  यदि उसके चलाने वाले अच्छे नहीं होंगे तो वह संविधान अच्छा परिणाम नहीं दे सकता, वहीं किसी देश का संविधान कितना भी खराब हो यदि उसके चलाने वाले अच्छे होंगे तो खराब संविधान भी अच्छा परिणाम दे सकता है।"  कहने का मतलब स्पष्ट है कि संविधान के माध्यम से स्वतंत्र भारत का संचालन जिन हाथों में आया इसके कर्ताधर्ता भी आर एस एस के छद्म कांग्रेसी नेता रहे हैं। जिन्होंने शनै शनै आज की परिस्थितियों की नींव रखी थी। ज्ञान पिपासा ने भारतीय समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता क

हम कहां हैं

 "हम कहां हैं " विकास के नाम पर आधुनिक समाज ने क्या क्या मील के पत्थर गढाये है, क्या आरंभिक मानव के गढ़े गए नींव से कुछ अलग आविष्कार किये हैं या आरंभिक मानव के अविष्कार को पंख लागाकर समय और दूरी को कम कर दिया है। आखिर नये इंसान ने जीवन के बहुआयामी विकास क्रम में, संस्कार संस्कृति शिक्षा, स्वास्थ्य, संसाधन में नया कुछ नहीं कर सका है, बल्कि इंसान के जीवन को और कठिन कर खतरे में डाल दिया है।                        उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो आरंभिक कृषि संसाधन हल बैल जो आज भी इतना ही प्रासंगिक है जितना आज है। जिसकी पहुंच जनसामान्य तक रही है जिसे आधुनिक समय में जनसामान्य की पहुंच से दूर करते हुए कुछ लोगों के इर्दगिर्द कर दिया, अर्थात विकास के नाम पर पूंजीवादी व्यवस्था की नींव रख दी , यात्रा आवागमन घोड़ा, घोड़ागाड़ी बैलगाड़ी नाव आदि के आरंभिक मानव का अविष्कार जो जनसाधारण की पहुंच में रहा है,आज भी है, परन्तु पूंजीवादी विकास क्रम ने इसमें मशीन लगाकर वायुयान , चारपहिया वाहन जलपोत आदि लाकर समय और दूरी को तो कम कर दिया लेकिन इंसान और इंसानियत के बीच दूरी बनाकर इसे सीमित लोगों तक केंद्