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Showing posts from March, 2024

"भारत के मूलनिवासी कुछ तो बदलो"

 "भारत के मूलनिवासी कुछ तो बदलो" देश के वर्तमान हालात कैसे हैं किसी से छिपी नहीं है, बेरोजगारी, भ्रष्टाचारी हर वर्ग पर अन्याय अत्याचार, राजनीति में नैतिकता का पतन ,सत्ता का दुरूपयोग, ईडी सीबीआई जैसी एजेंसियों से भय पैदा करना, सरकारी संस्थाओं को लगातार कुछ निजी हाथों में बेचने, बड़े उद्योगपतियों के अरबों के कर्ज माफ करना, बैंक लूटकर भागने वाले चोरों को पूरा संरक्षण देना जैसी घटनाएं सबके सामने घटित हो रही हैं, किसानों के साथ दुर्व्यवहार जगजाहिर है। फिर भी सरकार अपनी कालर ऊंचा करके फिर से चुनाव जीतने का बिगुल बजा रही है। भारत का मतदाता इनके तामझाम और प्रचार तंत्र के झांसे में आकर सबकुछ भूलकर इन्हें ही 2 किलो फ्री राशन के लोभ में सब दुखदर्द भूल रहा है। क्या इससे भारत का भविष्य स्वर्णिम हो पायेगा कभी नहीं? भारत से इस चोर कंपनी का डेरा समाप्त करना होगा, भारत के भविष्य को अपने हाथों संवारना पड़ेगा।  - गुलजार सिंह मरकाम  राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

"लोभ लालच और समाज"

 "लोभ लालच और समाज" आरक्षित वर्ग के गुलाम जनप्रतिनिधि टिकट और मंत्री पद पाने के लिए समुदाय के हित दरकिनार कर देते हैं।             वहीं आरक्षित वर्ग के ब्यूक्रेट अधिकारी कर्मचारी पद और प्रमोशन पाने के लिए अपनी सामुदायिक जिम्मेदारी के प्रति उदासीन हो जाते हैं। - गुलजार सिंह मरकाम  राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

ज्यूडिशियल और नान ज्यूडिशियल"

 ज्यूडिशियल और नान ज्यूडिशियल" ज्यूडिशियल और नान ज्यूडिशियल पर बात करने वाले आदिवासी मूलनिवासी केवल चर्चा में नान ज्यूडिशियल हैं, व्यवहार में ज्यूडिशियल व्यवस्था को गले गले तक मानते हैं, ऐसी टीमें आत्ममुग्धता में ही जीती हैं, बुद्धि विवेक विज्ञान संविधान के ऊपर अपने आप को मानती हैं। ऐसे मित्रों से मेरी विनम्र अपील है कि, विचार और व्यवहार में समानता लायें। मेरे विचारों से किसी को दुख पहुंचा हो तो क्षमा चाहता हूं। मेरा मानना है.....  "अपनी भाषा धर्म संस्कृति परंपरा को पकड़कर रखो, जकड़ कर रखो लेकिन वर्तमान में जियो"  - गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन