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Showing posts from May, 2018

"ईवीएम" पर संदेह मत करो !

"ईवीएम" पर संदेह मत करो ! उपचुनाव, पतंग की डोर को जानबूझकर ढीला किया गया है ताकि आप भ्रम में रहें कि "ईवीएम मशीन " में कोई गडबडी नहीं । उपचुनाव में सरकार बनती है ना बिगडती है । इसलिये इस पर अमित,मोदी जोर लगाना नहीं चाहते । उनकी जरूरत तो मप्र,राजस्थान और छग पर है जिसमें २०१९ के आमचुनाव(लोकसभा) पर विपरीत असर पडेगा । इस चुनाव में मिश्रित परिणाम लाये जायेंगे । जिसमे कॉग्रेस भी ईवीएम पर सवाल खडा नहीं करेगा । यह भाजपा को बाकोबर देने का अंतिम पडाव होगा । इस जीत के बाद भारत देश वर्तमान संविधान के बंधन से मुक्त हो जायेगा । तब सत्ता का संविधान चलेगा ,संविधान की सत्ता नहीं ! राजनीति की भविष्य द्रष्टि यही दिखाती है ।-gsmarkam

गोंडवाना आंदोलन की प्रमुख राजनीतिक शाखा "गोंडवाना गणतंत्र पार्टी" मप्र में २०१८ की सरकार बनाने के लिए अहम भूमिका में रहेगी ।

"गोंडवाना आंदोलन की प्रमुख राजनीतिक शाखा "गोंडवाना गणतंत्र पार्टी" मप्र में २०१८ की सरकार बनाने के लिए अहम भूमिका में रहेगी ।" गोंडवाना आंदोलन की विभिन्न शाखाओं ने राजनीतिक शाखा के कमजोर और खंडित होने के बावजूद अपने निर्धारित कार्यक्रमों को सतत् जारी रखा । जिससे गोंडवाना आंदोलन पर ज्यादा विपरीत प्रभाव नहीं पडा । सामाजिक,धार्मिक, सॉस्क्रतिक साखाओं ने समाज को गोंडवाना की विचारधारा से बॉधे रखा । परिणामस्वरूप राजनीतिक शाखाओं गोंगपा,भागोंपा को समाज की चाहत का सम्मान करने की मजबूरी ह ो चुकी थी । राजनीतिक शाखाओं के प्रमुखों के बीच समुदाय के इस चाहत को पूरी करने की मजबूरी थी । अंतत्वोगत्ता राजनीतिक शाखाओं में मतभेद और दूरियॉ खत्म करने का निर्णय हुआ । इस निर्णय का प्रभाव इतना हुआ कि मप्र में गोंडवाना तीसरी बडी राजनीतिक ताकत बनकर उभर गया । इस उभार से वर्तमान सत्ता और विपक्छ भयभीत है । गोंडवाना के राजनीतिक प्रतिनिधियों के फोन,मोबाईल की घंटि़यॉ लगातार घनघना रहीं हैं , पर गोंडवाना के नेताओं का एक ही जवाब है । हम बात करने को तैयार है पर बिना "समन्वय समिति " की अनुमति स

"मप्र में गोडवाना की सरकार बनाने के लिये अजा और अजजा के वोट काफी हैं ।"

"मप्र में गोडवाना की सरकार बनाने के लिये अजा और अजजा के वोट काफी हैं ।" (अल्पसंख्यक और अम्बेडकरी विचार के पिछडा वर्ग का साथ सोने में सुहागा का काम कर सकता है ।) भारत देश के मूलनिवासी जनता और उनके नेत्रत्व में चल रहे दलों को कॉग्रेस के द्वारा भाजपा को दिये जा रहे गुप्त बाकोबर का एहसास एहसास नहीं । अन्यथा धीरे धीरे भाजपा का देश के सारे राज्यों में विस्तार संभव नहीं था । यह कारनामा दोनों की मिली भगत से "ईवीएम मशीन" के माध्यम से जारी है । यही कारण है कि कॉग्रेस "ईवीएम" की निश्पच् छता के मामले चुप्पी साधा हुआ है । कॉग्रेस में निचले स्तर के कुछ पराजित जनप्रतिनिधियों ने एक साथ मिलकर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खडे करते हुए हाईकमान तक पहुंचे परन्तु उमकी आवाज को दबा दिया गया । आखिर क्यों ? इससे स्पष्ट होता है कि कॉंग्रेस भी "ईवीएम" से सहमत है , इस मूक सहमति का कारण देश में कॉग्रेस की इहलीला समाप्त हो इससे पहले मूलनिवासी विरोधी भाजपा को पूर्णत: देश में स्थापित करा देना है ,ताकि वह संविधान में अंकित मूलनिवासियों के विशेषाधिकार को समान नागरिक संहिता लाकर स

"मप्र में गोंडवाना को एक बार पुनः राजनीति की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा ।"

"मप्र में गोंडवाना को एक बार पुनः राजनीति की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा ।"  वर्ष 2003 के बाद जब गोंडवाना अपने पूरे उफान के साथ 2008 की तैयारी में था तभी एक अप्रत्याशित घटना घटती है जिस दल को 2008 चुनाव के लिये अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो गया था भयंकर षडयंत्र के तहत गोंडवाना की राजनीति में बिखराव का बीज बो दिया गया । बाद में पता चलता है कि यह बीज बोने वाली कांग्रेस थी और गोंडवाना की ओर से इस व्यूह रचना में गोंडवाना के गैर आदिवासी कथित बडे नेता शामिल थे। क्योकि गोंडवाना के  मजबूत होने से कांग्रेस गर्त में जाती है । यही हू बहू घटना चुनाव 2008 आने के पूर्व बसपा के साथ घटित होती है, बसपा को भी दो टुकडों में विभाजित होना पड गया । गोंडवाना की वर्तमान एकता ने कांग्रेस को पुनः भयभीत कर दिया है । अब हमें पूरी तरह सजग होकर चलना होगा ताकि गोंडवाना की एकता और ताकत की वृद्धि में कोई जहर ना घोल दे । गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ,भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिये कांग्रेस सहित किसी भी दल से गठबंधन करके चुनाव लड सकती है पर यह गठबंधन गोंडवाना के हित और शर्तों पर किया जायेगा । कांग्रेस मे

"अब ना शासन चल पायेगा,आश्वासन और नारों से ।"

"अब ना शासन चल पायेगा,आश्वासन और नारों से ।" राजा थे ये राज्य हमारा,लिखदो अब दीवारों पे , अब ना शासन चल पायेगा,आश्वासन और नारों से ।टेक। आस लगाये बैठे थे,कुछ तब होगा कुछ अब होगा , भूख मिटी ना बेरोजगारी ही,नालायक गद्दारों से ।।१।। कहते हैं हर बार ताज दो,देश को आगे कर देंगे , खाली खाता खुलवालो तुम, पन्द्रह लाख से भर देंगे । अब भी क्या आशा करते हो, झूठे और लब्बारों से ।।२।। हाथ उस्तरा दे दी तुमने , बंदर से नौसिखियों को । राज पाट का ज्ञान नहीं है, देश के इन भिखमंगों को । गोंडवाना को मुुक्त कराओ,इन भ्रष्टाचारी दलालों से ।।३।। परजीवी से अमर बेलों को , नाहक गले लगा बैठे । सत्ता की चाबी दे देकर , कौवों को हंस बना बैठे । वक्त मिला है इन्हें हटा दो , सत्ता के गलियारों से ।।४।। उठो सुप्त सी तलवारों पर , धार लगाना शुरू करो । मूलनिवासी बीज रक्त को , गले लगाना शुरू करो । मुक्त कराओ गोंडवाना को , परदेशी अय्यारों से ।।५।। अब ना शासन चल पायेगा , आश्वासन और नारों से ।।-gsmarkam

"आदिवासी समुदाय में जनचेतना विकसित करने के लिये कवि सम्मेलन आयोजित हो ।"

"आदिवासी समुदाय में जनचेतना विकसित करने के लिये कवि सम्मेलन आयोजित हो ।" आदिवासी समुदाय में जनचेतना विकसित करने के लिये कवि सम्मेलन जैसे आयोजनो को विकसित करना होगा । मुस्लिम समुदाय में कव्वाली संगीत के साथ साथ मुशायरा कवि सम्मेलन जो कि तत्काल और तत्कालीन विषयों को लेकर चलाये जाते हैं जो समाज की चेतना का कारण बनते हैं यह चेतना उन्हें संगठित करती है । हिन्दू जागरण के नाम पर एवं कवि सम्मेलनों में तत्काल और तत्कालीन विषयों के आयोजन हिन्दुत्व की विचारधारा को बढावा देने में लगे रहते हैं । इसलिये इस विधा से संबंध रखने वाले आदिवासी समुदाय के कवियों की फौज तैयार की जाये ताकि समय समय पर आयोजनो के माध्यम से समाज को विशुद्ध उर्जा प्राप्त होती रहे । किसी ना किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी ।-gsmarkam "मप्र में शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर का कवि सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।" (समुदाय के प्रथम पंक्ति के कवि जिनकी सेवायें कवि सम्मेलन के माध्यम से जनचेतना के लिये लिया जाना है।) 1. तिरूमाय उषा किरण आत्राम महाराष्ट्र 2. तिरूमाल डा0 सूर्यबाली एम्स मध्यप्रदेश 3. तिरूमाय रमा ट

गोंगपा के कार्यकर्ता अफवाहों से बचें ।

गोंगपा के कार्यकर्ता अफवाहों से बचें । गोंडवाना आंदोलन से जुडे सभी संगठन ध्यान दें । मप्र में कुछ कार्यकर्ता कांग्रेस से गठबंधन होने की भ्रामक खबर फैलाकर कार्यकर्ताओं को भृमित करने का प्रयास कर रहे हैं । इस संबंध में गोंगपा के रा0 अध्यक्ष माननीय हीरा सिंह मरकाम जी ने अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं किया है । मप्र के मामले में सभी निर्णय समन्वय समिति की ओर से लिये जाने हैं पर गठबंधन संबंधी कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है । इसलिये कोई भी कार्यकर्ता भाजपा और कांग्रेस से बराबर दूरी बनाये रखें । भविष्य में गठबंधन संबंधी कार्यवाही के संबंध में रा0अध्यक्ष मा0 हीरासिंह मरकाम जी और रा0 कार्यवाहक अध्यक्ष माननीय मनमोहन शाह वटटी जी की ओर से कोई अधिकृत सूचना आती है तब पार्टी कार्यकर्ता उनके निर्देशों का पालन करें । अन्यथा अफवाह फैलाने वाले पार्टी कार्यकताओं पर अनुशासनात्मक कार्यवाही संभव होगी ।- राष्ट्रीय संयोजक    

"समन्वयकर्ता या संयोजक की भूमिका"

"समन्वयकर्ता या संयोजक की भूमिका" मप्र में गोंडनाना की राजनीतिक इकाईयों में समन्वय से आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवि समर्थकों में खुशी की लहर है । यह खुशी केवल मप्र में ही क्यों रहे महाराष्ट्र , छग और उप्र जहां अभी भागोंपा गोंगपा की राज्य इकाईयां विधिवत संचालित है उन्हें भी स्थानीय राज्य स्तर पर समन्वय बनाने का प्रयास किया जाना है, इन प्रदेशों में स्थानीय सामाजिक संगठन अपनी भूमिका निभायें तो बेहतर होगा । वैसे पूर्व और वर्तमान राष्ट्रीय संयोजक होने के कारण मेरी जिम्मेदारी अधिक  बढ जाती है । कि अन्य राज्यों के संगठनों,कार्यकताओं के बीच आपसी सामंजस्य कैसे बने । मेरा प्रयास है कि इन राज्यों के सामाजिक संगठनों से और पार्टी की दोनों इकाईयों से बातचीत कर समन्वय का रास्ता निकाला जायेगा । ताकि आने वाले 2019 के लोक सभा चुनाव हेतु राष्ट्रीय स्तर पर साझा कार्यकृम बन सके । मित्रों आप सोचते होंगे कि अन्य राज्यों के संबंध में आप क्यों लिख रहे हैं । मित्रो संगठन, विचारधारा के साथ साथ संगठनकर्ताओं के अथक प्रयास और और मेहनत से तैयार होते हैं । संगठनकार्ता के प्रति कार्यकर्ता के विश्वास पर बनते

"मप्र में गोंडवाना की राजनीतिक एकता से कांग्रेस,भाजपा समर्थक आदिवासीयों में खलबली ।"

"मप्र में गोंडवाना की राजनीतिक एकता से कांग्रेस,भाजपा समर्थक आदिवासीयों में खलबली ।" अभी तक कुछ आदिवासी समुदाय के कथित जागरूक या अपने आप को समुदाय का हितैशी कहलानेवाले लोग गोंडवाना में राजनीतिक एकता नहीं होने से समुदाय कोनुकसान पहुंचने की बात करते थे । गोंडवाना के कार्यकर्ताओं को बार बार पार्टी विभाजन की बात दुहराकर उनके सामने कांग्रेस भाजपा को ही विकल्प बताते थे । परन्तु सामाजिक संगठनों के सूझबूझ और गोंडवाना के राजनीतिक दूरदर्शिता के कारण एकता होने से एैसे छदमवेशी लोगों को सांप सूंघ गया । कारण कि अब वे किस मुंह से समुदाय के पास जायेंगे । हालाकि एैसे लोग कोई ना कोई बहाना जरूर ढूंढ लेते हैं । अब एैसे लोग कहेंगे कि गोंडवाना अकेले दम पर कुछ नहीं कर सकती इसलिये उसे कांग्रेस या भाजपा से समझौता करके चुनाव लडना चाहिये । मगार तीसरी शक्ति का मप्र में कोई विकल्प खडा हो इसका सुझाव नहीं देते । मित्रों आपको अवगत हो कि मप्र में आदिवासी समुदाय स्वयं विकल्प है महाकौशल और विंध्य क्षेत्र की लगभग 90 सीटों को गोंडवाना की राजनीति प्रभावित करती है । वहीं मालवा निमाड में लगभग 30 विधानसभा सीटों पर

"आदिवासी समुदाय के बीच काम करने वाले आदिवासी राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी दलीय संबद्धता स्पष्ट करें ।"

"आदिवासी समुदाय के बीच काम करने वाले आदिवासी राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी दलीय संबद्धता स्पष्ट करें ।" केंद्रीय या राज्य स्तर की राजनीति में आदिवासी नेताओं पर संबद्ध दल का ठप्पा या छाप स्पष्ट दिखाई देता है, पर निचले स्तर जिला, ब्लाक या ग्राम स्तर पर संबद्ध दलों में काम करने वाले आदिवासी कार्यकर्ताओं पर यह ठप्पा स्पष्ट नहीं दिखाई देता । लेकिन इस स्तर पर भी गैरआदिवासी कार्यकर्ता मुखर होकर अपनी संबद्धता प्रदर्शित करता है । आखिर इसमें इतनी हिम्मत क्यों है,आदिवासी इतनी हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहा है । इसलिये संबद्ध दल के आदिवासी कार्यकर्ता को चाहिये कि वह निर्भय होकर अपनी संबद्धता स्पष्ट करके चले ताकि आदिवासी समुदाय अपने राजनीतिक हित अहित का फैसला लेते वक्त अंधेरे में ना रहे ।-gsmarkam part-2 "विचारधारा, संगठन और गठबंधन" एक विचारधारा वाले संगठन, एकता से संघर्ष करें समान समस्या वाले संगठन, गठबंधन करके लडें मनुवादी एकता के विरूद्ध मूलनिवासी बनकर लडें -gsmarkam

"गोंडवाना की राजनीति,और समाज का दायित्व"

"गोंडवाना की राजनीति,और समाज का दायित्व" मप्र में गोंडवाना के राजनीति दलों ने एकता कायम करके राजनीतिक एकता का परिचय दे दिया , गोंडवाना का आदिवासी समुदाय अब मप्र में आगामी २०१८ के विधान सभा चुनाव में गोंडवाना की सरकार बनाने में अपनी भूमिका निर्धारित करे ! गोंडवाना की राजनीतिक शाखा समाज के दिशा निर्देश और मार्गदर्शन में चलने को सदैव तत्पर है । - gsmarkam

"गोंडवाना भूमि के आदिवासियों की पहचान सरकार नहीं आदिवासी समुदाय तय करे ।"

"गोंडवाना भूमि के आदिवासियों की पहचान सरकार नहीं आदिवासी समुदाय तय करे ।"  गोंडवाना के मूलवासीध्आदिवासीध्देशज या इंडीजीनियस को केवल संविधान के परिपेक्ष्य में बने अनुसूचित जनजाति की सूचि मात्र के आाधार पर नहीं पहचाना जा सकता । इनकी पहचान का मापदण्ड सरकार नहीं समुदाय को तय करना होगा । इसका कारण है कि जनजाति की सूचि में अनेक एैसे समुदाय हैं जो आदिवासी समुदाय होने के मोटे मापदण्ड भी पूरा नहीं करते फिर भी सूचि में विद्धमान हैं ,वहीं बहुत सी जातियां हैं जो सामुदायिक मापदण्ड को आज तक पूरा कर रहीं हैं परन्तु उन्हें सूचि में स्थान नहीं मिला है । इस पर विचार किया जाय ? -gsmarkam

"मप्र में 21 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या होने की शक्ति दिखायेगा आदिवासी समुदाय"

"मप्र में 21 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या होने की शक्ति दिखायेगा आदिवासी समुदाय"  (गोंडवाना क्षेत्र और पश्चिमी मप्र में सामंजस्य । राजनीतिक मसलों पर एकजुट होकर समाज हित में निर्णय लेगा आदिवासी समुदाय ।)  दिनांक 20/05/2018 को भोपाल के गांधी भवन स्थित कबीर हाल में आयोजित मप्र के आदिवासी संगठनों के बुद्धिजीवियों ने समाज हित में 2018 के चुनाव में समाज की सत्ता में भागीदारी के लिये अहम फैसला लेते हुए समाज के राजनीतिक समझ और एकजुटता के दबाव को सभी दलों को प्रभावित करने का फैसला लिया गय ा । जो भी राजनीतिक दल उनके एजेंडे को लागू करने तथा राजनीति में संख्यानुशार प्रतिनिधित्व देने पर राजी होती है उस दल के साथ गठबंधन करने या उसके साथ चलने पर विचार कर सकती है । तत्संबंध में समाज के सभी संगठनों के द्धारा मप्र आदिवासी समन्वय समिति की नींव रखी गई है जो आदिवासी समुदाय के हितो के संबंध में रूपरेखा तैयार करेगी । आदिवासी समुदाय किसी दल का गुलाम नहीं आदिवासी अपनी शर्तों पर राजनैतिक दलों से आदिवासी विचारधारा का जनप्रतिनिधि भेजेगा यदि राजनीतिक दल इससे सहमत नहीं होंगे तो आदिवासी समुदाय स्वयं स्वतंत्र

गैर आदिवासी नेता या संगठन की जयकार में शामिल मत होओ ।

"फेसबुक परिदृष्य" गोंडवाना/आदिवासी की भाषा धर्म संस्कृति तथा स्वाभिमान सम्मान इज्जत की बात करने वाले कुछ फेसबुक मित्र गोंडवाना/आदिवासी विरोधी विचारधारा के गैर आदिवासी नेताओं के स्वागत और जयकारा करते नजर आने लगे हैं । इसे क्या संज्ञा दी जा सकती है । इसके क्या मायने निकाले जाना चाहिये । यदि  मित्रों में आदिवासियत जिंदा है तो किसी गैर आदिवासी नेता या संगठन की जयकार में शामिल मत होओ । आदिवासियत पर अपना माईंड सेट करो ।-gsmarkam

मप्र में *गोंडवाना" की राजनीति कर्नाटक की तरह "जेडीएस" की भूमिका में होगी ।

मप्र में *गोंडवाना" की राजनीति कर्नाटक की तरह "जेडीएस" की भूमिका में होगी । देश की जनता अब कॉग्रेस -भाजपा जैसे विदेशी विचारधारा के राष्ट्रीय दलों को नकारने लगी है । तथा देशी विचारधारा यानी राज्यो की स्थानीय पार्टियो को मजबूत करने लगी हैं । सारे देश के राज्यो का मूल्यॉकन करें तो कथित राष्ट्रीय दल लगातार अपना जनाधार खोते जा रहीं हैं ।उन्हें हर जगह छेत्रीय दलों से गठबंधन कर सरकार बनानी पड रही है । जनता को अब राष्ट्रीय समस्या को राज्य का मुद्दा बनाने का बहाना बनाकर राज्यों से वोट नहीं लिया जा सकता । मतदाता अब लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर तथा राज्यों के चुनाव राज्य के मुद्दों के इर्द गिर्द चाहता है । अन्य राज्यों की तरह मप्र में गोंडवाना आंदोलन को मजबूत करने का प्रयास जारी है ताकि गोडवाना के बिना किसी की सरकार ना बने , सरकार बने तो गोंडवाना की बने ।-gsmarkam

"जब एनडीए और यूपीए जैसे गठबंधन बन सकते हैं,तब देश में आदिवासियों के राजनीतिक दलों का गठबंधन क्यों नहीं ।"

"जब एनडीए और यूपीए जैसे गठबंधन बन सकते हैं,तब देश में आदिवासियों के राजनीतिक दलों का गठबंधन क्यों नहीं ।" गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन के माध्यम से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर आदिवासियों के नेतृत्व में चलने वाले देश के सभी राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन कर महागठबंधन हेतु पहल जारी । जिसमें झारखंड गुजरात उडीसा मप्र महाराष्ट्र छग के कुछ चुने हुए जनप्रतिनिधि तथा पूर्व मंत्री और राजनीतिक समझ रखने वाले बुद्धिजीवियों की बैठक आगामी जून माह में संभावित । महागठबंधन के नाम पर पहली बैठक में ही विचार किया जाना है । इस विचारधारा के तहत जो दल जिस राज्य में मजबूती से कार्यरत है उसे शेष राज्य की पार्टियां सहयोग करेंगी । गोंसक्रांआं की शीर्ष कमेटी आदिवासियों के राजनीतिक दलों के संपर्क में है । साभार- kkhand gondwana samachar

सामूहिक निर्णय का पक्च्छ्धर हैआदिवासी समुदाय

सामूहिक निर्णय का पक्च्छ्धर हैआदिवासी  समुदाय (एकात्मवाद आर्यों का दर्शन है ) प्रक्रति पुत्र आदिवासी ने अपनी विकास यात्रा कबीला संस्क्रति से आगे बढा़या जिसमें कबीले का सबसे ताकतवर व्यक्ति उसका मुखिया होता था । लेकिन कबीले ने जो नियम कायदे बनाये होते थे ,यदि उसका उल्लंघन कबीले का मुखिया भी करे तो कबीले की पंचायत मुखिया को भी दंडित कर नया मुखिया चुन लेती थी । यही संस्कार और परंपरा मध़्यकाल तक राजतंत्र तक चलती रही । कबीलाई अनुशासन से बंधा राजा कबीले की रक्छा के लिये स्वयं आगे होकर कबीलाई सैनिकों को लेकर विरोधी से लडता था । उसके परास्त होने पर सेनापति कमान सम्हालता था । यानि जब तक सेनापति और सैनिक अपने आपसे हार नहीं मान लेते थे तब तक कबीले की हार नहीं होती थी । हार के बाद स्वाभिमानी कबीला पीछे हटकर नई जगह से पुन: नया मुखिया नई शक्ति संचित कर अपने खोये राज्य को अर्जित करने का प्रयास करता था । अर्थात कबीले की साख को बनाये रखने के लिये प्रयास करता रहता था । मुगल और अंग्रेजों के आक्रमण के बाद भी अनेक कबीलाई राजा निरंतर अपने कबीले की हिफाजत करते हुए अपने अस्तित्व को कायम रखे । ना वे आर्यों

"पत्थलगढी पर कथित संविधान विशेषज्ञ के नाम एक पाती ।"

  "पत्थलगढी पर कथित संविधान विशेषज्ञ के नाम एक पाती ।" पत्रिका समाचार पत्र के माध्यम से एक कथित संविधान विशेश्ज्ञ कहते हैं कि पांचवी अनुसूचि की गलत व्याख्या हो रही है इसका मतलब उनको पांचवीं अनुसूचि का कोई ज्ञान नहीं ना ही संविधान की मंशा का ज्ञान है । अरे विशेषज्ञ जी जब संविधान के पहले पन्ने में ही लिखा है कि देश में समता स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय पर आधारित व्यवस्था की स्थापना इसका मूल लक्ष्य है और इस लक्ष्य को पाने के लिये जिस तरह केंद्र में संसद में कानून बनते हैं पर उनके क्रियान्वयन के लिये स्थानीय नियम और कायदे बनाये जाते हैं जिससे उपरोक्त लक्ष्य को हासिल किया जा सके । जब राज्य सरकारों ने कोई नियम और कायदा नहीं बनाया है तब कोई भी कानून मूल कानून में उल्लेखित आशय से संचालित होते हैं जिसे राज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता । पत्थलगढी आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था है जो संविधान में वर्णित पांचवीं अनुसूचि के मूल आशय पर की जा रही है । मैं पूछना चाहता हूं कि सरकारी तंत्र किस नियम और संविधान के तहत ग्राम मुकददम या पटैल से राजस्व कर वसूली और अन्य सेवायें लेती है । ग्राम

पांचवी अनुसूचि के आन्दोलन को कमजोर मत होने दो "

पांचवी अनुसूचि के आन्दोलन को कमजोर मत होने दो " गोंडवाना भूमि का आदिवासी समूह ५ वीं अनुसूचि के प्रावधानो के क्रियान्वयन के लिये राज्य सरकारों से नियम बनाने के लिये दबाव बनायें तथा राज्यपाल से उसकी अधिसूचना जारी करने का आग्रह करे । यही आपकी पहचान को मिटने से रोक सकती है । आपको सुरच्छित रख सकती है ।-gsmarkam

"गोंडवाना राज्य का वैभवकाल"

"गोंडवाना राज्य का वैभवकाल" मध्यकाल में गोंडवाना राज्य के राजा रानियों और उनके खान पान परिधान और स्थानों पर कवियों परधानों भटटों द्वारा वर्णन । (शोध कार्य उपरांत प्राप्त संकलन) (स्थान सरसेती में) अंचन परदा कंचन पर्दा कांचे कपड दहनारा । चीर बांधैं सरग दुआरा ।। आवन खोरी बावन बटवारा तिरपट खोरी नौ सौ हजारा मूंगा मोतिन के लगे बजारा ।। (परिधान) बारा थान के लंहगा चैादह मुटठी के तिरनी झीकातानी अंगिया अठारह बैलन के कानी ! चारम चीरा फरिया चारों खूंट में बरै हीरा तीरन के अंगिया पूरब के चोली झीनो मछयावर अलगा ।! (जेवर) राय बैजन्ति पैरी देश भंगान तोडर रतनजोत के खीला गवरी गजन के चूरी हरी सांप खंगवारी चंदा सूरज भनयारी सुन्नत के बिंदिया (भोजन) लायची दानन के चाउर गंगा जगनी के दार अईगुन भाटा बैगुन भाटा ओछी कुंदरू लंबे चचेडा सरकल बामी उडत