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Showing posts from August, 2019

हर हर मोदी घर घर मोदी।।

"आंधी के रुख को देखना होगा। इसमें मिले जहर को परखना होगा।।" हर हर मोदी घर घर मोदी के खोखले विकास की आंधी के साथ गांव में कुछ और भी पहुंचा है। ग्राम्य संस्कृति,संस्कार स्वावलंबन, स्वशासन और संसाधन पर हमला से आर्थिक गुलामी का धीमा जहर जो मनुवादी विचार का निर्धारित लक्छय है। (गुलज़ार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

भक्तिकाल की परिस्थितियां और वर्तमान दौर"

"भक्तिकाल की परिस्थितियां और वर्तमान दौर" जब भारत देश में भक्ति काल के समय मनुवाद का आतंक था उस समय समाज सेवा का काम करने वाले लोग मनुवाद के खिलाफ सीधा संघर्ष ना करते हुए दोहे गीत और कविताओं के माध्यम से लोगों को जागृत करने का काम करते थे ऐसे महात्माओं जिनमें नानक ,कबीर दास, रविदास, चोखा मेला जैसे कवि लोगों को मनुवाद के विरुद्ध, जनमानस तैयार करने में आसानी हो, ताकि हम मानवीय अत्याचारी व्यवस्था का समूल नष्ट हो सके। आपको बता दूं कि आज भी मनुवाद के खिलाफ सीधा भाषण देने या किताब लिखकर उसका विरोध करने की बजाय आज कवि सम्मेलनों के माध्यम से लोगों में वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ बात कही जा रही है तो ऐसे आयोजनों को सरकार भी मना नहीं कर सकती ,यही समय और परिस्थितियां कबीर नानक और रविदास के जमाने में थी उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करके एक बड़ा माहौल पैदा करने का काम किए जो आज भी हमारे लिए अविस्मरणीय हैं। इसलिए मेरा मानना है की ट्राईबल मूवमेंट में इनडायरेक्ट कहने वाले कवि पैदा हो, जिससे छोटे बड़े पढ़े लिखे लोग भी उसे मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान का लाभ लेकर वर्तमान व्यव

"एकता और संगठन के लिए कुछ भी करो।"

"एकता और संगठन के लिए कुछ भी करो।" आदरणीय सगा जनों मैं चाहता हूं कि २४,२५ अगस्त पोर्ट ब्लेयर अंडमान निकोबार के धर्मकोड/ धर्म कालम के इस सेमिनार में सभी आदिवासी, जनजाति,  देशज बंधु अपने अपने अहम को छोड़कर आदिवासी, जनजाति, ट्राइबल यदि यूनिटी के लिए थोड़ा कोसैक्रिफाइ करके एक जुटता का परिचय देंगे, इसी तरीके से हमारी ताकत का लोहा मनवाया जा सकता है यही एकता हमारे समस्याओं के निदान का कारक बन सकता है इसलिए पुनः अपील है की पोर्ट ब्लेयर सेमिनार में एक साथ एक आवाज और एक नाम के साथ देश को एक संदेश देंगे कि "एक तीर एक कमान सभी जनजाति एक समान" गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

अस्वस्थता में परहेज आवश्यक है।"

"अस्वस्थता में परहेज आवश्यक है।" देश में हजारों चैनल हैं कम से कम ABP या इस तरह के चैनलों से परहेज़ रखो,कि वह तुम्हारे दिमाग को कैसे डाइवर्ट करता है या किया जा रहा है, यदि देखते हो तो समझकर,उसकी तोड़ निकालकर,जनता के सामने प्रस्तुत करें। यही आपकी बुद्धिमानी है अन्यथा सोशल मीडिया में अपनी छोटी और ओछी बातों से बुद्धिजीवियों को बोर मत करो। (गुलज़ार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संजोयक गोंडवाना समग्रक्रांति आंदोलन)
"ओबीसी, एससी और हमारा आदिवासी समुदाय" ओबीसी ने गुजरात के हार्दिक पटेल,तथा अनुसूचित जाति ने जिग्नेश मेवानी को साथ देकर हीरो बना।क्या जनजाति समुदाय ने "डा हीरा अलावा" को उस स्तर तक सम्मान देने की कोशिश की, यही पर आदिवासी समुदाय केकड़ा मानसिकता का परिचय दे देता है,इस पर हम चिंतन करना चाहिए। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

हर रचनात्मक कार्य को प्रोत्साहन दें।

"गोंडवाना भूमि के आदीवासी आंदोलन के हर रचनात्मक कार्य  को प्रोत्साहन दें" साथियों गोंडवाना आंदोलन में हर व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी न किसी स्तर पर कुछ करने की कोशिश करता है, कर रहा है परंतु उसकी गंभीरता को समझना सबकी जिम्मेदारी है यदि कोई रचनात्मक काम हो रहा है और वह सही दिशा में है तो उसका भरपूर सहयोग और समर्थन करना चाहिए सिवनी जिले से एडवोकेट रावेन शाह उइके जी ने " कोयां दा विजन" के माध्यम से एक ऑनलाइन साक्षात्कार का आयोजन किया है निश्चित ही वह हमारे समुदाय के लोगों को किसी भी साक्षात्कार में सफल होने में सहायक प्रतीत हो रहा है इसलिए अधिक से अधिक लोग इसमें भाग लेकर आयोजक के साथ उस संस्था का जो अपने स्तर पर प्रतियोगी परीछाओ के सामान्य ज्ञान में बढ़ोतरी का प्रयास कर रहा है, उसमें भाग लेकर संस्था और संस्था के संचालकों को प्रोत्साहित किया जाए। इसी तरह एक और मित्र ट्राईबल एप के नाम पर अपने रचनात्मक कार्य को समुदाय के बीच प्रसारित करने का प्रयास कर रहा है ऐसे संचालक को भी प्रोत्साहित करके हम अपने समुदाय के चहुमुखी विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं (गुलजार सिंह

मोदी और शाह से भयभीत हैं भाजपा के मंत्री विधायक और सांसद।

"मोदी और शाह से भयभीत हैं भाजपा के सांसद,विधायक और पदाधिकारी ।" और अंदर ही अंदर से भयभीत है कथित उच्च वर्गीय समुदाय भी,जो भाजपा को अपना संगठन मानकर चलती है। अब तक जिस आर एस एस ने सत्ता को अपने इशारों पर नाचने का नचाने का प्रयास किया उसकी आंतरिक ताकत भी कमजोर दिखाई देने लगी, कारण की मोदी और शाह उस ओर बढ़ रहे हैं जहां उन्हें कोई संगठन या पदाधिकारी से डरने की जरूरत नहीं वह उन्हें भी अपनी कमांड में लेकर भय का वातावरण तैयार करके तानाशाह बनना चाहते हैं । यही नहीं जितने भी आर एस एस और भाजपा के अग्रणी नेतृत्व थे उन्हें धीरे धीरे किनारे लगा दिया गया और लगाते जा रहे हैं । यह जोड़ी भाजपा और आर एस एस के बीच भी इतना भय पैदा कर चुकी है कि कोई भी नेता,मोदी या शाह के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोल पा रहे हैं । उनके अच्छे या बुरे कामों की आलोचना नहीं कर पा रहे हैं। इससे लगता है कि भारतीय लोकतंत्र तानाशाही सत्ता की ओर बढ़ रहा है । अन्य विपक्षी यदि सामने खड़ा होकर विरोध करते हैं तो उन्हें किसी न किसी तरह उलझाने या फसाए जाने का प्रयास भी तानाशाही का एक नमूना है अर्थात विरोधियों को खड़ा नहीं होने

"9 अगस्त और मूलनिवासी/मूलवासी संगठन"

"9 अगस्त और मूलनिवासी/मूलवासी संगठन" इस देश में बहुत सारी विचारधाराएं संचालित हैं यदि किसी व्यक्ति ,समूह या संगठन को विचारधाराओं का सम्यक ज्ञान ना हो तो उन्हें एक ही विचारधारा के रास्ते पर चलना चाहिए भारत में जैसे हजारों जातियां और हजारों संगठन हैं इसलिए इनकी  विचारधारा की आस्था का कोई पता नहीं चलता इसलिए भारत का मूलनिवासी भटक कर , कभी किसी नेतृत्व या कभी किसी संगठन के साथ जाकर अपने मूल संगठन शक्ति और विचारधारा को कमजोर करता है इसलिए जब तक नेतृत्व और संगठनों का और उनकी विचारधारा,आस्था को समझा नहीं जाए तब तक किसी बहाव में बह कर उसे आत्मसात करते हुए चलना मूर्खता से कम नहीं। मूलवासी /मूल निवासियों की विचारधारा एक है तो उन्हें एक्शन में भी एक तरीके से व्यवहार करना होगा तभी समझ में आएगा कि हम एक सोच एक विचार और एक व्यवहार में चलने को राजी हैं भले ही हमारे अनेक संगठन है । इसलिए कहा गया है कि संगठित समाज या समूह अनेक संगठन बनाकर भी शक्तिशाली और सत्तासीन हो जाता है और असंगठित समाज या समुदाय के कुछ संगठन भी सही ढंग से संचालित नहीं हो पाते यही अंतर है, संगठित मनुवाद और असंगठित मूलवास

"आदिवासी शब्द सामुदायिक एकता का माध्यम बन गया है"

"आदिवासी शब्द सामुदायिक एकता का माध्यम बन गया है" भारत देश का मूलवासी समुदाय जो देश के विभिन्न राज्यों में थोडा बहुत अपनी स्थानीय संस्कृति संस्कार और पहचान को कायम रखते हुए संविधान की जनजातीय अनुसूचि में कायम है। इसलिये वह सूचि में शामिल सभी जाति उपजाति को अपना भाई मानता है, एक समुदाय का हिस्सा मानता है। कारण कि एक सूचि में होने से उसमें सामुदायिक समझ विकसित हो चुकी है,इस वजह से वह अन्य गैर जनजातीय समुदायों की एकता और एकजुटता को देखता है,तब उसके मन में विचार आना स्वाभाविक है कि ,मेरा समुदाय भी संगठित रहे, यही कारण है कि वह आदिवासी शब्द को अपना मान कर चल रहा है कुछ अपवाद स्वरूप अन्य शब्द भी मूलवासी वातावरण में आ रहे हैं परंतु इनकी संख्या नगण्य है ऐसे में यदि हमें एक होकर देश में एक ताकत के रूप में अपनी साख को स्थापित करना है तो कुछ सैक्रिफाइस करना पड़ेगा किसी एक नाम पर सहमत होना पड़ेगा जो देश का 90 से 99 प्रतिशत मूलवासी चाहता है , हम यह नहीं कहते कि आप अपने और अपनी जाति 4 समूह की पहचान को खत्म करें अपने रोटी बेटी को सुरक्षित ना रखें पर यदि                                   

"बार बार नहीं एक ही बार"

"बार बार नहीं एक ही बार" देश की समृद्धि और विकास के लिए बनी सभी शासकीय अर्ध शासकीय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बारी बारी से बेचने की जगह एक साथ सारे देश का और उसकी व्यवस्था का संचालन करने हेतु विश्व के सभी देशों से निविदा आमंत्रित कर नीलामी कर दी जाए ताकि ऑक्शन में जीत हासिल करने वाले देश कम से कम इस देश को अपने स्तर पर तो ला ही देंगे। (गुलज़ार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

अस्तीन के सांपों से सावधान

"अस्तीन के सांपों से सावधान"   "वादा किया है तो निभाना पड़ेगा, नहीं निभाया तो भुगतना पड़ेगा" मध्य प्रदेश सरकार ने जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगा कर अच्छा काम किया है पर वन भूमि के काबीजों पर लगातार अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाकर माननीय मुख्य मंत्री जी के निर्देशों की अवहेलना सरकार को महंगी पड़ सकती है। किसानों की कर्ज माफी के नाम पर कमलनाथ सरकार कटघरे में आ सकती है। जिलों में प्रशासनिक अधिकारी यह कह रहे हैं की यह केवल फसल ऋण योजना के तहत कर्ज माफी हुई है बाकी पम्प,ट्रैक्टर या अन्य काम जोकि कृषि से संबंधित हैं,(जबकि वचनपत्र में किसानों की कर्ज़ माफी का वचन दिया गया है ) का कर्ज लिया है तो उसे पटाना पड़ेगा इससे किसान आहत है अंदर ही अंदर कर्ज माफी के नाम पर किसानों में असंतोष पैदा हो रहा है। जो भविष्य में कमलनाथ सरकार के विरुद्ध जाने की संभावना है जिसका उपयोग विपक्षी दल कर सकता है। इसलिए जैसा कहा है वैसा किया जाए। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

"सोनभद्र यूपी हत्या कांड के मृतकों को श्रद्धांजलि"

"सोनभद्र यूपी हत्या कांड के मृतकों को श्रद्धांजलि" जमीन जायजाद के विवाद व्यक्तिगत तो होते ही हैं परंतु विशेष संगठनों के माध्यम से उसे सामुदायिक हवा दिए जाने का प्री प्लान भी रहता है,जो आर एस एस की योजना का हिस्सा है जिसे व्यक्तिगत भूमि विवाद पर कुछ लोग नहीं समझ पाते चाहो एसटी एससी ओबीसी हो या समान्य वर्ग ,उन संगठनों का शिकार हो जाते हैं जिन्हें धर्म और जाति के नाम से पहले से ही जाल में फंसा कर रखा गया है ऐसी परिस्थितियों में दोनों पक्षों में आपसी चर्चा की जानी चाहिए परंतु ऐसे संगठन चर्चा की जगह संघर्ष को बढ़ावा देते हैं ताकि उनके संगठन का वर्चस्व उस समुदाय के लिए हितकारी लगे। निश्चित ही सोनभद्र कांड मानवता को शर्मसार करने वाला है लेकिन उसके पीछे जो षड्यंत्र चला है वह विकृत मानसिकता वाले सामाजिक संगठन के माध्यम से रची गई सोची समझी साजिश , जिसमें वर्ग विशेष को जानबूझकर दबंग बता कर झगड़े को शांत करने के बजाय उसमें रोटी सेकने का काम किया गया है यही बात दुखदाई है आपको पता है कि यह संघर्ष आदिवासी और ओबीसी के बीच हुआ है लेकिन उसके मूल में सवर्ण समाज की मानसिकता रही है जिसका खामिया

दूरियां दूर करो, गोंडियन या आदिवासी।।

दूरियां दूर करो, गोंडियन या आदिवासी।। आज की मांग है, मिलकर चलें सब मूलवासी। सामने अन्याय है,अस्तित्व भी है खतरे में। धर्म का कोड भी चुनौती बना सामने है। एक आवाज में हुंकार भरो मूलवासी। दूरियां दूर करो गोंडियन और आदिवासी।। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)

विश्व आदिवासी दिवस विकास की समीक्षा दिवस है।

9अगस्त को विश्व आदिवासी/देशज दिवस में निर्धारित विषय के विकास की समीक्षा तथा अन्य ज्वलंत मुद्दों पर विचार करें। नाच गान के लिये तो मौसमी गायन वादन और नृत्य हमारे पुरखों ने पूर्वकाल से निर्धारित किया हुआ है। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)

"शोसल मीडिया और उसका जनप्रतिनिधियों पर प्रभाव"

"शोसल मीडिया और उसका जनप्रतिनिधियों पर प्रभाव" गैर आदिवासी नेतृत्व वाले दलों से जीतकर आते कुछ आदिवासी सांसद और विधायक अब इतना तो सोच रखने लगे हैं जो विधान सभा या लोकसभा में समुदाय के बात को रखने की हिम्मत करने लगे हैं,इनमें अग्रणी रूप से निवास विधान सभा के विधायक डा0 मर्सकोले और मनावर विधायक डा0 हीरा अलावा जी इनके साथ कुछ जागरूक विधायक भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक साथ आवाज उठा रहे हैं,यह समुदाय के लिये शुभ संकेत हैं।इसी तरह राजस्थान के सांसद किरोड़ी लाल मीणा एवं बीटीपी के विधायकों का समुदाय हित में आवाज को भी समुदाय हित के लिये पाजेटिव कहा जा सकता है,वहीं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जी में भी समुदाय हित में खुलकर बोलने की हिम्मत आती दिखाई दे रही है। इस तरह की सोच पैदा कर दबाव बनाने का काम समुदाय के सोसल मीडिया के माध्यम से अधिक हुआ है,इसलिये इसका श्रेय सोसल मीडिया से जुड़े मित्रों को जाता है।इस कार्य में आपको योगदान के लिये बहुत बहुत बधाई ,यह आज के दौर का सशक्त माध्यम है,इसे और अधिक मजबूत करें। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)

"आर्डिनेंस उद्योग का निजीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा"

"आर्डिनेंस उद्योग का निजीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा" जब देश की रक्षा करने वाली और उसके उपकरण बनाने वाली फैक्ट्री को सरकार निजी हाथों में बेच दे, निजी कंपनियां केवल लाभ देखती है सामाजिक सरोकार नहीं और वे निजी कंपनियां  कंपनियां अच्छे लाभ की लालच में हमारे देश के दुश्मन के साथ सौदा करके ऑर्डिनेंस के उपकरण जिसमें, बम, तोप,गोली ,बारूद और व्हिकल आदि की छमता में,कमजोरी कर दें तो देश की सुरक्षा का क्या होगा।जब इन कमजोरियों से देश ही नहीं बचेगा।तब आम नागरिक को तो पुन: गुलाम ही होना है। विजय माल्या हो या फ्राड हीरा व्यापारी मोदी हो या देश की जनता को लूटकर विदेशों में पैसा जमा करने वाले नेता हों,जब ये देश का हित ना सोचकर केवल लाभ के लिये देश को चूना लगा देते हैं। तो प्रायवेट कंपनी अपने लाभ के लिये,देश के रक्षा उपकरणों के उत्पाद में भी स्वलाभ के लिये दुश्मन से सौदा करने में नहीं हिचकेगी। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)

संघर्ष और आनंद एक साथ संभव नहीं !"

"संघर्ष और आनंद एक साथ संभव नहीं !" नाच गान करते रहो, हक की करो न बात। यही बात है जग जाहिर,नहीं लड़ने की औकात।। तीर धनुष और टांगिया, सिर में बंधा गुफान, फिर भी पिटते दीखते, ढोल गंवार समान।। क्या तुलसी की सीख ने किया तुम्हें बेजान, या मनु की चाबुक से बंद हुआ है जुबान।कीड़ा भी तकलीफ़ से मारे डंक उठाय , तुम तो मानुष जीव हो, क्या इतना समझ ना आय। (गुलजार सिंह मरकाम रासंगोंसक्रांआं)

मूलनिवासी/मूलवासी संगठन"

"9 अगस्त और मूलनिवासी/मूलवासी संगठन" इस देश में बहुत सारी विचारधाराएं संचालित हैं यदि किसी व्यक्ति ,समूह या संगठन को विचारधाराओं का सम्यक ज्ञान ना हो तो उन्हें एक ही विचारधारा के रास्ते पर चलना चाहिए भारत में जैसे हजारों जातियां और हजारों संगठन हैं इसलिए इनकी  विचारधारा की आस्था का कोई पता नहीं चलता इसलिए भारत का मूलनिवासी भटक कर , कभी किसी नेतृत्व या कभी किसी संगठन के साथ जाकर अपने मूल संगठन शक्ति और विचारधारा को कमजोर करता है इसलिए जब तक नेतृत्व और संगठनों का और उनकी विचारधारा,आस्था को समझा नहीं जाए तब तक किसी बहाव में बह कर उसे आत्मसात करते हुए चलना मूर्खता से कम नहीं। मूलवासी /मूल निवासियों की विचारधारा एक है तो उन्हें एक्शन में भी एक तरीके से व्यवहार करना होगा तभी समझ में आएगा कि हम एक सोच एक विचार और एक व्यवहार में चलने को राजी हैं भले ही हमारे अनेक संगठन है । इसलिए कहा गया है कि संगठित समाज या समूह अनेक संगठन बनाकर भी शक्तिशाली और सत्तासीन हो जाता है और असंगठित समाज या समुदाय के कुछ संगठन भी सही ढंग से संचालित नहीं हो पाते यही अंतर है, संगठित मनुवाद और असंगठित मूलवास

मप्र में ९ अगस्त २०१९

प्रति, माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी      मप्र शासन भोपाल विषय :- 9 अगस्त 2019 का विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सामाजिक स्तर के विभिन्न आयोजनों में सक्षम अधिकारियों को उपस्थित होने के निर्देश जारी करने बावद ।  महोदय जी,         उपरोक्त विषय में यह कि मप्र शासन द्वारा 9 अगस्त के लिये प्रदेश में सार्वजनिक अवकाष घोषित किये जाने के लिये धन्यवाद । तत्संबंध में प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टरों को दिये निर्देश एवं मप्र आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा भी अनुसूचित घोषित विकास खण्डों में कार्यकृृम आयोजन के साथ राशि भी स्वीकृत की गई है यह भी प्रसंसनीय है । परन्तु माननीय महोदय जी मुझे लगता है कि जल्दबाजी में लिये गये कुछ निर्णय विश्व आदिवासी दिवस की गरिमा और उद्देश्य को कहीं ना कहीं चोट पहुंचाता प्रतीत होता है । कारण कि प्रदेश के बहुत से जिले तथा विकासखण्ड जिनमें आदिवासी बहुलता है जहां 9 अगस्त को प्रति वर्ष विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन होता है एैसे जिले या विकासखण्ड को भी शासकीय आयोजन में शामिल किया जाना आवश्यक है वहीं संयुक्त राष्ट् संघ,प्रति वर्ष आदिवासियों के किसी महत्वपूर्ण विषय को लेकर पूरे व