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Showing posts from August, 2016

"इस देश का समस्त मूलनिवासी एसटी एससी ओबीसी एवं धर्मातरित अल्पसंख्यक आदिवासी है ।"

"इस देश का समस्त मूलनिवासी एसटी एससी ओबीसी एवं धर्मातरित अल्पसंख्यक आदिवासी है ।"  इस बात पर अनुसूचित जनजाति में सूचिबद्ध समूह भले ही अपने आप को "केवल हम ही" कहता हो पर सच कुछ और है । इन वर्गों का रक्त भी वही है शारीरिक बनावट जीवनचर्या स्वभाव भी वहीं है तो केवल हम कैसे। हजारों वर्षों से इस देश में हो रही घटनाओं के कारण प्रभावित इलाकों में सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन हुए इसमें मूलनिवासी समुदाय बिखर कर रह गया है । रक्त और शरीर की बनावट तो बदल नहीं सकता था सो नहीं बदला चूंकि  यह प्रकृति की रचना है । बदला है तो केवल बाहरी परिवेष और मान्यतायें जिन्हें पुन: स्थापित किया जा सकता है । संविधान की अनुसूचि में अनुसूचित वर्गों को सूचि में जोडने घटाने का काम हो सकता है । अब हमें मूलनिवासी की असली पहचान आदिवासी के रूप में स्थापित होने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से दी गई महत्वपूर्ण मापदण्ड का पालन करना होगा । संविधान में उल्लेखित सूचि के कारण हम जातीय मानसिकता से कुछ कुछ उबरते हुए वर्गीय मानसिकता को पकड रखे हैं । इससे भी हमें मुक्त होना होगा और हमें इस देश का मूल आदिवा

"अधिनायक या तानाशाही तन्त्र के स्थापना की कोशिष में लगा है आरएसएस"

"अधिनायक या तानाशाही तन्त्र के स्थापना की कोशिष में लगा है आरएसएस" "हिटलर के विचारों का समर्थन करने वाला सन्घ १९२५ से लगातार अपनी विचारधारा का स्लोपाईजन राष्टवाद के नाम पर अपने छदम और जहरीले विचारो को समाज के बीच बडी चतुराई से रोपित कर रहा है । चूकि देश मे प्रजातान्त्रिक प्रणाली के चलते और पक्ष विपक्ष तथा छोटी बडी राजनीतिक पार्टियो की देशी विचारधाराओ के चलते देश की सर्वोच्च सन्था राज्य सभा और लोकसभा मे दो तिहाई बहुमत नही होने से इनकी दाल गलती नजर नही आने साथ ही विभिन्न राज्य ो मे अलग अलग समय मे सरकारो का कार्यकाल होना भी इनकी गले की हड्डी की तरह खटक रहा है । ऐसी परिस्थिति मे इन्होने "न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर अपने लक्ष्य की ओर बढने का प्रयास कर रहे है ,पर वहा भी देश का सन्विधान आडे आ रहा है । इन सब बातो के रहते इन अतिवादियो को भारी झुन्झलाहट हो रही है इसलिये वे अपने राजनीतिक सन्गठनो भाजपा जिसमे कान्ग्रेस और अन्य चड्डीधारी नेताओ से लैस पार्टिया और सन्गठन है । उनका समय समय पर उपयोग को समझा जा सकता है । दन्गा फसाद, पुलिस,मिल्ट्री का उपयोग कर राष्ट्र सुरक