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Showing posts from July, 2016

अनुसूचित जनजाति एवम अनुसूचित जाति वर्ग की वर्गीकृत सोच !

संविधान की सूचि में लम्बे समय से देश के मूलनिवासियों को अलग अलग सूचि में डाल दिये जाने के कारण अनुसूचित जनजाति एवम अनुसूचित जाति वर्ग की वर्गीकृत सोच बन चुकी है ! जबकि ये वर्ग आज भी सामान वातावरण ,सामान परिवेश ,सामान राजनैतिक ,सवैधानिक सरक्षन में जी रहे हैं ! परन्तु यह वर्गीकृत विभाजन ,उन्हें सामाजिक ,सांस्कृतिक ,धार्मिक राजनैतिक बिन्दुओं पर मानसिक रूप से भी विभाजित करके रख दिया है ! इसी तरह सविधान में वर्णित पिछड़े वर्ग की विशाल संख्या जो एक वर्गीकृत मानसिकता में ढल रही थी , को चालाक लोगों ने विभाजित कर क्रीमीलेयर नाम देकर ,कमजोर कर दिया ! वर्गीय विभाजन के कारण एक ही जाति एक राज्य में यदि अनुसूचित जनजाति है ,अन्य राज्य में पिछड़ा वर्ग में ,तथा किसी अन्य राज्य में अनुसूचित जाति में है तो उस जाति में आदिवासी या जनजातीय मानसिकता नहीं पैदा होती ,बल्कि जिस राज्य में वह जिस वर्ग में गिना जाता है वही मानसिकता बनती है ! भले ही वह एक संस्कृति ,संस्कारों ,परिवेश ,वातावरण में जीवन यापन कर रहा हो ! जबकि सविधानिक सूचि केवल विशेष सुविधाओं सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए बनी है ! आपको सामाजिक ,सांस्कृतिक

"मनुवाद को जड़ से समाप्त करने के लिये "कान्गरेस" को खत्म करना होगा ।"

"मनुवाद को जड़ से समाप्त करने के लिये "कान्गरेस" को खत्म करना होगा ।" मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में गोन्डवाना गणतंत्र पार्टी को तीसरी ताकत बनाने के लिये कान्ग्रेस को पूरी तरह कमजोर करना होगा। जिन राज्यों के मतदाताओं ने कान्ग्रेस को कमजोर किया है,उन राज्यों में स्थानीय दल सत्ता के सिहासन पर काबिज है ।और लगातार भाजपा को जोरदार तरीके से शिकस्त दे रहे हैं, कहीं कहीं उसका खाता भी खुलना मुश्किल होता है । म०प्र० और छ०ग० में तीसरे दल को नहीं उभरने देने में कान्ग्रेस मे बैठे अनुसूचित वर्ग के चमचो का हाथ है ,ये इन वर्गो को भाजपा के जीत जाने का भय दिखाकर तीसरी ताकत को कमजोर और स्वय की जीत का दावा करके लगातार हारते हुए भाजपा को और मजबूत करने का काम कर रहे है । अनुसूचित वर्ग का मतदाता यदि इसी तरह कान्ग्रेसी दलालो के जाल मे फन्सा रहा तो तीसरी स्थानीय शक्ति का उभरना और भाजपा को रोक पाना सम्भव नही । भाजपा को अब केवल स्थानीय दल ही रोक सकते है कान्ग्रेस नहीं । उ०प्र०, बिहार, बन्गाल, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा ,दिल्ली और पूर्वोत्तर के राज्य इसके साक्षात् उदाहरण हैं । लगता है मनुवादियो क

सामूदायिक समस्या के लिये सामूहिक जिम्मेदारी निभाना है !("अनुसूचित वर्गों के प्रमोशन में प्रतिनिधित्व)

"अनुसूचित वर्गों के प्रमोशन में प्रतिनिधित्व (आरक्षण) हटाना, पूर्णतः आरक्षण को हटाने का रिहर्सल है ।" अनुसूचित वर्गों के प्रमोशन में (प्रतिनिधित्व) आरक्षण हटाना, आरक्षण (प्रतिनिधित्व) को पूर्णतः हटाने का रिहर्सल है । पदों में प्रतिनिधित्व के संवैधानिक नाम को आरक्षण का नाम देकर देश के जनमानस में इन वगौं के विरूद्ध आक्रोस पैदा करना चाहती है वर्तमान केंद्र और राज्य की सरकार तकि आरक्षण को अप्राशंगिक बनाकर पूर्णतः समाप्त करने का रास्ता बनाया जा सके । "जब तक अनुपातिक आधार पर प्रति निधित्व नहीं मिलेगा, आरक्षण जारी रहेगा यही हमारा नारा है ।" राजनीति में भी अनुपातिक प्रतिनिधित्व है इसका कोटा पद खाली होने के छः माह के भीतर भरने की अनिवार्यता क्यों है ? इसी तरह शासकीय सेवा का प्रतिनिधित्व को किसी भी कीमत में छः माह के भीतर भरे जाने के लिये कानून बनाया जाये यह भी हमारी मांग हो । अतः प्रदेश के समस्त अनुसूचित वर्ग के सामाजिक, सांस्कृतिक, कर्मचारी आदि के संगठन अपनी संस्था पहचान के झण्डे बेनर आदि लेकर आयें ,ताकि समस्त संगठनों की संयुक्त शक्ति का सामूहिक सहभागिता और प्रदर्शन हो सक
"कोलेजियम सिस्टम के कारण सर्वोच्च न्यायालय में नहीं होते अनुसूचित वर्ग के न्यायधीश" "(सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश करने वाले कोलेजियम)" बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम मुख्य न्यायाधीश सहित 4 अन्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा रखे गए विवरणों को देखने से यह साफ दिखता है कि कि कोलेजियम ने जजों को आगे बढ़ाने में नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया। मध्यप्रदेश में अनुसूचित वर्गा के आरक्षण में प्रमोशन के विरूद्ध हाईकोर्ट में निर्णय देने वाले "एएम खानविल्कर (मध्य प्रदेश)" को न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम की सिफारिश पर सर्वोच्च न्यायालय का जज बनाया गया है। कोलेजियम ने इन न्यायाधीशों की नियुक्ति में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज किया है।

"विभिन्न देशों में स्वदेशी कौन हैं ।"(9th august world indigenious day)

"विभिन्न देशों में स्वदेशी कौन हैं ।"(9th august world indigenious day) इस पर संयुक्त राष्ट संघ के माध्यम से विश्व बैंक से आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाले मान्यता प्राप्त समूहों को विभिन्न देशों में निम्नलिखित नामों से जाना जाता है । जैसे - 1. चीन में "लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक",  2. वियतनाम में, "जातीय अल्पसंख्यक"  3.भारत में, "अनुसूचित जनजाति"। 4. अन्य देशों में "एबोर्जिनल ट्राईब" जिनके नाम पर संबंशित देश विश्व बैंक से आर्थिक सहायता प्राप्त करते हैं । हमारे देश में "आदिवासी उपयोजना" की राशि विश्व बैंक की सहायता से उनके विकास के लिये प्राप्त होता है । हमारे जल जंगल जमीन से प्राप्त राजस्व से हमारा विकास नहीं हो रहा है । इसलिये संविधान में 5 वीं एवं 6 वीं अनुसूचि का प्रावधान किया गया ताकि हमारे संसाधनों से हमारा विकास हो । कारण कि हम इस देश के मालिक हैं । संसाधन पर पहला हक मालिक का होता है, बाद में अन्यों के लिये सुरक्षित किया जाता है । हमें इस परिभाषा को समाज के सामने रखना होगा । ताकि समाज को अपने स्व का ज्ञान हो स