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"भारत के मूलनिवासी कुछ तो बदलो"

 "भारत के मूलनिवासी कुछ तो बदलो"

देश के वर्तमान हालात कैसे हैं किसी से छिपी नहीं है, बेरोजगारी, भ्रष्टाचारी हर वर्ग पर अन्याय अत्याचार, राजनीति में नैतिकता का पतन ,सत्ता का दुरूपयोग, ईडी सीबीआई जैसी एजेंसियों से भय पैदा करना, सरकारी संस्थाओं को लगातार कुछ निजी हाथों में बेचने, बड़े उद्योगपतियों के अरबों के कर्ज माफ करना, बैंक लूटकर भागने वाले चोरों को पूरा संरक्षण देना जैसी घटनाएं सबके सामने घटित हो रही हैं, किसानों के साथ दुर्व्यवहार जगजाहिर है। फिर भी सरकार अपनी कालर ऊंचा करके फिर से चुनाव जीतने का बिगुल बजा रही है। भारत का मतदाता इनके तामझाम और प्रचार तंत्र के झांसे में आकर सबकुछ भूलकर इन्हें ही 2 किलो फ्री राशन के लोभ में सब दुखदर्द भूल रहा है। क्या इससे भारत का भविष्य स्वर्णिम हो पायेगा कभी नहीं? भारत से इस चोर कंपनी का डेरा समाप्त करना होगा, भारत के भविष्य को अपने हाथों संवारना पड़ेगा। 

- गुलजार सिंह मरकाम

 राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

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"मरकाम गोत्र के टोटम सम्बन्धी किवदन्ती"

मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत

गोंडी धर्म क्या है

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“जय सेवा जय जोहार”

“जय सेवा जय जोहार”  जय सेवा जय जोहार” आज देश के समस्त जनजातीय आदिवासी समुदाय का लोकप्रिय अभिवादन बन चुका है । कोलारियन समूह ( प्रमुखतया संथाल,मुंडा,उरांव ) बहुल छेत्रों में “जोहार” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है । वहीं कोयतूरियन समूह (प्रमुखतया गोंड, परधान बैगा भारिया आदि) बहुल छेत्रों में “जय सेवा” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है साथ ही इन समूहों में हल्बा कंवर तथा गोंड राजपरिवारों में “जोहार” अभिवादन का प्रचलन है । जनजातीय आदिवासी समुदाय का बहुत बडा समूह “भीलियन समूह’( प् रमुखतया भील,भिलाला , बारेला, मीणा,मीना आदि) में मूलत: क्या अभिवादन है इसकी जानकारी नहीं परन्तु “ कणीं-कन्सरी (धरती और अन्न दायी)के साथ “ देवमोगरा माता” का नाम लिया जाता है । हिन्दुत्व प्रभाव के कारण हिन्दू अभिवादन प्रचलन में रहा है । देश में वर्तमान आदिवासी आन्दोलन जिसमें भौतिक आवश्यकताओं के साथ सामाजिक ,धार्मिक, सांस्क्रतिक पहचान को बनाये रखने के लिये राष्ट्रव्यापी समझ बनी है । इस समझ ने “भीलियन समूह “ में “जय सेवा जय जोहार” को स्वत: स्थापित कर लिया इसी तरह प्रत्येंक़ बिन्दु पर राष्ट्रीय समझ की आवश्यकता हैं । आदि